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बाइबल का अध्ययन करते रहिएखुशी से जीएँ हमेशा के लिए!—ईश्वर से जानें
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पाठ 12
बाइबल का अध्ययन करते रहिए
बाइबल का अध्ययन करना एक खूबसूरत सफर की तरह है। लेकिन कभी-कभी इस सफर में कुछ मुश्किलें आ सकती हैं। तब आप शायद सोचें, ‘क्या मैं आगे भी अध्ययन कर पाऊँगा?’ इस पाठ में हम जानेंगे कि अध्ययन करते रहने से हमें क्या फायदा होगा। और मुश्किलें आने पर क्या बात हमारी मदद करेगी ताकि हम हार न मानें और अध्ययन करते रहें।
1. बाइबल का अध्ययन करते रहने के क्या फायदे हैं?
“परमेश्वर का वचन जीवित है और ज़बरदस्त ताकत रखता है।” (इब्रानियों 4:12) बाइबल के ज़रिए यहोवा खुद हमें बताता है कि वह हमारे बारे में क्या सोचता है और कैसा महसूस करता है। हम बाइबल से बहुत-सी बातें सीखते हैं, लेकिन हम सिर्फ जानकारी लेने के लिए इसे नहीं पढ़ते। इससे हमें सही फैसले करने की समझ और भविष्य के लिए एक अच्छी आशा भी मिलती है। सबसे बढ़कर, बाइबल के ज़रिए हम यहोवा से दोस्ती कर पाते हैं। बाइबल में इतनी ताकत है कि यह हमारी ज़िंदगी बदल सकती है। लेकिन यह तभी हो सकता है जब हम अध्ययन करते रहेंगे।
2. बाइबल में दी सच्चाइयाँ अनमोल हैं, यह बात समझना क्यों ज़रूरी है?
बाइबल में दी सच्चाइयाँ खज़ाने की तरह हैं। इसलिए बाइबल में सलाह दी गयी है कि हम यह खज़ाना ‘हासिल करें और इसे कभी न बेचें।’ (नीतिवचन 23:23, फुटनोट) जब हम यह अच्छी तरह समझ लेते हैं कि बाइबल की सच्चाइयाँ कितनी अनमोल हैं, तो हम कभी हार नहीं मानेंगे और अध्ययन करते रहेंगे।—नीतिवचन 2:4, 5 पढ़िए।
3. अध्ययन करते रहने में यहोवा किस तरह आपकी मदद कर सकता है?
यहोवा पूरे विश्व में सबसे शक्तिशाली है और आपका दोस्त भी है। वह चाहता है कि आप उसे अच्छी तरह जानें और ऐसा करने में वह आपकी मदद करेगा। बाइबल में लिखा है कि वह “तुम्हारे अंदर इच्छा पैदा करता है और उसे पूरा करने की ताकत भी देता है।” (फिलिप्पियों 2:13 पढ़िए।) अगर कभी आपका अध्ययन करने का मन न करे या सीखी बातों पर चलना मुश्किल लगे, तो यहोवा आपके अंदर इच्छा पैदा कर सकता है। यही नहीं, वह आपको मुश्किलों या विरोध का सामना करने की ताकत भी दे सकता है। इसलिए हमेशा यहोवा से प्रार्थना कीजिए, उससे मदद माँगिए ताकि आप अध्ययन करना न छोड़ें।—1 थिस्सलुनीकियों 5:17.
और जानिए
हो सकता है, बाइबल अध्ययन के लिए आपको समय निकालना मुश्किल लगता हो या दूसरे आपका विरोध करते हों। इन हालात में आप कैसे अध्ययन करते रह सकते हैं? यहोवा कैसे आपकी मदद कर सकता है ताकि आप हार न मानें? आइए जानें।
4. बाइबल अध्ययन को अहमियत दीजिए
कभी-कभी हमारे पास इतना काम होता है कि बाइबल अध्ययन के लिए समय निकालना हमें मुश्किल लगता है। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं? फिलिप्पियों 1:10 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
आपको क्या लगता है, ज़िंदगी में कौन-सी बातें “ज़्यादा अहमियत” रखती हैं?
