क्या विवाह ही आनन्द की एकमात्र कुंजी है?
“जिस से चाहे विवाह कर सकती है, परन्तु केवल प्रभु में। परन्तु जैसी है यदि वैसी ही रहे, . . . तो और भी आनन्दित है।”—१ कुरिन्थियों ७:३९, ४०.
१. शास्त्र वचन यहोवा का वर्णन कैसे करते हैं, और उन्होंने अपने प्राणियों के लिए क्या किया है?
यहोवा “आनंदपूर्ण परमेश्वर” है। (१ तीमुथियुस १:११, NW) “हर एक अच्छे वरदान और दान” के उदार प्रबन्धक होने के नाते वह अपनी सारी बुद्धिमान सृष्टि—मनुष्य और आत्मिक—को ठीक वही उपलब्ध कराते हैं जो उन्हें उसकी सेवा में आनन्दित रहने के लिए ज़रूरी है। (याकूब १:१७) चहचहाती चिड़िया, खिलवाड़ करता हुआ पिल्ला, और प्रसन्न डॉलफ़िन, यह सब इस बात का प्रमाण देते हैं कि यहोवा ने पशुओं को भी उनके अपने-अपने स्वभाविक स्थानों में जीवन का आनन्द लेने के लिए बनाया है। भजनहार काव्यरूप में यहाँ तक भी कहता है कि “यहोवा के वृक्ष तृप्त रहते हैं, अर्थात लबानोन के देवदार जो उसी के लगाए हैं।”—भजन संहिता १०४:१६.
२. (क) क्या बात यह प्रगट करती है कि यीशु अपने पिता कि इच्छा पूरी करने में आनन्द प्राप्त करते हैं? (ख) यीशु के चेलों के पास आनन्दित होने के क्या कारण थे?
२ यीशु मसीह ‘परमेश्वर का सच्चा प्रतिरूप’ है। (इब्रानियों १:३) इस लिए यह कोई आश्चार्य की बात नहीं कि यीशु को “परमधन्य और अद्वैत अधिपति” कहा जाए। (१ तिमुथियुस ६:१५) वह हमें एक बेहतरीन उदाहरण देता है कि कैसे यहोवा की इच्छा पूरी करना निश्छल प्रसन्नता उत्पन्न करते हुए भोजन से ज़्यादा तृप्ति दे सकता है। यीशु हमें यह भी दिखाता है कि परमेश्वर का भय मानकर चलना, अर्थात् उसे बड़ा आदर देना और अप्रसन्न करने का उचित भय रखना कितना आनन्दायक हो सकता है। (भजन संहिता ४०:८; यशायाह ११:३; यूहन्ना ४:३४) जब ७० चेले राज्य प्रचार कार्य के दौरे से “आनन्द के साथ” लौटे, तब यीशु स्वयं “आत्मा में होकर आनन्द से भर गया।” प्रार्थना में अपने पिता को अपना आनन्द व्यक्त करने के बाद, वह चेलों के पास लौटा और कहा: “धन्य हैं वे आँखे, जो ये बातें जो तुम देखते हो देखती हैं। क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से भविष्यवक्ताओं और राजाओं ने चाहा, कि जो बातें तुम देखते हो, देखें; पर न देखीं और जो बात तुम सुनते हो सुनें, पर न सुनीं।”—लूका १०:१७-२४.
आनन्दित होने के कारण
३. आनन्दित होने के कुछेक कारण क्या हैं?
३ इस अन्त के समय में परमेश्वर के वचन और उद्देश्यों की पूर्ति होते हुए देखकर क्या हमारी आँखों को आनन्दित नहीं होना चाहिए? क्या हमें उन भविष्यवाणियों की समझ पाकर अति आनन्दित नहीं होना चाहिए जिन्हें यशायाह, दानिय्येल, और दाऊद जैसे विश्वासयोग्य भविष्यवक्ताएँ और राजाओं भी नहीं समझ सके थे? क्या हम अपने परमधन्य अधिपति, राजा यीशु मसीह, की अगुवाई में आनंदपूर्ण परमेश्वर, यहोवा की सेवा करने में आनन्दित नहीं होते? हाँ, हम आनन्दित होते हैं!
