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  • “मेरी प्रजा को शान्ति दो”
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • 26, 27. बाबुल की बंधुआई में रहनेवालों की भावनाएँ कैसे ज़ाहिर की गयी हैं, और उन्हें किन बातों का पता होना चाहिए?

      26 यहोवा यह जानता है कि सालों तक गुलामी में रहने की वजह से यहूदियों की हिम्मत टूट जाएगी, इसलिए वह उनका ढाढ़स बँधाने देने के लिए पहले ही यशायाह को ये शब्द लिखने के लिए प्रेरित करता है: “हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्‍वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता? क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्‍वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है।”—यशायाह 40:27,28.d

      27 यशायाह उन शब्दों को लिखता है जिनके ज़रिए यहोवा गुलामी में रहनेवाले यहूदियों की भावनाएँ ज़ाहिर कर रहा है, जो अपने वतन से सैकड़ों किलोमीटर दूर बाबुल में हैं। कुछ यहूदी सोचते हैं कि उनका “मार्ग” यानी मुसीबतों से भरा उनका जीवन यहोवा को नज़र नहीं आता या वह नहीं जानता। उन्हें लगता है कि जो अन्याय वे सह रहे हैं, उसकी यहोवा को कोई परवाह नहीं है। लेकिन उन्हें वे बातें याद दिलायी जाती हैं जो उन्हें पता होनी चाहिए। चाहे उन्होंने यह खुद अनुभव न किया हो, मगर जो जानकारी उन्हें अपने पुरखाओं से मिली थी उससे उन्हें यह पता होना चाहिए कि यहोवा अपने लोगों को छुटकारा दिलाने के काबिल है और उन्हें छुटकारा दिलाना चाहता भी है। वह सनातन परमेश्‍वर और सारी पृथ्वी का सिरजनहार है। इसलिए, उसके पास अब भी वह ताकत है जो उसने सृष्टि करते वक्‍त इस्तेमाल की थी और शक्‍तिशाली बाबुल भी उसकी पहुँच से बाहर नहीं है। ऐसा परमेश्‍वर थक नहीं सकता और ना ही वह अपने लोगों को निराश कर सकता है। वे इस बात की उम्मीद नहीं कर सकते कि वे यहोवा के सभी कामों को अच्छी तरह समझ पाएँगे, क्योंकि उसकी समझ, या उसका ज्ञान, परख-शक्‍ति, उनकी समझ से परे है।

  • “मेरी प्रजा को शान्ति दो”
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • d यशायाह 40:28 में, शब्द “सनातन” का मतलब है “युगानुयुग” क्योंकि यहोवा “सनातन राजा” है।—यशायाह 40:28; 1 तीमुथियुस 1:17.

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