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  • आधुनिक जीवन के लिए एक व्यावहारिक किताब
    सब लोगों के लिए एक किताब
    • एक व्यक्‍ति का शारीरिक स्वास्थ्य अकसर उसके मानसिक और भावात्मक स्वास्थ्य से प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए, वैज्ञानिक अध्ययनों ने क्रोध के हानिकर प्रभावों को सिद्ध किया है। ड्यूक यूनिवर्सिटी मॆडिकल सॆंटर में व्यवहार अनुसंधान के निदेशक, डॉ. रॆडफ़र्ड विलियम्स्‌ और उनकी पत्नी, वर्जीनिया विलियम्स्‌ अपनी किताब, क्रोध घातक है में कहते हैं: “मौजूदा ज़्यादातर सबूत संकेत करते हैं कि झगड़ालू लोगों को अनेक कारणों से हृदय-संबंधी रोग (साथ ही अन्य बीमारियाँ) होने का बड़ा ख़तरा है। इन कारणों में कम दोस्त होना, क्रोधित होने पर शरीर पर बहुत ज़्यादा असर पड़ना, और स्वास्थ्य के लिए ख़तरा पैदा करनेवाले कामों में पड़ जाना शामिल है।”१३

      ऐसे वैज्ञानिक अध्ययन किए जाने के हज़ारों साल पहले, बाइबल ने सरल लेकिन स्पष्ट शब्दों में हमारी भावात्मक अवस्था और हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के बीच संबंध जोड़ा: “शान्त मन, तन का जीवन है, परन्तु मन के जलने से हड्डियां भी जल जाती हैं।” (नीतिवचन १४:३०; १७:२२) बुद्धिमानी से, बाइबल सलाह देती है: “क्रोध से परे रह, और जलजलाहट को छोड़ दे,” और “अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो।”—भजन ३७:८; सभोपदेशक ७:९.

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    • “अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो, क्योंकि क्रोध मूर्खों ही के हृदय में रहता है।” (सभोपदेशक ७:९) भावनाएँ कामों से पहले आती हैं। जो व्यक्‍ति जल्द नाराज़ हो जाता है वह मूर्ख है, क्योंकि उसका ऐसा करना बिना सोचे-विचारे शब्दों और कार्यों की ओर ले जा सकता है।

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