क्या आपके लक्ष्य ऐसे हैं, जिन्हें आप हासिल कर सकें?
● आप अपनी ज़िंदगी में क्या हासिल करना चाहते हैं? क्या आप ऐसी उम्मीदें रखते हैं जिन्हें पाना आपके बस में होता है, या फिर आप कल्पनाओं की दुनिया में खोए रहते हैं? इंसानी स्वभाव को बखूबी समझनेवाले एक व्यक्ति ने बुद्धि भरी यह सलाह दी: “वे वस्तुएं जो तुम्हारे पास है, उनमें संतोष करना अच्छा है बजाय इसके कि और लगन लगी रहे। सदा अधिक की कामना करते रहना निरर्थक है। यह वैसे ही है जैसे वायु को पकड़ने का प्रयत्न करना।”—सभोपदेशक 6:9, ईज़ी-टू-रीड वर्शन।
“वे वस्तुएं जो तुम्हारे पास है,” इन शब्दों का मतलब है हमारी हकीकत और आज की ज़िंदगी। यह सच है कि अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करना गलत नहीं है। लेकिन इस आयत में बाइबल कहना चाहती है कि एक बुद्धिमान इंसान अपनी ज़िंदगी में ऐसे लक्ष्य नहीं रखेगा जिन्हें वह हासिल न कर सके। ये लक्ष्य शोहरत हासिल करना, ढेर सारा पैसा कमाना, एक अच्छा जीवन-साथी चुनना या बेहतरीन सेहत पाना हो सकता है।
इसके अलावा, हो सकता है अपना लक्ष्य हासिल करने के बाद भी लोग और ज़्यादा पाने की ख्वाहिश रखें। जैसे शायद ढेर सारा पैसा कमाने के बाद भी उनकी भूख न मिटे। बाइबल सीधे-सीधे कहती है: “जो रुपये से प्रीति रखता है वह रुपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है।” (सभोपदेशक 5:10) इसलिए जो लोग चीज़ों को परमेश्वर के नज़रिए से देखते हैं, वे ‘उन वस्तुओं से’ संतुष्ट रहते हैं ‘जो उनके पास हैं।’ वे इस सच्चाई को मानते हैं: “हम न तो दुनिया में कुछ लाए हैं, न ही यहाँ से कुछ ले जा सकते हैं।”—1 तीमुथियुस 6:7.
सबसे ज़्यादा खुशी उन्हीं लोगों को मिलती है, जो परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने की अपनी भूख को संतुष्ट करते हैं। (मत्ती 5:3) हम अपनी यह भूख कैसे मिटा सकते हैं? यीशु मसीह ने कहा: “इंसान सिर्फ रोटी से ज़िंदा नहीं रह सकता, बल्कि उसे यहोवा के मुँह से निकलनेवाले हर वचन से ज़िंदा रहना है।” (मत्ती 4:4) ये अनमोल बातें बाइबल में लिखी हैं और इन्हें जो चाहे मुफ्त ले सकता है।
ऐसी ही एक बात भजन 37:4 में पायी जाती है। वहाँ लिखा है: “यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा।” यहोवा सर्वशक्तिमान परमेश्वर है और वह अपने वफादार उपासकों को वे सारी चीज़ें देगा जो कोई इंसान नहीं दे सकता: धरती पर फिरदौस में अच्छी सेहत, ज़रूरत की सारी चीज़ें और हमेशा की ज़िंदगी। (लूका 23:43; प्रकाशितवाक्य 21:3, 4) ये बातें ख्वाब नहीं हैं। (g11-E 02)