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अभी और सर्वदा के लिए आनन्दितप्रहरीदुर्ग—1996 | फरवरी 15
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१७, १८. किस अर्थ में, अब एक परादीस अस्तित्व में है, और इसका हम पर क्या असर होता है?
१७ सो हम आयत १ से ८ तक की वर्तमान पूर्ति को ध्यान में रखते हुए यशायाह अध्याय ३५ को देख सकते हैं। क्या यह स्पष्ट नहीं है कि हम ने उसे पाया है जिसे उचित रूप से एक आध्यात्मिक परादीस कहा जाता है? जी नहीं, यह परिपूर्ण नहीं है—अब तक तो नहीं। लेकिन यह वास्तव में एक परादीस है, क्योंकि यहाँ हम पहले ही, जैसे आयत २ में कहा गया है, ‘यहोवा की शोभा और हमारे परमेश्वर का तेज देख’ सकते हैं। और इसका असर क्या है? आयत १० कहती है: “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।” सचमुच, झूठे धर्म से हमारा बाहर निकलना और परमेश्वर के अनुग्रह तले सच्ची उपासना में लगे रहना आनन्द उत्प्रेरक है।
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अभी और सर्वदा के लिए आनन्दितप्रहरीदुर्ग—1996 | फरवरी 15
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२४. यशायाह ३५:१० में दी गयी अभिव्यक्ति के साथ आप क्यों सहमत हो सकते हैं?
२४ यशायाह हमें आश्वस्त करता है: “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा।” सो हम सहमत हो सकते हैं कि हमारे पास आनन्द से जयजयकार करने के लिए कारण है। हमारे आध्यात्मिक परादीस में अपने लोगों के लिए यहोवा अब जो कर रहा है उस पर आनन्द, और निकट भविष्य में शाब्दिक परादीस में हम जिसकी प्रत्याशा कर सकते हैं उस पर आनन्द। आनन्दित लोगों के बारे में—हमारे बारे में—यशायाह लिखता है: “वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा”—यशायाह ३५:१०.
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