४, ५. (क) यहोवा की सेवा में आनन्दित बने रहने के लिए हमें किस चीज़ से दूर रहना चाहिए? (ख) आनन्द प्राप्ति के लिए कुछेक चीजें क्या हैं, और इससे क्या प्रश्न उठता है?
४ परन्तु, यदि हम परमेश्वर की सेवा में आनन्दित बने रहना चाहते हैं, हमें आनन्द के लिए अपनी पूर्वापेक्षाएं सांसारिक विचारों पर आधारित नहीं करनी चाहिए। ये हमारे विचारों को आसानी से धुंधला सकते हैं, क्योंकि इन में भौतिक संपत्ति, दिखावटी जीवन शैली, और ऐसी अन्य बातें सम्मिलित हैं। ऐसी बातों पर आधारित कैसा भी “आनन्द” थोड़े ही समय तक रहेगा, क्योंकि यह संसार मिटता जा रहा है।—१ यूहन्ना २:१५-१७.
५ यहोवा के अधिकांश समर्पित सेवक इस बात को समझते हैं कि सांसारिक लक्ष्यों की प्राप्ति सच्चा आनन्द नहीं देगी। केवल हमारा स्वर्गीय पिता ही आध्यात्मिक और भौतिक चीज़ों को प्रदान करता है जो उसके सेवकों के सच्चे आनंद में योग देती है। हम कितने कृतज्ञ हैं कि वह हमें “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के द्वारा आध्यात्मिक भोजन देता है। (मत्ती २४:४५-४७) शारीरिक भोजन व अन्य भौतिक वस्तुएं, जो हम परमेश्वर के प्यार भरे हाथों से प्राप्त करते हैं, के लिए भी हम आभारी हैं। फिर, विवाह और पारिवारिक जीवन संबंधी आनन्द का भी अद्भुत तोहफ़ा हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अपनी विधवा बहुओं के लिए नाओमी ने अपनी हार्दिक इच्छा इन शब्दों द्वारा व्यक्त की: “यहोवा तुम्हें वरदान दें कि तुम फिर पति करके उनके घरों में विश्राम पाओ।” (रुत १:९, NW) अत: विवाह वह कुंजी है जो बड़े आनन्द का द्वार खोल सकती है। परन्तु आनन्दित जीवन का द्वार खोलने के लिए क्या विवाह एकमात्र कुंजी है? विशेषकर युवा लोगों को गंभीरता से जाँचने की आवश्यकता है कि वास्तव में क्या ऐसा ही है।
६. उत्पत्ति के अनुसार, विवाह का प्रबंध का प्राथमिक उद्देश्य क्या था?
६ विवाह के उद्गम का वर्णन करते हुए, बाइबल कहती है: “तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरुप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने स्वरुप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। और परमेश्वर ने उनको आशिष दी: ‘फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो।’” (उत्पत्ति १:२७, २८) यहोवा ने विवाह की संस्थापना करके और अधिक मनुष्यों को अस्तित्व में लाने के लिए, आदम को उपयोग में लाया गया ताकि मानवजाति का विस्तार हो सके। परन्तु विवाह में इससे कहीं अधिक बातें सम्मिलित हैं।
“केवल प्रभु में”
७. विवाह की मांगों को पूरा करने के लिए एक वफ़ादार कुलपति ने क्या-क्या प्रयत्न किए?
