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अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए यहोवा पर भरोसा रखिएप्रहरीदुर्ग—1994 | मार्च 1
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१५. दाऊद ने यहोवा के उद्देश्य में अपना विश्वास कैसे व्यक्त किया?
१५ अय्यूब के कुछ छः शताब्दियों बाद और यीशु के पृथ्वी पर आने से लगभग एक हज़ार साल पहले, दाऊद ने एक नए संसार में अपना विश्वास व्यक्त किया। उसने भजन में कहा: “जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वही पृथ्वी के अधिकारी होंगे। थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं; . . . परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे। धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।” अपनी दृढ़ आशा के कारण, दाऊद ने आग्रह किया: “यहोवा पर भरोसा रख, . . . यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा।”—भजन ३७:३, ४, ९-११, २९.
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अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए यहोवा पर भरोसा रखिएप्रहरीदुर्ग—1994 | मार्च 1
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२२. हमें अपना भरोसा यहोवा पर क्यों रखना चाहिए?
२२ नए संसार में, विश्वासी मानवजाति रोमियों ८:२१ की पूर्ति देखेगी: “सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।” वे इस प्रार्थना की पूर्ति देखेंगे जो यीशु ने अपने अनुयायियों को सिखायी थी: “तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।” (मत्ती ६:१०) इसलिए अपना पूरा भरोसा यहोवा पर रखिए क्योंकि उसकी अचूक प्रतिज्ञा है: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।”—भजन ३७:२९.
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