बाइबल अध्ययन को ज़्यादा अहमियत देने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
1. अगर आप एक बाल्टी में पहले रेत डालें, फिर पत्थर, तो उसमें सारे पत्थर नहीं आएँगे
2. अगर आप पहले पत्थर डालें, तो उसमें काफी सारी रेत भी आ जाएगी। उसी तरह, अगर आप उन कामों को पहले करें जो “ज़्यादा अहमियत” रखते हैं, तो आप उन्हें अच्छे-से कर पाएँगे और दूसरे कामों के लिए भी समय निकाल पाएँगे
परमेश्वर ने हमें इस तरह बनाया है कि हमें उसके मार्गदर्शन की ज़रूरत है। और बाइबल का अध्ययन करने से ही यह ज़रूरत पूरी होती है। मत्ती 5:3 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
बाइबल अध्ययन को अहमियत देने के क्या फायदे हो सकते हैं?
5. विरोध होने पर भी हार मत मानिए
शायद कुछ लोगों को यह पसंद न आए कि हम बाइबल पढ़ रहे हैं और वे हमें रोकने की कोशिश करें। फ्रैंचेस्को के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
जब फ्रैंचेस्को ने अपने दोस्तों और माँ को बताया कि वह बाइबल सीख रहा है, तो उन्हें कैसा लगा?
जब फ्रैंचेस्को ने हार नहीं मानी और अध्ययन करना नहीं छोड़ा, तो क्या नतीजा हुआ?
2 तीमुथियुस 2:24, 25 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
आप जो सीख रहे हैं, उस बारे में आपके परिवारवालों और दोस्तों को कैसा लग रहा है?
अगर कोई आपके अध्ययन करने से खुश नहीं है, तो इन वचनों के मुताबिक आपको कैसे पेश आना चाहिए और क्यों?
6. यहोवा पर भरोसा रखिए, वह आपकी मदद करेगा
जब हम यहोवा को जानने लगते हैं, तो हम उसे खुश करना चाहते हैं। लेकिन खुद को बदलना और यहोवा के हिसाब से जीना कभी-कभी मुश्किल हो सकता है। अगर आपको भी ऐसा लगता है, तो हिम्मत मत हारिए। यहोवा आपकी मदद करेगा। वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
जिम ने यहोवा को खुश करने के लिए अपने अंदर क्या-क्या सुधार किए?
उनमें से कौन-सी बात आपको सबसे अच्छी लगी?
इब्रानियों 11:6 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
यहोवा उन लोगों के लिए क्या करता है जो “पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं,” यानी जो उसे जानने और खुश करने की कोशिश करते हैं?
इस वचन के मुताबिक जब आप हर हाल में अध्ययन करते रहते हैं, तो यहोवा को कैसा लगता है?
शायद कोई पूछे: “तुम बाइबल क्यों पढ़ रहे हो?”
आप क्या कहेंगे?
अब तक हमने सीखा
बाइबल अध्ययन करते रहना आसान नहीं होता। लेकिन ऐसा करने से ही हम हमेशा के लिए खुशी से जी पाएँगे। यहोवा पर भरोसा रखिए, वह आपकी मदद करेगा।
आप क्या कहेंगे?
बाइबल में दी सच्चाइयों को आप क्यों अनमोल समझते हैं?
बाइबल अध्ययन को “ज़्यादा अहमियत” देने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
अध्ययन करते रहने के लिए हमें क्यों यहोवा से मदद माँगनी चाहिए?
ये भी देखें
चार तरीके जानिए जिन्हें अपनाने से कई लोग समय का सही इस्तेमाल कर पाए हैं।
एक औरत के पति को यह बात पसंद नहीं थी कि वह बाइबल का अध्ययन कर रही है। वीडियो में देखिए कि यहोवा ने कैसे उस औरत की मदद की।
जानिए कि जब एक औरत ने हार नहीं मानी, तो उसके पति को क्या फायदा हुआ।
कई लोग यहोवा के साक्षियों पर इलज़ाम लगाते हैं कि वे परिवारों में फूट डालते हैं। क्या यह सच है?
“क्या यहोवा के साक्षी घर तोड़ते हैं या उन्हें टूटने से बचाते हैं?” (jw.org पर दिया लेख)
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अच्छे फैसले कैसे करें?खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!—ईश्वर से जानें
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पाठ 35
अच्छे फैसले कैसे करें?
हम सबको फैसले लेने होते हैं। कई फैसले ऐसे होते हैं जिनका हमारी ज़िंदगी पर और यहोवा के साथ हमारी दोस्ती पर गहरा असर होता है। जैसे, शादी या परिवार को लेकर हम क्या फैसले करेंगे, कहाँ रहेंगे या घर का गुज़ारा कैसे चलाएँगे। जब हम सोच-समझकर फैसले करते हैं, तो हम ज़िंदगी में खुश रहते हैं और यहोवा का दिल भी खुश करते हैं।
1. अच्छे फैसले करने में बाइबल किस तरह हमारी मदद कर सकती है?
