-
यहोवा ने ‘आपके सिर के बाल भी गिन रखे हैं’प्रहरीदुर्ग—2005 | अगस्त 1
-
-
“तू मेरे आंसुओं को अपनी कुप्पी में रख ले!”
12. हम कैसे जानते हैं कि यहोवा को अपने लोगों की तकलीफों के बारे में अच्छी तरह पता है?
12 यहोवा न सिर्फ अपने हर सेवक की शख्सियत के बारे में जानता है, बल्कि उसे यह भी अच्छी तरह पता है कि वह कैसी मुश्किलों से गुज़र रहा है। मिसाल के लिए, जब इस्राएली मिस्र में गुलाम थे और उन पर अत्याचार किए जा रहे थे, तब यहोवा ने मूसा से कहा: “मैं ने अपनी प्रजा के लोग जो मिस्र में हैं उनके दुःख को निश्चय देखा है, और उनकी जो चिल्लाहट परिश्रम करानेवालों के कारण होती है उसको भी मैं ने सुना है, और उनकी पीड़ा पर मैं ने चित्त लगाया है।” (निर्गमन 3:7) यह जानकर हमें कितनी राहत मिलती है कि जब हम तकलीफ में होते हैं, तब यहोवा हमारी हालत देख रहा होता है और मदद के लिए हमारी पुकार सुन रहा होता है! बेशक, वह हमारी तकलीफों को अनदेखा नहीं करता।
13. क्या दिखाता है कि यहोवा वाकई अपने सेवकों का दर्द महसूस करता है?
13 इस्राएलियों के बारे में यहोवा ने जो महसूस किया, वह भी यह दिखाता है कि यहोवा उन लोगों का खास ध्यान रखता है जिनका उसके साथ एक रिश्ता है। हालाँकि इस्राएली कई बार अपने ढीठ स्वभाव की वजह से मुसीबत मोल लेते थे, फिर भी यशायाह लिखता है: “उनके सारे संकट में उस [यहोवा] ने भी कष्ट उठाया।” (यशायाह 63:9) यहोवा ने जब ढीठ इस्राएलियों के बारे में ऐसा महसूस किया, तो यहोवा का एक वफादार सेवक होने के नाते आप पूरा यकीन रख सकते हैं कि आपको दर्द से तड़पता देखकर यहोवा का दिल भी तड़प उठता है। क्या यह बात आपको हर मुश्किल का मुकाबला करने और उसकी सेवा में अपना भरसक करते रहने की हिम्मत नहीं देती?—1 पतरस 5:6, 7.
14. दाऊद ने भजन 56 की रचना किन हालात में की थी?
14 भजन 56 दिखाता है कि राजा दाऊद को पूरा भरोसा था कि यहोवा उसकी देखभाल करता है और उसका दर्द समझता है। यह भजन उसने तब लिखा था जब वह राजा शाऊल से जान बचाकर भाग रहा था। दाऊद, शाऊल से बचने के लिए गत नाम की जगह भाग गया, मगर वहाँ जब पलिश्तियों ने उसे पहचान लिया तो वह डर गया कि वे उसे पकड़ लेंगे। उसने लिखा: “मेरे द्रोही दिन भर मुझे निगलना चाहते हैं, क्योंकि जो लोग अभिमान करके मुझ से लड़ते हैं वे बहुत हैं।” ऐसे खतरनाक हालात में दाऊद ने यहोवा से मदद के लिए प्रार्थना की। उसने कहा: “वे दिन भर मेरे वचनों को, उलटा अर्थ लगा लगाकर मरोड़ते रहते हैं; उनकी सारी कल्पनाएं मेरी ही बुराई करने की होती हैं।”—भजन 56:2, 5.
15. (क) जब दाऊद ने कहा कि यहोवा उसके आँसुओं को एक कुप्पी में रखे या एक पुस्तक में दर्ज़ कर दे, तो उसका क्या मतलब था? (ख) जब हमारे विश्वास की आज़माइश होती है, तो हम क्या भरोसा रख सकते हैं?
15 ऐसा कहने के बाद दाऊद ने भजन 56:8 में दर्ज़ यह दिलचस्प बात कही: “तू मेरे मारे मारे फिरने का हिसाब रखता है; तू मेरे आंसुओं को अपनी कुप्पी में रख ले! क्या उनकी चर्चा तेरी पुस्तक में नहीं है?” यहोवा की कोमल परवाह का उसने क्या ही खूबसूरत शब्दों में बखान किया है! जब हमारे लिए दुःख सहना मुश्किल हो जाता है, तो शायद हम आँसू बहा-बहाकर यहोवा को पुकारें। यहाँ तक कि सिद्ध इंसान यीशु ने भी ऐसा किया था। (इब्रानियों 5:7) दाऊद को कोई शक नहीं था कि यहोवा उसकी हालत देख रहा है, और वह उसकी पीड़ा याद रखेगा, मानो उसने दाऊद के आँसुओं को एक कुप्पी में बंद कर रखा हो या उसकी दर्द भरी दास्तान किसी किताब में दर्ज़ कर दी हो।d आप भी शायद ऐसा ही महसूस करते हों कि आप इतने आँसू बहा रहे हैं कि उन्हें एक कुप्पी में भरा जा सकता है या एक किताब के कई पन्नों में दर्ज़ किया जा सकता है। अगर आप ऐसी नाज़ुक हालत में हैं, तो ढाढ़स बाँधिए। बाइबल हमें भरोसा दिलाती है: “यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।”—भजन 34:18.
-
-
यहोवा ने ‘आपके सिर के बाल भी गिन रखे हैं’प्रहरीदुर्ग—2005 | अगस्त 1
-
-
d पुराने ज़माने में कुप्पियाँ भेड़, बकरी और गाय-बैल की खाल से बनायी जाती थीं। इन पात्रों में दूध, मक्खन, पनीर या पानी रखा जाता था। अगर खाल को अच्छी तरह रंगा जाए तो उससे बनायी जानेवाली कुप्पियों में तेल या दाखरस भी रखा जा सकता था।
-