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  • परमेश्‍वर की प्रजा के लिए शांति
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • 12. जब इंसान परमेश्‍वर के सेवकों की निंदा करते हैं तो उन्हें डरने की ज़रूरत क्यों नहीं है?

      12 ‘धार्मिकता पर चलनेवालों’ से अब यहोवा कहता है: “हे धार्मिकता के जाननेवालो, हे मेरे लोगो, जिनके हृदय में मेरी व्यवस्था है, मेरी सुनो: मनुष्य की निन्दा से भयभीत न होओ, न ही उनके ठट्ठों से विस्मित होओ, क्योंकि कीड़ा उन्हें वस्त्र के समान और कृमि उन्हें ऊन के सदृश चट कर जाएगा, परन्तु मेरी धार्मिकता सर्वदा बनी रहेगी और मेरा उद्धार पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।” (यशायाह 51:7,8, NHT) यहोवा पर भरोसा रखनेवाले बड़ी हिम्मत से उसका पक्ष लेते हैं और इस वजह से उन्हें बदनाम किया जाता है और उनका ठट्ठा उड़ाया जाता है। लेकिन जो उनकी निंदा करते हैं वे नाशमान मनुष्य हैं। वे वैसे ही ‘चट हो जाएंगे’ जैसे ऊनी कपड़े को कृमि खा जाता है।a प्राचीन समय के उन वफादार यहूदियों की तरह, आज सच्चे मसीहियों को भी अपने विरोधियों से डरने की कोई ज़रूरत नहीं। क्योंकि सनातन परमेश्‍वर यहोवा उनका उद्धार करनेवाला है। (भजन 37:1,2) दरअसल जब परमेश्‍वर के दुश्‍मन उसके लोगों की निंदा करते हैं, तो यह इस बात का सबूत है कि यहोवा की आत्मा उसके लोगों पर है।—मत्ती 5:11,12; 10:24-31.

  • परमेश्‍वर की प्रजा के लिए शांति
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • a यहाँ जिस कृमि की बात की गयी है वह जाला बुननेवाला, कपड़ों में लगनेवाला कीड़ा है। और यहाँ उसके लार्वा चरण की बात की गयी है, जिसमें वह कपड़ों के लिए बहुत खतरनाक होता है।

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