७ क्योंकि यहोवा विवाह का निर्माता है, इस लिए हम उसी से अपेक्षा करेंगे कि वह ही विवाह के स्तरों को निर्धारित करे, जिसके परिणामस्वरूप उसके सेवक आनन्द से रह सकें। कुलपतियों के समय में वे लोग जो यहोवा के उपासक नहीं थे, उनसे विवाह करना दृढ़तापूर्वक विरोध किया जाता था। इब्राहीम ने अपने सेवक एलीएज़ेर को यहोवा के नाम से शपथ खिलाई कि वह कुलपति के पुत्र इसहाक के लिए कनानियों में से पत्नी नहीं लाएगा। एलीएज़ेर ने इब्राहीम के निर्देशों का गंभीरतापूर्वक पालन करते हुए एक लंबी यात्रा की ताकि वह ‘अपने स्वामी के पुत्र के लिए उसी स्त्री को ला सके जिसे यहोवा ने ठहराया है।’ (उत्पत्ति २४:३, ४४) अत: इसहाक ने रिबका से विवाह किया। जब उनके पुत्र एसाव ने मूर्तिपूजक हित्तियों में से स्त्रियों को ब्याह लिया, तब इन स्त्रियों के “कारण इसहाक और रिबका के मन को खेद हुआ।”—उत्पत्ति २६:३४, ३५; २७:४६; २८:१, ८.
८. व्यवस्था की वाचा के द्वारा विवाह पर क्या प्रतिबंध लगाया गया था, और क्यों?
८ व्यवस्था की वाचा के अधीन, अमुक-अमुक कनानी जातियों के पुरुष या स्त्रियों से विवाह करना निषेध था। यहोवा ने अपने लोगों को निर्देश दिया: “न उनसे ब्याह शादी करना, न तो अपनी बेटी उनके बेटों को ब्याह देना, और न उनकी बेटी को बेटे के लिए ब्याह लेना। क्योंकि वे तेरे बेटों को मेरे पीछे चलने से बहकाएंगी; और इस कारण यहोवा का कोप तुम पर भड़क उठेगा, और वह तुझ को शीघ्र सत्यानाश कर डालेगा।”—व्यवस्थाविवरण ७:३, ४.
९. बाइबल मसीहियों को विवाह के विषय में क्या सलाह देती है?
९ यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि यहोवा की उपासना नहीं करनेवाले से विवाह करने के समान प्रतिबंध मसीही कलीसिया में भी लागू होते हैं। प्रेरित पौलुस ने अपने संगी विश्वासियों को यह सलाह दी: “अविश्वासियों के साथ असमान जुए में न जुतो, क्योंकि धार्मिकता और अधर्म का क्या मेल जोल? या ज्योति और अंधकार की क्या संगति? और मसीह का बलियाल के साथ क्या लगाव? या विश्वासी के साथ अविश्वासी का क्या नाता?” (२ कुरिन्थियों ६:१४, १५) वह सलाह कई प्रकार से लागू होती है, और निश्चय ही यह विवाह के संबंध में लागू होती है। यहोवा के समस्त समर्पित लोगों के लिए पौलुस की सुस्पष्ट सलाह यह है कि वे केवल उसी से विवाह करें “जो प्रभु के साथ एकता में है।”—१ कुरिन्थियों ७:३९, NW, फुटनोट।
“प्रभु में” विवाह करने में असमर्थ
१०. अनेक अविवाहित मसीही क्या कर रहे हैं, और इससे क्या प्रश्न उठता है?
