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“एक संग उमंग में आकर जयजयकार करो”!यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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7. यहोवा के लोगों के बंदी बनाए जाने से उसके नाम पर कैसा असर पड़ा?
7 जैसे कि भविष्यवाणी दिखाती है, यहोवा के लोगों के बंधुआई में होने से, उसके नाम पर भी बन आती है: “इसलिये यहोवा की यह वाणी है कि मैं अब यहां क्या करूं जब कि मेरी प्रजा सेंतमेंत हर ली गई है? यहोवा यह भी कहता है कि जो उन पर प्रभुता करते हैं वे उधम मचा रहे हैं, और, मेरे नाम की निन्दा लगातार दिन भर होती रहती है। इस कारण मेरी प्रजा मेरा नाम जान लेगी; वह उस समय जान लेगी कि जो बातें करता है वह यहोवा ही है; देखो, मैं ही हूं।” (यशायाह 52:5,6) इस मामले में यहोवा क्यों इतनी दिलचस्पी ले रहा है? बाबुल की बंधुआई में पड़े इस्राएलियों के लिए वह क्यों इतना फिक्रमंद है? बाबुल ने यहोवा के लोगों पर कब्ज़ा कर लिया है और उन पर जीत हासिल करने की खुशी में ऊधम मचा रहा है। बाबुल न सिर्फ डींगें मारता है बल्कि यहोवा के नाम की तौहीन भी कर रहा है। इसलिए यहोवा को कदम उठाना ही पड़ेगा। (यहेजकेल 36:20,21) बाबुल यह समझ नहीं पा रहा है कि यहोवा अपने लोगों से नाराज़ है और इसी वजह से यरूशलेम की यह दुर्दशा हुई है। इसके बजाय, वह यहूदियों को अपना गुलाम बनाकर यह सोचता है कि उनका परमेश्वर कमज़ोर है। और-तो-और, बाबुल पर अपने पिता के साथ राज करनेवाला बेलशस्सर, यहोवा की खिल्ली भी उड़ा रहा है। वह अपने देवी-देवताओं के सम्मान में रखी गयी एक दावत में, यहोवा के मंदिर के पात्रों को इस्तेमाल कर रहा है।—दानिय्येल 5:1-4.
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“एक संग उमंग में आकर जयजयकार करो”!यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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9, 10. आज के ज़माने में, परमेश्वर के चुने हुए लोगों ने यहोवा के स्तरों और उसके नाम के बारे में कैसी गहरी समझ पायी है?
9 सन् 1919 में, जब महान कुस्रू, यीशु मसीह ने परमेश्वर के चुने हुए लोगों को बड़े बाबुल से छुड़ाया, तब से उन्होंने और अच्छी तरह समझा कि परमेश्वर उनसे क्या माँग करता है। इससे पहले ही उन्होंने ईसाईजगत की ऐसी कई शिक्षाओं को ठुकराकर खुद को शुद्ध कर लिया था जिनकी जड़ें मसीही धर्म की शुरूआत से पहले के झूठे धर्मों में थीं। ये शिक्षाएँ थीं, त्रिएक, आत्मा की अमरता और नरक की आग में अनंत यातना। अब वे बड़े बाबुल से छूटने के बाद अपने दामन से झूठे धर्म का हर दाग मिटाने में लग गए। उन्हें यह भी एहसास हुआ कि दुनिया के राजनीतिक मामलों में पूरी तरह से निष्पक्षता बनाए रखना कितना ज़रूरी है। वे खुद को ऐसे रक्तदोष से भी शुद्ध करना चाहते थे जो उनमें से कुछ लोगों पर शायद अनजाने में आ पड़ा हो।
10 परमेश्वर के इन सेवकों को यहोवा के नाम की अहमियत के बारे में और भी गहरी समझ मिली। इसलिए सन् 1931 में उन्होंने ‘यहोवा के साक्षी’ नाम अपनाया। ऐसा करके उन्होंने दुनिया के सामने ऐलान किया कि वे यहोवा और उसके नाम के समर्थक हैं। इतना ही नहीं, 1950 से यहोवा के साक्षियों ने न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल छापनी शुरू की, जिसमें उन्होंने परमेश्वर के नाम को उन सभी जगहों में दोबारा इस्तेमाल किया जहाँ उसे होना चाहिए। जी हाँ, वे यहोवा के नाम की कदर जान गए हैं और धरती के कोने-कोने तक इस नाम का ऐलान कर रहे हैं।
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