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  • यहोवा दीन-हीन लोगों में नयी जान फूँकता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • 18. यहोवा की महानता का वर्णन किन शब्दों में किया गया है, लेकिन इतना महान होने के बावजूद वह कैसे प्यार और परवाह दिखाता है?

      18 अब यशायाह, अपनी भविष्यवाणी में वही बात कहता है, जिसका हवाला शुरू में दिया गया है: “जो महान और उत्तम और सदैव स्थिर रहता, और जिसका नाम पवित्र है, वह यों कहता है, मैं ऊंचे पर और पवित्र स्थान में निवास करता हूं, और उसके संग भी रहता हूं, जो खेदित और नम्र है, कि, नम्र लोगों के हृदय [“दीन-हीन लोगों में नयी जान फूंक दूँ,” NW] और खेदित लोगों के मन को हर्षित करूं।” (यशायाह 57:15) यहोवा का सिंहासन सबसे ऊँचे स्वर्ग में है। उससे ऊँचा या उससे महान पद और किसी का नहीं हो सकता। यह जानकर हमें कितना सुकून मिलता है कि वह स्वर्ग से सबकुछ देखता है, सिर्फ दुष्टों के पापों को ही नहीं बल्कि उसके सेवकों के धार्मिकता के कामों को भी! (भजन 102:19; 103:6) इतना ही नहीं, वह ज़ुल्म सहनेवालों की कराहें भी सुनता है और खेदित या कुचले हुओं के मन में नयी जान फूँक देता है। ये शब्द, प्राचीन समय के उन यहूदियों के दिल को किस कदर छू गए होंगे जिन्होंने पश्‍चाताप दिखाया था। बेशक, आज इन शब्दों का हम पर भी गहरा असर पड़ता है।

  • यहोवा दीन-हीन लोगों में नयी जान फूँकता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • 21. (क) यहोवा ने 1919 में अभिषिक्‍त मसीहियों में कैसे नयी जान फूँकी? (ख) अपने अंदर कौन-सा गुण बढ़ाना हममें से हरेक के लिए अच्छा होगा?

      21 “महान और उत्तम” परमेश्‍वर यहोवा ने सन्‌ 1919 में अभिषिक्‍त शेष जनों की हालत के लिए भी चिंता ज़ाहिर की। जब उन्होंने पश्‍चाताप और नम्रता दिखायी तो महान और दयालु परमेश्‍वर, यहोवा ने उनके दुःख को देखा और उन्हें बड़े बाबुल की बेड़ियों से आज़ाद किया। उसने उनके रास्ते में आनेवाली हर बाधा दूर की और उन्हें आज़ाद किया ताकि वे उसकी शुद्ध उपासना कर सकें। इस तरह यशायाह के कहे यहोवा के शब्द उस वक्‍त भी पूरे हुए। और उन शब्दों में हम ऐसे सिद्धांत पाते हैं जो सदा कायम रहेंगे और जिन पर हममें से हरेक को चलना चाहिए। यहोवा सिर्फ ऐसे लोगों की उपासना कबूल करता है जो मन के दीन हैं। और अगर परमेश्‍वर का कोई भी सेवक पाप करता है, तो उसे फौरन अपनी गलती मानकर, ताड़ना स्वीकार करनी चाहिए और अपने तौर-तरीके बदलकर गलतियों को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। हम यह कभी न भूलें कि यहोवा नम्र लोगों को चंगा करता और उन्हें शांति देता है, मगर वह “अभिमानियों से विरोध करता है।”—याकूब 4:6.

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