१० अनेक अविवाहित मसीहीयों ने अविवाहित रहने के वरदान को पोषित करने के द्वारा मसीह के आदर्श पर चलने का चुनाव किया है। और फिर, वर्तमान समय में परमेश्वर का भय मानने वाले साथी को न खोज पाने के कारण, जिससे “प्रभु में” विवाह हो सके, अनेक वफ़ादार मसीहियों ने यहोवा पर अपना भरोसा रखा है और अविश्वासी के साथ विवाह करने की अपेक्षा वे अविवाहित ही रहे हैं। परमेश्वर की आत्मा उनमें आनन्द, शान्ति, विश्वास, और संयम जैसे फलों को उत्पन्न कराती है जिससे वे विशुद्ध अविवाहित दशा को बनाए रखने में समर्थ होते हैं। (गलतियों ५:२२, २३) ईश्वर भक्ति की परीक्षा का सफलता पूर्वक सामना करने वालों में हमारी मसीही बहनों की काफी संख्या है, जिनका हम गहरा सम्मान करते हैं। अनेक देशों में उनकी संख्या भाइयों की तुलना में अधिक है और इस कारण प्रचार कार्य में उनका प्रमुख हिस्सा है। सच में, “यहोवा आज्ञा देता है; तब शुभ समाचार सुनाने वालियों की बड़ी सेना हो जाती है।” (भजन संहिता ६८:११) वास्तव में परमेश्वर के अनेक अविवाहित सेवकों ने, स्त्री और पुरुष, अपनी खराई बनाए रखा है, क्योंकि वे ‘संपूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखते हैं, और वह उनके लिए सीधा मार्ग निकलता है।’ (नीतिवचन ३:५, ६) परन्तु, वे जो अभी “प्रभु में” विवाह नहीं कर सकते हैं, निश्चय ही दुःखी रहेंगे?
११. जो मसीही बाइबल के सिद्धांतों का आदर करने के कारण अविवाहित रहते हैं, वे किस बात से आश्वस्त हो सकते हैं?
११ हमें यह याद रखना चाहिए कि हम आनन्दित परमेश्वर, यहोवा, के गवाह हैं, और हम परमधन्य अधिपति, यीशु मसीह, के अधीन सेवा करते हैं। अतः यदि बाइबल में स्पष्टत: दिए गए प्रतिबंधों के प्रति हमारा आदर हमें इस लिए अविवाहित रहने को प्रेरित करता है क्योंकि हम “प्रभु में” विवाह योग्य साथी पाने में असमर्थ हैं, तो क्या यह सोचना तर्कसंगत होगा कि यहोवा और मसीह हमें दु:खी अवस्था में छोड़ देंगे? निश्चय ही नहीं। इस लिए हमें मान लेना चाहिए कि अविवाहित दशा में भी एक मसीही के तौर पर आनन्दित रहना संभव है। चाहे हम विवाहित हों या अविवाहित, यहोवा हमें सचमुच आनन्दित रख सकते हैं।
सच्चे आनन्द की कुंजी
१२. अनाज्ञाकारी स्वर्गदूतों के साथ हुई घटना विवाह के विषय में क्या सूचित करती है?
१२ परमेश्वर के सभी सेवकों के लिए विवाह ही आनन्द की एकमात्र कुंजी नहीं है। उदाहरण के लिए, स्वर्गदूतों को लीजिए। जल प्रलय से पहले, कुछ स्वर्गदूतों ने ऐसी अभिलाषाओं को उत्पन्न किया जो आत्मिक प्राणियों के लिए अस्वाभाविक थीं और विवाह नहीं कर सकने की वजह से असंतुष्ट हो गए तथा स्त्रियों को पत्नी बनाने के लिए भौतिक देह धारण कर ली। परमेश्वर ने “उनको भी उस भीषण दिन के न्याय के लिए अंधकार में जो सदा काल के लिए है बंधनों में रखा है,” क्योंकि उन्होंने “अपने निज निवास को छोड़ दिया” था। (यहूदा ६; उत्पत्ति ६:१, २) यह स्पष्ट है कि परमेश्वर ने स्वर्गदूतों के लिए विवाह का प्रबन्ध नहीं किया था। इस लिए स्पष्ट है कि विवाह उनके आनन्द की कुंजी नहीं हो सकती।
१३. पवित्र स्वर्गदूत क्यों आनन्दित हैं, और यह परमेश्वर के सभी सेवकों के लिए क्या सूचित करता है?
