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  • उसने अंत तक धीरज रखा
    उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए
    • अब अहज्याह ठान लेता है कि वह एलियाह से बदला लेकर ही रहेगा। वह एलियाह को पकड़ने के लिए एक सेना-अधिकारी को उसके 50 सैनिकों के साथ भेजता है। जब वे एलियाह के पास पहुँचते हैं, तो देखते हैं कि वह “एक पहाड़ की चोटी पर बैठा हुआ” है।a वह अधिकारी बड़ी रुखाई से एलियाह को आदेश देता है कि राजा ने कहा है, “नीचे उतर आ।” मुमकिन है कि वह कह रहा है कि मौत की सज़ा के लिए तैयार हो जा। सैनिकों की जुर्रत तो देखो! वे जानते हैं कि वह सच्चे परमेश्‍वर का सेवक है, फिर भी उसे डरा-धमका रहे हैं। एलियाह अधिकारी से कहता है, “अगर मैं परमेश्‍वर का सेवक हूँ, तो आसमान से आग बरसे और तुझे और तेरे 50 आदमियों को भस्म कर दे।” तब परमेश्‍वर फौरन कदम उठाता है! ‘आसमान से आग बरसती है और वह अधिकारी और उसके 50 आदमी भस्म हो’ जाते हैं। (2 राजा 1:9, 10) उन सैनिकों का क्या ही भयानक अंत होता है! यह घटना दिखाती है कि जब लोग यहोवा के सेवकों का अपमान करते हैं, तो वह उसे हलके में नहीं लेता।​—1 इतिहास 16:21, 22.

  • उसने अंत तक धीरज रखा
    उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए
    • हालाँकि एलियाह ऐसे लोगों के बीच रहता था, जो ढीठ थे और यहोवा से बगावत करते थे, फिर भी वह धीरज रख पाया। वह यह कैसे कर पाया? यह सवाल आज हमारे लिए बहुत मायने रखता है। हो सकता है कि जिस व्यक्‍ति की हमें बहुत परवाह है, वह अच्छी सलाह ठुकरा दे और ढीठ होकर उस राह पर चलने लगे, जिससे उसी का नुकसान होता है। यह देखकर हमें बहुत दुख होता है। ऐसे में हम धीरज कैसे रख सकते हैं? याद कीजिए कि जब सैनिक एलियाह के पास गए, तो वह “एक पहाड़ की चोटी पर बैठा हुआ था।” हम पक्के तौर पर तो नहीं कह सकते, मगर हो सकता है कि वह हमेशा की तरह वहाँ प्रार्थना कर रहा हो। वह एक एकांत जगह थी, इसलिए उसे लगा होगा कि वहाँ प्रार्थना के ज़रिए वह अपने प्यारे परमेश्‍वर के करीब आ सकता है। (याकूब 5:16-18) उसी तरह, हमें भी रोज़ समय निकालकर परमेश्‍वर से अकेले में बात करनी चाहिए। हमें उसका नाम लेकर उससे बिनती करनी चाहिए, अपनी समस्याओं और चिंताओं के बारे में उसे बताना चाहिए। इससे हम धीरज रख पाएँगे, भले ही हमारे आस-पास के लोग ढीठ हों या ऐसे काम करते हों जिनसे उन्हीं का नुकसान होता है।

  • उसने अंत तक धीरज रखा
    उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए
    • a कुछ विद्वानों का कहना है कि यह करमेल पहाड़ है, जहाँ कुछ साल परमेश्‍वर ने एलियाह की बिनती का जवाब दिया था। इस वजह से एलियाह ने बाल के भविष्यवक्‍ताओं को मात दी थी। लेकिन बाइबल नहीं बताती कि यह कौन-सा पहाड़ था।

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