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  • ‘प्रसन्‍नता का समय’
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • 22. यहोवा कैसे बताता है कि वह अपने लोगों को कभी नहीं भूलेगा?

      22 यशायाह अब यहोवा के फैसले सुनाने लगता है। वह भविष्यवाणी करता है कि इस्राएली बंधुए शायद निराश होकर हिम्मत हारने लगेंगे। यशायाह कहता है: “सिय्योन ने कहा, यहोवा ने मुझे त्याग दिया है, मेरा प्रभु मुझे भूल गया है।” (यशायाह 49:14) लेकिन क्या यह सच है? क्या यहोवा ने अपने लोगों को त्याग दिया है और वह उन्हें भूल गया है? यहोवा की तरफ से यशायाह आगे कहता है: “क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता।” (यशायाह 49:15) यहोवा ने कितना प्यार-भरा जवाब दिया! एक माँ अपने बच्चे से जितना प्यार करती है, उससे कहीं बढ़कर परमेश्‍वर अपने लोगों से प्यार करता है। उसे हर घड़ी अपने वफादार जनों का ध्यान रहता है। वह उन्हें ऐसे याद रखता है मानो उसने उनके नाम अपने हाथों पर खोद कर लिख लिए हों: “देख, मैंने तेरा नाम अपनी हथेली पर खोद कर लिख लिया है; तेरी शहरपनाह निरन्तर मेरे सामने है।”—यशायाह 49:16, NHT.

      23. पौलुस ने मसीहियों की हिम्मत बँधाते हुए कैसे भरोसा दिलाया कि यहोवा उन्हें कभी नहीं भूलेगा?

      23 गलतियों को लिखी अपनी पत्री में, प्रेरित पौलुस ने यह कहकर वहाँ के मसीहियों का हौसला बढ़ाया: “हम भले काम करने में हियाव न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।” (गलतियों 6:9) और इब्रानी मसीहियों की हिम्मत बँधाते हुए उसने लिखा: “परमेश्‍वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये . . . दिखाया।” (इब्रानियों 6:10) हमें कभी ऐसा महसूस नहीं करना चाहिए कि यहोवा अपने लोगों को भूल गया है। प्राचीन सिय्योन की तरह, आज मसीहियों के पास भी आनंद मनाने और धीरज धरते हुए यहोवा की बाट जोहने का ठोस कारण है। यहोवा अपनी वाचा की शर्तों और वादों से कभी नहीं मुकरता।

  • ‘प्रसन्‍नता का समय’
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • 25. आज के ज़माने में आत्मिक इस्राएल कैसे दोबारा आबाद हुआ?

      25 ये शब्द आज के ज़माने में भी पूरे हुए हैं। पहले विश्‍वयुद्ध के दौरान, आत्मिक इस्राएल पर बहुत-सी मुसीबतें आयीं और वह कुछ समय के लिए उजड़ गया और बंधुआई में चला गया। मगर उसे दोबारा बसाया गया और वह आध्यात्मिक फिरदौस में आ गया। (यशायाह 35:1-10) आत्मिक इस्राएल भी उस देश की तरह मानो उजड़ गया था जिसका वर्णन यशायाह ने किया। मगर जब उसने देखा कि वह ऐसे लोगों से आबाद हो गया जो पूरे जोश और आनंद से यहोवा की उपासना करते हैं, तो वह खुशी से भर गया।

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