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  • “संग्राम तो यहोवा का है”
    प्रहरीदुर्ग—1989 | जून 1
    • १, २. (अ) राजा शाऊल के नेतृत्व के नीचे इस्राएल की सेना के सम्मुख कौनसी ललकार है? (ब) गोलियत की ललकार के प्रति इस्राएल की सेना के सैनिक किस तरह से प्रतिक्रिया दिखाते हैं, और कौन अब परदे पर प्रकट होता है?

      एलाह की तराई के पार, यरूशलेम की दक्षिण-पश्‍चिमी ओर, दो शक्‍तिशाली सेनाएँ एक दूसरे का सामना करते हैं। एक तरफ़ भयभीत शाऊल के नेतृत्व में इस्राएल की सेना है। दूसरी ओर पलिश्‍ती सेना और उसके गोलियत नामक महाकाय चैम्पियन हैं। संभवतः, गोलियत के नाम का मतलब है “सुस्पष्ट।” वह क़रीब नौ फुट लंबा है और पूर्णतः लैस है। गोलियत इस्राएल को ईशनिंदात्मक ललकार दे रहा है।​—१ शमूएल १७:१-११.

  • “संग्राम तो यहोवा का है”
    प्रहरीदुर्ग—1989 | जून 1
    • ३. दाऊद खुद को युद्ध के लिए किस तरह लैस करता है, लेकिन गोलियत किस तरह से लैस है?

      ३ गोलियत को ‘जीवित परमेश्‍वर की सेना को ललकारते’ हुए सुनकर, दाऊद उस महाकाय व्यक्‍ति से लड़ने के लिए खुद को पेश करता है। जब शाऊल अपनी सहमति देता है, दाऊद निकल पड़ता है, लेकिन शाऊल के दिए पारंपारिक कवच और शस्त्रों के साथ नहीं। वह केवल एक लाठी, गोफ़न, और पाँच चिकने पत्थरों से लैस है​—गोलियत के वैषम्य में, जो कि ऐसा भाला ले जा रहा है जिसके फल का वज़न लगभग ६.९ किलोग्राम (१५ पौंड) है और जो ५७.३ किलोग्राम (१२६ पौंड) के तांबे का बकतर पहने है! जैसे ताक़तवर गोलियत और उसका ढालधारी आगे आते हैं, ‘पलिश्‍ती अपने देवताओं के नाम लेकर दाऊद को कोसने लगता है।’​—१ शमूएल १७:१२-४४.

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