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  • कुदरत क्या सिखाती है?
    सजग होइए!—2006 | अक्टूबर
    • छिपकली के पंजों की नकल करना

      इंसान ज़मीन पर रहनेवाले जानवरों से भी बहुत कुछ सीख सकता है। छिपकली की मिसाल लीजिए। वह दीवारों पर चढ़ सकती है और छतों पर उलटी लटक सकती है। छिपकली की इस काबिलीयत का राज़ क्या है जो गुरुत्वाकर्षण बल को भी बेअसर कर देती है?

      छिपकली के पंजों में किसी तरह का गोंद नहीं होता बल्कि उनमें छोटे-छोटे रोएँ होते हैं। इसलिए वह शीशे जैसी चिकनी सतह पर भी आसानी से चढ़ सकती है। जब छिपकली किसी सतह के संपर्क में आती है, तो पंजों और सतह में मौजूद अणुओं के बीच ‘वान्डर वाल’ नाम की कमज़ोर शक्‍तियाँ पैदा होती हैं जो छिपकली को सतह से चिपकाए रखती हैं। आम तौर पर गुरुत्वाकर्षण बल इन शक्‍तियों से ज़्यादा प्रबल होता है, इसलिए एक इंसान दीवार पर हाथ रखकर नहीं चढ़ सकता। लेकिन छिपकली अपने रोओं की वजह से गुरुत्वाकर्षण बल को बेअसर कर देती है। उसके पंजों में मौजूद हज़ारों रोएँ जब किसी दीवार के संपर्क में आते हैं, तो ‘वान्डर वाल’ शक्‍तियाँ इतनी ज़बरदस्त हो जाती हैं कि ये पूरे छिपकली का वज़न दीवार से चिपकाए रखती हैं।

      इस खोज को किस तरह इस्तेमाल किया जा सकता है? छिपकली के पंजों की नकल करके ऐसी कृत्रिम चीज़ें बनायी जा सकती हैं जो वैलक्रो की जगह काम आ सकें। दरअसल वैलक्रो को भी कुदरत की नकल करके ही बनाया गया था।a दी इकॉनमिस्ट पत्रिका में एक खोजकर्ता ने कहा कि “अगर ऐसी पट्टी बनायी जाए जिसकी बनावट छिपकली के पंजों के रोएँ जैसी हो,” तो यह “मरहम-पट्टी करने में बहुत काम आ सकती है, खासकर तब जब ऐसी पट्टियाँ इस्तेमाल नहीं की जा सकतीं जिनमें गोंद होता है।”

  • कुदरत क्या सिखाती है?
    सजग होइए!—2006 | अक्टूबर
    • छिपकली के पंजे न तो गंदे होते हैं, ना ही ये निशान छोड़ते हैं। ये टेफलॉन को छोड़ किसी भी सतह पर बड़ी आसानी से चिपक सकते या उससे अलग हो सकते हैं। खोजकर्ता इन पंजों की नकल करने की कोशिश में लगे हुए हैं

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