१३ फिर भी, वफ़ादार स्वर्गदूत आनन्दित हैं। “भोर के तारों के आनन्दित संगीत और परमेश्वर के [स्वर्गदूतीय] पुत्रों की संगत के साथ-साथ” यहोवा ने इस पृथ्वी की नींव डाली। (अय्यूब ३८:७, The New Jerusalem Bible) पवित्र स्वर्गदूत क्यों आनन्दित हैं? इसलिए कि वे निरंतर यहोवा की सेवा में लगे हैं, “उसके वचन का शब्द सुनते हैं” कि उसको पूरा करें। “उसकी प्रसन्नता है वह करने में” उन्हें बहुत आनन्द आता है। (भजन संहिता १०३:२०, २१, NW, फुटनोट) हाँ, पवित्र स्वर्गदूतों का आनन्द वफ़ादारी से यहोवा की सेवा करने के द्वारा आता है। मनुष्यों के लिए भी सच्चे आनन्द की कुंजी यही है। ऐसा देखा जाए तो विवाहित अभिषिक्त मसीही, जो अभी आनन्दपूर्वक परमेश्वर की सेवा कर रहे हैं, स्वर्गीय जीवन के लिए पुनरुत्थान पाने पर विवाह नहीं करेंगे, परन्तु वे आत्मिक प्राणियों के रूप में इश्वरीय इच्छा को पूरा करते हुए आनन्दित रहेंगे। तब यहोवा के समस्त वफ़ादार सेवक, चाहे विवाहित हों या अविवाहित, आनन्दित हो सकते हैं, क्योंकि आनन्द का सच्चा आधार सृष्टिकर्ता की वफ़ादारी से सेवा करना है।
‘पुत्र और पुत्रियों से भी उत्तम वस्तु’
१४. प्राचीन इस्राएल में परमेश्वर का भय मानने वाले खोजों को कौनसी भविष्यसूचक प्रतिज्ञा दी गई थी, और यह बात क्यों विचित्र-सी लगेगी?
१४ यदि एक वफ़ादार मसीही कभी विवाह न भी करे तब भी परमेश्वर उसके आनन्द को निश्चित कर सकता है। प्राचीन इस्राएल के खोजों को संबोधित भविष्यवाणी रूपी इन वचनों से प्रोत्साहन प्राप्त किया जा सकता है: “क्योंकि जो खोजे मेरे विश्राम दिन को मानते और जिस बात से मैं प्रसन्न रहता हूँ उसी को अपनाते और मेरी वाचा को पालते हैं, उनके विषय यहोवा यों कहते हैं: ‘मैं अपने भवन और अपनी शहरपनाह के भीतर उनको ऐसा नाम दूंगा जो पुत्र-पुत्रियों से कहीं उत्तम होगा; मैं उनका नाम सदा बनाए रखूंगा और वह कभी न मिटाया जाएगा।’” (यशायाह ५६:४, ५) शायद किसी ने ऐसी अपेक्षा की होगी कि इन लोगों को पत्नी और बच्चे दिये जाएंगे ताकि उनका नाम चलता रहे। परन्तु उन्हें “पुत्र-पुत्रियों से कहीं उत्तम” वस्तु देने की प्रतिज्ञा की गई थी—यहोवा के भवन में स्थायी नाम।
१५. यशायाह ५६:४, ५ की पूर्ति के विषय में क्या कहा जा सकता है?
