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  • सही प्रकार के संदेशवाहक की पहचान कराना
    प्रहरीदुर्ग—1997 | मई 1
    • ७, ८. बाबुल के लिए यशायाह के पास कौन-सा उत्प्रेरित संदेश था, और उसके शब्दों का क्या अर्थ था?

      ७ यहूदा और यरूशलेम को ७० साल तक, बिना किसी इंसानी बस्ती के उजाड़ पड़ा रहना था। लेकिन, यहोवा ने यशायाह और यहेजकेल के ज़रिए घोषणा की कि शहर पुनःनिर्मित होगा और भूमि ठीक उसी समय पर बसाई जाएगी जो समय उसने पूर्वबताया था! यह एक आश्‍चर्यजनक पूर्वकथन था। क्यों? क्योंकि बाबुल अपने क़ैदियों को कभी न छोड़ने के लिए जाना जाता था। (यशायाह १४:४, १५-१७) तो फिर इन बंदियों को संभवतः कौन छुड़ा सकता था? शक्‍तिशाली बाबुल को, उसकी विशालकाय दीवारों और जल-रक्षा प्रणाली के रहते कौन हरा सकता था? सर्वशक्‍तिमान यहोवा ऐसा करता! और उसने कहा कि वह हराएगा: “मैं . . . जो गहिरे जल [यानि, शहर की जलीय रक्षा] से कहता [हूँ], तू सूख जा, मैं तेरी नदियों को सुखाऊंगा; जो कुस्रू के विषय में कहता है, वह मेरा ठहराया हुआ चरवाहा है और मेरी इच्छा पूरी करेगा; यरूशलेम के विषय कहता है, वह बसाई जाएगी और मन्दिर के विषय कि तेरी नेव डाली जाएगी।”—यशायाह ४४:२५, २७, २८.

      ८ ज़रा सोचिए! फ़रात नदी, इंसानों के लिए एक सचमुच दुर्जेय बाधा, यहोवा के लिए तपते हुए अंगारे पर पानी की एक बूँद के समान थी। पलक झपकते ही, वह गायब हो जाती! बाबुल गिर जाता। हालाँकि यह फ़ारसी कुस्रू के जन्म से लगभग १५० साल पहले था, यहोवा ने इस राजा द्वारा बाबुल पर क़ब्ज़ा किए जाने के बारे में, यशायाह के ज़रिए पूर्वबताया। साथ ही कुस्रू द्वारा यहूदी बंदियों को यरूशलेम और उसके मंदिर का पुनःनिर्माण करने के लिए लौटने की अनुमति देने के द्वारा उनका छुड़ाया जाना भी पूर्वबताया।

  • सही प्रकार के संदेशवाहक की पहचान कराना
    प्रहरीदुर्ग—1997 | मई 1
    • ११. बाबुल के निवासियों ने सकुशल क्यों महसूस किया?

      ११ जिस समय कुस्रू ने बाबुल पर चढ़ाई की, तब उसके नागरिक बहुत सुरक्षित और सकुशल महसूस करते थे। उनका शहर, फ़रात नदी से बनी एक गहरी और चौड़ी बचाव-खंदक से घिरा हुआ था। शहर के बीच जहाँ से नदी निकलती थी, वहाँ उसके पूर्वी किनारे पर एक निरंतर घाट बना हुआ था। उसे शहर से अलग करने के लिए, नबूकदनेस्सर ने एक ऐसी रचना की जिसे उसने कहा “एक विशाल दीवार, जो एक पहाड़ की तरह हिलाई नहीं जा सकती थी . . . उसकी चोटी [उसने] पहाड़ जितनी ऊँची उठाई।”a इस दीवार में पीतल के विशालकाय किवाड़ोंवाले फाटक थे। उनमें प्रवेश करने के लिए, एक व्यक्‍ति को नदी के किनारे से ढलान पर चढ़ना पड़ता। कोई ताज्जुब नहीं कि बाबुल के क़ैदी कभी आज़ाद होने की उम्मीद छोड़ बैठे थे!

      १२, १३. जब कुस्रू ने बाबुल पर क़ब्ज़ा किया, तो अपने संदेशवाहक यशायाह के ज़रिए कहे गए यहोवा के शब्द कैसे सच साबित हुए?

      १२ लेकिन जिन यहूदी बंदियों का यहोवा में विश्‍वास था, उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी थी! उनके पास एक उज्ज्वल आशा थी। अपने भविष्यवक्‍ताओं के ज़रिए, परमेश्‍वर ने उनको मुक्‍त कराने का वादा किया था। परमेश्‍वर ने अपना वादा कैसे पूरा किया? कुस्रू ने अपनी सेना को हुक्म दिया कि फ़रात नदी को एक स्थान पर मोड़ दें। यह स्थान बाबुल से कई किलोमीटर दूर था। इस तरह, शहर की मुख्य सुरक्षा को एक सूखे से नदीतल में बदल दिया गया। उस निर्णायक रात को, बाबुल में नशे में धुत्त रंगरेलियाँ मनानेवालों ने फ़रात के किनारेवाले हिस्से पर, दो-पल्ले के किवाड़ लापरवाही से खुले छोड़ दिए थे। यहोवा ने पीतल के किवाड़ों को सचमुच तोड़ नहीं डाला; ना ही उसने उन किवाड़ों को बंद करनेवाले लोहे के बेड़ों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए, लेकिन उन्हें खुला और बंधन-मुक्‍त रखने के उसके अद्‌भुत युक्‍तिचालन का वही असर हुआ। बाबुल की दीवारें कोई काम नहीं आयीं! अंदर जाने के लिए कुस्रू की फ़ौज को उन पर चढ़ना नहीं पड़ा। यहोवा कुस्रू के आगे-आगे चला, “ऊंची ऊंची भूमि,” जी हाँ, सभी बाधाओं को हटाते हुए। यशायाह को परमेश्‍वर का सच्चा संदेशवाहक साबित किया गया।

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