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  • बुद्धि पाइए और अनुशासन स्वीकार कीजिए
    प्रहरीदुर्ग—1999 | सितंबर 15
    • नीतिवचन की पुस्तक का मकसद उसकी पहली कुछ आयतों में बताया गया है: “दाऊद के पुत्र इस्राएल के राजा सुलैमान के नीतिवचन: इनके द्वारा पढ़नेवाला बुद्धि और शिक्षा प्राप्त करे, और समझ की बातें समझे, और काम करने में प्रवीणता [अंदरूनी समझ पाए], और धर्म, न्याय और सीधाई की शिक्षा पाए; कि भोलों को चतुराई, और जवान को ज्ञान और विवेक [अच्छे-बुरे में फर्क करने की काबिलीयत] मिले।”—नीतिवचन १:१-४.

  • बुद्धि पाइए और अनुशासन स्वीकार कीजिए
    प्रहरीदुर्ग—1999 | सितंबर 15
    • चतुर लोग, मंद-बुद्धि के नहीं होते बल्कि होशियार होते हैं। (नीतिवचन १४:१५) वे आनेवाले खतरे को पहले से भाँप लेते हैं और उसका सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। तो हम कह सकते हैं कि बुद्धि हमें अच्छी तरह सोच-विचार करने में मदद देती है ताकि हमारी ज़िंदगी को एक मकसद मिले। इसलिए बाइबल में दिए गए नीतिवचनों का अध्ययन करना सचमुच फायदेमंद है क्योंकि हमें बुद्धि और अनुशासन देने के लिए इन्हें बाइबल में दर्ज़ किया गया है। इन नीतिवचनों पर ध्यान देने से ‘भोले’ लोग भी चतुर बनेंगे, ‘जवानों’ को ज्ञान मिलेगा और वे अच्छे-बुरे में फर्क करने के काबिल होंगे।

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