१५ यदि इन खोजों को “परमेश्वर के इस्राएल” से संबंधित भविष्सूचक चित्रण समझा जाए, तब ये उन अभिषिक्त मसीहियों को चित्रित करते हैं जो यहोवा के आध्यात्मिक भवन, या मंदिर में स्थायी स्थान पाते हैं। (गलतियों ६:१६) निस्संदेह, यह भविष्यवाणी शाब्दिक रूप से प्राचीन इस्राएल के परमेश्वर का भय माननेवाले खोजों पर पूरी होगी जो पुनरुत्थान में जी उठेंगे। यदि वे मसीह का छुड़ौती रूपी बलिदान को स्वीकार करेंगे और जिस बात में यहोवा को प्रसन्नता होती है वही करने का चुनाव करते रहेंगे, तब वे परमेश्वर के नए संसार में ‘सदा का नाम’ प्राप्त करेंगे। इन अन्त के दिनों में यह बात उन “अन्य भेड़ों” पर भी लागू हो सकती है जो यहोवा की सेवा में अपने आप को और पूरी तरह लगाने के लिए विवाह और मातृ-पितृत्व को त्याग देते हैं। (यूहन्ना १०:१६) उन में से कुछ लोग शायद अविवाहित और बिना संतान के ही मर जाएं। परन्तु यदि वे वफ़ादार रहते हैं, तब वे जी उठने पर “पुत्र-पुत्रियों से कहीं उत्तम” वस्तु पाएंगे—अर्थात् वह नाम जो नए संसार में “कभी न मिटाया जाएगा।”
विवाह ही आनन्द की एकमात्र कुंजी नहीं है
१६. ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि विवाह द्वारा सर्वदा आनन्द की प्राप्ति नहीं होती है?
१६ कुछ लोगों का ऐसा विचार है कि आनन्द का विवाह से एक अविभाज्य संबंध है। लेकिन, यह तो मानना ही होगा कि आज यहोवा के गवाहों के मध्य भी, विवाह सर्वदा आनन्द नहीं लाता है। विवाह कुछ समस्याओं को तो हल करता है, परन्तु अक़सर अन्य समस्याएं उत्पन्न करता है जिनका सामना करना अविवाहित लोगों की समस्याओं का सामना करने से कहीं अधिक कठिन है। पौलुस ने कहा है कि विवाह “शारीरिक दुख” लाता है। (१ कुरिन्थियों ७:२८) विवाहित व्यक्ति कभी-कभी “चिन्तित” और “विभाजित” होता है। चाहे स्त्री हों या पुरुष, प्राय: उन्हें ‘एक चित्त होकर प्रभु की सेवा में लगे रहने’ में कठिनाई होती है।—१ कुरिन्थियों ७:३३-३५.
१७, १८ (क) कुछ सफ़री अध्यक्षों ने क्या रिर्पोट दी है? (ख) पौलुस ने क्या सलाह दी, और इस पर चलना क्यों लाभप्रद है?
१७ दोनों विवाह और अविवाहित दशा परमेश्वर की ओर से वरदान हैं। (रूत १:९; मत्ती १९:१०-१२) दशा चाहे कोई भी क्यों न हो, उस में सफलता पाने के लिए प्रार्थनापूर्वक विचार करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। सफ़री अध्यक्ष यह रिर्पोट देते हैं कि अनेक गवाह बहुत छोटी उम्र में ही विवाह कर रहे हैं, अक़सर ज़िम्मेवारियों को संभालने से पहले ही वे माता-पिता बन जाते हैं। ऐसे कुछ विवाह टूट जाते हैं। अन्य दम्पत्ति अपनी समस्याओं का सामना करते हैं, परन्तु उनके विवाह ने उन्हें आनन्द नहीं दिया। जैसे कि एक अँग्रेज नाटककार विलियम काँग्रीव ने लिखा कि जो जल्दबाजी में विवाह करते हैं वे “फुरसत से पछताएँगे।”
१८ सर्किट अध्यक्ष यह भी रिर्पोट देते हैं कि कुछ युवा भाई बेथेल सेवा या मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल के लिए आवेदन पत्र इस लिए देने से पीछे हट जाते हैं क्योंकि उनसे कुछ समय तक अविवाहित रहने की मांग की जाती है। परन्तु पौलुस ने सलाह दी है कि “जवानी ढलने” से पहले विवाह न करें यानी तब तक रूकें जब तक कि प्राथमिक काम-वासनाएं शान्त न हो जाएँ। (१ कुरिन्थियों ७:३६-३८) अविवाहित वयस्क के रूप में बिताया गया समय एक व्यक्ति को बहुमूल्य अनुभव और अंतर्दृष्टि दे सकता है, जिससे या तो वह एक अच्छे विवाहित साथी का चुनाव करने की बेहतर स्थिति में होगा या फिर अविवाहित रहने के लिए ध्यानपूर्वक लिया निर्णय ले सकेगा।
१९. यदि हमें विवाह करने की वास्तव में आवश्यकता नहीं है तो हम परिस्थितियों को किस दृष्टि से देखेंगे?