किसी मामले में फैसला लेने से पहले हमें यहोवा से मदद के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। फिर हमें बाइबल में खोजबीन करनी चाहिए कि यहोवा उस बारे में क्या सोचता है। (नीतिवचन 2:3-6 पढ़िए।) कुछ मामलों के बारे में यहोवा ने बाइबल में सीधे-सीधे आज्ञा दी है कि हमें क्या करना चाहिए। ऐसे में यहोवा की आज्ञा मानना ही सबसे अच्छा होगा।
लेकिन जब किसी मामले में बाइबल में सीधे-सीधे आज्ञा नहीं दी गयी है, तब हम क्या करेंगे? यहोवा तब भी हमारी मदद करेगा और ‘जिस राह पर हमें चलना चाहिए,’ वह राह दिखाएगा। (यशायाह 48:17) हमारी मदद करने के लिए यहोवा ने बाइबल में कुछ सिद्धांत लिखवाए हैं। ये ऐसी सच्चाइयाँ हैं जिनसे पता चलता है कि किसी मामले के बारे में यहोवा क्या सोचता है और कैसा महसूस करता है। अकसर बाइबल का कोई किस्सा पढ़कर हम यहोवा की सोच जान पाते हैं। जब हम समझ जाते हैं कि यहोवा की सोच क्या है और वह कैसा महसूस करता है, तो हम ऐसे फैसले ले पाते हैं जिससे यहोवा खुश होता है।
2. फैसला लेने से पहले हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
कुछ मामलों में अलग-अलग फैसले लिए जा सकते हैं। ऐसे में हमें क्या करना चाहिए? बाइबल में लिखा है, “होशियार इंसान हर कदम सोच-समझकर उठाता है।” (नीतिवचन 14:15) इसका मतलब, कोई भी फैसला लेने से पहले हमें उसके बारे में अच्छे-से सोचना चाहिए। हम खुद से पूछ सकते हैं, ‘बाइबल का कौन-सा सिद्धांत मेरी मदद कर सकता है? यह फैसला लेने से मुझे बाद में कैसा लगेगा? मेरे फैसले का दूसरों पर क्या असर होगा? सबसे ज़रूरी बात, क्या यहोवा मेरे फैसले से खुश होगा?’—व्यवस्थाविवरण 32:29.
यहोवा को यह बताने का हक है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। उसने सही-गलत में फर्क करने के लिए हमें कई नियम और सिद्धांत दिए हैं। यही नहीं, उसने हमें ज़मीर भी दिया है। (रोमियों 2:14, 15) इसलिए जब हम यहोवा के नियमों और सिद्धांतों को अच्छी तरह जानेंगे और हर हाल में उन्हें मानेंगे, तब हम अपने ज़मीर को सही तरह से ढाल रहे होंगे। फिर यह ज़मीर सही या अच्छे फैसले करने में हमारी मदद करेगा।
और जानिए
ध्यान दीजिए कि फैसले लेने में बाइबल के सिद्धांत और हमारा ज़मीर किस तरह हमारी मदद करते हैं।
3. बाइबल आपको सही राह दिखाती है
फैसला करते वक्त बाइबल के सिद्धांत किस तरह आपकी मदद कर सकते हैं? वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
यहोवा ने हमें क्या करने की आज़ादी दी है?
उसने हमें खुद फैसला करने की आज़ादी क्यों दी?
बढ़िया फैसला करने के लिए यहोवा ने हमें क्या मदद दी है?
आइए बाइबल के एक सिद्धांत पर ध्यान दें। इफिसियों 5:15, 16 पढ़िए। फिर चर्चा कीजिए कि ‘आपके पास जो वक्त है, उसका आप सही इस्तेमाल’ कैसे कर सकते हैं . . .
ताकि आप रोज़ बाइबल पढ़ सकें?
ताकि आप एक अच्छे पति या पत्नी, माँ-बाप या बेटा-बेटी बन सकें?
ताकि आप सभाओं में जा सकें?
4. अच्छे फैसले करने के लिए अपने ज़मीर को ढालिए
जब बाइबल में सीधे-सीधे कोई नियम दिया होता है, तो फैसला लेना आसान होता है। पर जिस बारे में कोई नियम नहीं है, तब हम फैसला कैसे कर सकते हैं? वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
वीडियो में बहन ने क्या कदम उठाया ताकि वह बाइबल के मुताबिक अपने ज़मीर को ढाल सके और ऐसा फैसला ले सके, जिससे यहोवा खुश हो?
