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  • उसने दिल खोलकर परमेश्‍वर से प्रार्थना की
    उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए
    • 9. हन्‍ना ने अपनी सौतन के बुरे व्यवहार के बावजूद शीलो जाने का जो फैसला किया, उससे हम क्या सीख सकते हैं?

      9 सुबह-सुबह एलकाना के घर में हलचल मची हुई थी। हर कोई, यहाँ तक कि बच्चे भी सफर की तैयारी में लगे हुए थे। शीलो जाने के लिए इस बड़े परिवार को एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश से होते हुए 30 किलोमीटर से ज़्यादा लंबा सफर तय करना था।b पैदल सफर करने में उन्हें एक या दो दिन लगते। हन्‍ना जानती थी कि उसकी सौतन इस बार भी उसे नहीं छोड़ेगी। फिर भी वह घर पर बैठी नहीं रही बल्कि उसने शीलो जाने का फैसला किया। इस तरह हन्‍ना आज तक यहोवा के उपासकों के लिए एक अच्छी मिसाल रही है। चाहे लोग हमारे साथ बुरा व्यवहार क्यों न करें, हमें यहोवा की उपासना कभी नहीं छोड़नी चाहिए। अगर हम उसकी उपासना करना छोड़ दें तो हमें वे आशीषें नहीं मिलेंगी जिनसे हमें धीरज धरने की ताकत मिलती है।

  • उसने दिल खोलकर परमेश्‍वर से प्रार्थना की
    उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए
    • b इस दूरी का हिसाब शायद इस बात से लगाया गया है कि एलकाना का शहर रामाह यीशु के दिनों में अरिमतियाह नाम से जाना जाता था।

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