१९ हम में से कुछ लोगों की जवानी ढल चुकी है, जिस में यौन-संबंध के लिए तीव्र इच्छा होती है। शायद हम कभी-कभी विवाह की आशिषों पर विचार करें, परन्तु हमें दरअसल अविवाहित दशा का वरदान मिला है। यहोवा शायद देख सकते हैं कि हम अविवाहित दशा में रहकर उनकी सेवा प्रभावशील ढंग से करते हैं और हमें विवाह करने की कोई वास्तविक आवश्यकता नहीं, जिसके कारण हमें शायद सेवा के कुछ विशेष अनुग्रहों को छोड़ना पड़ेगा। यदि विवाह करना एक व्यक्तिगत आवश्यकता नहीं है और हमें जीवन साथी नहीं मिला है, तो शायद परमेश्वर ने हमारे लिए कुछ और रखा है। इस लिए आओ, हम उन पर विश्वास रखें कि वे हमारी आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। अत्याधिक आनन्द तब मिलता है जब हम नम्रतापूर्वक वही स्वीकार करते हैं जो हमारे लिए प्रगट रूप में यहोवा की इच्छा है, वैसे ही जैसे यहूदी भाई यह जानने पर “चुप रहे, और परमेश्वर की बड़ाई” की, कि परमेश्वर ने अन्यजातियों को भी पश्चात्ताप करने का अवसर दिया है, ताकि वे भी जीवन पा सकें।—प्रेरितों ११:१-१८.
२०. (क) युवा मसीहियों के लिए अविवाहित जीवन के संबंध में यहाँ क्या सलाह दी गई है? (ख) आनन्द के विषय में कौनसी बुनियादी बात सच है?
२० इस लिए, विवाह आनन्द की कुंजी हो सकता है, परन्तु यह समस्याओं का द्वार भी खोल सकता है। एक बात तो निश्चित है: आनन्द पाने के लिए विवाह ही एकमात्र उपाय नहीं है। सब बातों पर विचार करने के बाद, ख़ासकर मसीही युवकों के लिए बुद्धिमत्ता होगी कि कई वर्ष तक अविवाहित रहने का प्रयत्न करें। यहोवा की सेवा तथा अपनी आध्यात्मिकता में प्रगति करने के लिए ये वर्ष भली-भाँति लगाए जा सकते हैं। फिर भी, उनके लिए जो बिना शर्त के परमेश्वर के प्रति समर्पित हैं, जिनकी उम्र और आध्यात्मिक प्रगति कैसी भी क्यों न हो, बुनियादी सच्चाई यही है: सच्चा आनन्द वफ़ादारी से यहोवा की सेवा करने से ही प्राप्त होता है।
आप क्या उत्तर देंगे?
▫ यहोवा के सेवक क्यों आनन्दित हैं?
▫ विवाह अत्याधिक आनन्द की कुंजी क्यों नहीं है?
▫ जीवन साथी के चुनाव में, यहोवा के लोगों से क्या माँग की जाती है?
▫ ऐसा विश्वास करना क्यों तर्कसंगत है कि अविवाहित रहने वाले मसीही भी आनन्दित हो सकते हैं?
▫ विवाह और आनन्द के संबंध में क्या बात माननी ही पड़ेगी?