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  • परमेश्‍वर के वचन का निजी अध्ययन करने में खुशी पाइए
    प्रहरीदुर्ग—2002 | दिसंबर 1
    • 9 सुलैमान कहता है: “और उसको [समझ को] चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे; . . .।” (नीतिवचन 2:4) इस आयत से हमें याद आता है कि सदियों से लोगों ने खून-पसीना एक करके सोना और चाँदी जैसी कीमती मानी जानेवाली धातुओं को हासिल किया है। सोने के लिए कुछ लोगों ने तो दूसरों की जान भी ले ली है। और दूसरों ने उसकी खोज में पूरी ज़िंदगी लगा दी है। लेकिन, देखा जाए तो सोने की असल कीमत क्या है? मान लीजिए कि आप किसी रेगिस्तान में खो गए हैं और प्यास से मर रहे हैं। ऐसे में आप क्या चाहेंगे: सोने का एक टुकड़ा या एक गिलास पानी? मगर फिर भी लोगों ने सोना हासिल करने के लिए कितना जोश दिखाया है, इसके बावजूद कि यह सिर्फ दिखावटी होता है और इसका भाव हमेशा घटता-बढ़ता रहता है!a जब सोने पर लोग इस तरह मर-मिट रहे हैं, तो फिर हमें बुद्धि और परख-शक्‍ति पाने और परमेश्‍वर और उसकी मरज़ी के बारे में समझ हासिल करने के लिए और कितना जोश दिखाना चाहिए! मगर इससे हमें क्या फायदे होंगे?—भजन 19:7-10; नीतिवचन 3:13-18.

  • परमेश्‍वर के वचन का निजी अध्ययन करने में खुशी पाइए
    प्रहरीदुर्ग—2002 | दिसंबर 1
    • a सन्‌ 1979 से सोने की कीमत में बहुत ज़्यादा उतार-चढ़ाव आया है। सन्‌ 1980 में इसकी कीमत प्रति ग्राम 27.40 डॉलर थी जबकि 1999 में यह घटकर प्रति ग्राम 8.10 डॉलर हो गयी।

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