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हमें “अद्भुत रीति से रचा गया” हैप्रहरीदुर्ग—2007 | जुलाई 1
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हमारी लाजवाब दिमागी काबिलीयत
12. क्या बातें खास तौर से इंसानों को जानवरों से अलग करती हैं?
12 “मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है! यदि मैं उनको गिनता तो वे बालू के किनकों से भी अधिक ठहरते।” (भजन 139:17, 18क) देखा जाए तो जानवर भी अद्भुत रीति से रचे गए हैं। कुछ जानवरों की इंद्रियाँ तो हम इंसानों की इंद्रियों से भी ज़्यादा तेज़ हैं और उनमें कुछ ऐसी काबिलीयतें हैं जो हममें हैं ही नहीं। मगर परमेश्वर ने इंसानों को एक ऐसी दिमागी काबिलीयत दी है, जो किसी भी जानवर में नहीं पायी जाती। विज्ञान की एक किताब कहती है: “भले ही हम इंसान कई मामलों में जानवरों की तरह हैं, मगर एक बात है जो हमें धरती के बाकी सभी जीवों से अलग करती है और वह है, भाषा और सोचने-समझने की काबिलीयत का इस्तेमाल करना। हम इस मामले में भी अनोखे हैं कि हममें खुद के बारे में जानने की ललक होती है: हमारे शरीर की बनावट कैसी है? हम किस तरह रचे गए थे?” ये ऐसे सवाल हैं जिन पर दाऊद ने भी मनन किया था।
13. (क) दाऊद, परमेश्वर के विचारों पर कैसे मनन कर सका? (ख) हम दाऊद की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?
13 मगर इससे भी बढ़कर जो बात हम इंसानों को जानवरों से अलग करती है, वह है परमेश्वर के विचारों पर मनन करने की हमारी काबिलीयत।c यह काबिलीयत, परमेश्वर की तरफ से एक खास तोहफा है और साबित करती है कि हम ‘परमेश्वर के स्वरूप’ में बनाए गए हैं। (उत्पत्ति 1:27) दाऊद ने इस तोहफे का अच्छा इस्तेमाल किया। उसने उन सबूतों पर मनन किया जो साफ दिखाते हैं कि परमेश्वर वजूद में है। साथ ही, उसने अपने आस-पास की सृष्टि से झलकते उसके अच्छे गुणों पर भी ध्यान किया। दाऊद के पास पवित्र शास्त्र की शुरू की कुछ किताबें भी मौजूद थीं, जिनमें खुद परमेश्वर ने अपने और अपने कामों के बारे में खुलासा किया था। इन ईश्वर-प्रेरित लेखनों ने दाऊद को परमेश्वर के विचारों, उसकी शख्सियत और उसके मकसद को समझने में काफी मदद दी। जब दाऊद ने उन लेखनों पर, सृष्टि पर और उसके साथ परमेश्वर के व्यवहार पर मनन किया, तो वह अपने बनानेवाले की बड़ाई करने के लिए उकसाया गया।
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हमें “अद्भुत रीति से रचा गया” हैप्रहरीदुर्ग—2007 | जुलाई 1
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c भजन 139:18ख में दर्ज़ दाऊद के शब्दों से ज़ाहिर होता है कि परमेश्वर के विचार इतने सारे हैं कि अगर दाऊद सुबह से लेकर रात को सोने तक उन्हें गिनता रहता, तो सुबह उठने के बाद भी उसके पास गिनने के लिए और भी बहुत बचा होता।
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