हमें क्यों दूसरों से यह नहीं कहना चाहिए कि वे हमारे लिए फैसले लें? इब्रानियों 5:14 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
दूसरों से पूछना शायद ज़्यादा आसान लगे, लेकिन हमें खुद क्या करना आना चाहिए?
किन चीज़ों की मदद से आप अपने ज़मीर को ढाल सकते हैं और अच्छे फैसले ले सकते हैं?
एक नक्शे की तरह ज़मीर हमें राह दिखाता है और सही फैसला लेने में हमारी मदद करता है
5. दूसरों के ज़मीर का ध्यान रखिए
एक इंसान जो फैसला करता है, वह दूसरों से बिलकुल अलग हो सकता है। तो फैसला लेते वक्त हम दूसरों के ज़मीर का कैसे खयाल रख सकते हैं? दो हालात पर गौर कीजिए:
1: एक बहन दूसरी मंडली में जाने लगी है। बहन को मेकअप करना बहुत पसंद है। पर नयी मंडली में ज़्यादातर बहनों को यह देखकर अच्छा नहीं लगता कि कोई मेकअप करे।
रोमियों 15:1 और 1 कुरिंथियों 10:23, 24 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
इन वचनों के मुताबिक वह बहन शायद क्या करने की सोचे? अगर आपका ज़मीर आपको कोई काम करने से नहीं रोकता, लेकिन दूसरे का ज़मीर उसे रोकता है, तो आप क्या करेंगे?
2: एक भाई जानता है कि हद में रहकर शराब पीना बाइबल के मुताबिक गलत नहीं है। फिर भी उसने फैसला किया है कि वह शराब नहीं पीएगा। उसे कहीं खाने पर बुलाया जाता है और वह देखता है कि वहाँ मंडली के भाई शराब पी रहे हैं।
सभोपदेशक 7:16 और रोमियों 14:1, 10 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
इन वचनों के मुताबिक वह भाई शायद क्या करने की सोचे? अगर आप किसी को कोई ऐसा काम करते हुए देखते हैं जो आपके ज़मीर को सही नहीं लगता, तो आप क्या करेंगे?
अच्छे फैसले लेने के लिए क्या करें?
1. प्रार्थना कीजिए: यहोवा से मदद माँगिए कि आप अच्छे फैसले कर सकें।—याकूब 1:5.
2. खोजबीन कीजिए: बाइबल और बाइबल पर आधारित प्रकाशनों में ऐसे सिद्धांत ढूँढ़िए जिनसे आपको मदद मिल सकती है। आप चाहें तो अनुभवी भाई-बहनों से भी बात कर सकते हैं।
3. मनन कीजिए: सोचिए कि आपके फैसले का आपके ज़मीर पर और दूसरों के ज़मीर पर क्या असर होगा।
कुछ लोग कहते हैं: “मेरी मरज़ी मैं कुछ भी करूँ। दूसरे क्या सोचते हैं, इससे मुझे क्या?”
हमें इस बात का क्यों ध्यान रखना चाहिए कि परमेश्वर क्या सोचता है और दूसरे क्या सोचते हैं?
अब तक हमने सीखा
सही या अच्छे फैसले करने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि किसी मामले के बारे में यहोवा कैसा महसूस करता है। और यह भी सोचना ज़रूरी है कि हमारे फैसले का दूसरों पर अच्छा असर होगा या बुरा।
आप क्या कहेंगे?
आप किस तरह ऐसे फैसले कर सकते हैं जिससे यहोवा खुश हो?
आप अपने ज़मीर को कैसे ढाल सकते हैं ताकि अच्छे फैसले कर सकें?
फैसला लेते वक्त आप दूसरों के ज़मीर का कैसे ध्यान रख सकते हैं?
ये भी देखें
ऐसे फैसले कैसे लें ताकि परमेश्वर के साथ आपकी दोस्ती गहरी हो?
“ऐसे फैसले लीजिए जिनसे परमेश्वर की महिमा हो” (प्रहरीदुर्ग, 15 अप्रैल, 2011)
आइए इस बात को और अच्छे-से समझें कि यहोवा किस तरह हमें राह दिखाता है।
एक आदमी को एक मुश्किल फैसला लेना था। आइए देखें कि यह फैसला लेने में किन बातों ने उसकी मदद की?
जब किसी मामले के बारे में यहोवा हमें सीधे-सीधे नहीं बताता कि हमें क्या करना है, तो उस वक्त भी हम यहोवा का दिल कैसे खुश कर सकते हैं? आइए जानें।
“क्या आपको हमेशा बाइबल से नियमों की ज़रूरत है?” (प्रहरीदुर्ग, 1 दिसंबर, 2003)
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