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  • उसने दिल खोलकर परमेश्‍वर से प्रार्थना की
    उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए
    • 15, 16. (क) यहोवा के आगे अपना दिल खोल देने और डेरे में उसकी उपासना करने का हन्‍ना पर क्या असर हुआ? (ख) जब हम निराश होते हैं तब हम हन्‍ना की तरह क्या कर सकते हैं?

      15 यहोवा के आगे अपना दिल खोल देने और पवित्र डेरे में उसकी उपासना करने का हन्‍ना पर क्या असर हुआ? बाइबल बताती है, “तब वह औरत वहाँ से चली गयी। उसने जाकर कुछ खाया और उसके चेहरे पर फिर उदासी न रही।” (1 शमू. 1:18) जी हाँ, हन्‍ना ने राहत महसूस की। उसने अपने दिल का सारा बोझ अपने पिता यहोवा पर डाल दिया था जो उससे ज़्यादा ताकतवर था। (भजन 55:22 पढ़िए।) क्या आपको लगता है कि ऐसी कोई समस्या है जिसे परमेश्‍वर हल नहीं कर सकता? आज तक न तो ऐसी कोई समस्या उठी है, न कभी उठेगी!

      16 जब हम परेशानियों के बोझ से दबे होते हैं या फिर निराशा की भावनाएँ हमें आ घेरती हैं, तो हमें भी वही करना चाहिए जो हन्‍ना ने किया था। हमें दिल खोलकर “प्रार्थना के सुननेवाले” से बात करनी चाहिए। (भज. 65:2) अगर हम विश्‍वास के साथ ऐसा करें तो “परमेश्‍वर की वह शांति जो समझ से परे है” हमारी निराशा को दूर कर देगी।​—फिलि. 4:6, 7.

  • उसने दिल खोलकर परमेश्‍वर से प्रार्थना की
    उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए
    • 18 इसके बाद से हन्‍ना पर पनिन्‍ना की कड़वी बातों का कोई असर नहीं हुआ और पनिन्‍ना को भी इस बात का एहसास हुआ होगा। कब? बाइबल यह नहीं बताती। लेकिन हन्‍ना के “चेहरे पर फिर उदासी न रही,” ये शब्द दिखाते हैं कि उस दिन से वह दुखी नहीं थी बल्कि खुश रहने लगी। पनिन्‍ना को जल्द पता चल गया होगा कि अब उसके बुरे व्यवहार का हन्‍ना पर कोई असर नहीं हो रहा है। इसके बाद बाइबल में कहीं पनिन्‍ना का ज़िक्र नहीं मिलता।

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