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यहोवा दीन-हीन लोगों में नयी जान फूँकता हैयशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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22. (क) पश्चाताप दिखानेवालों, और (ख) दुष्टों के भविष्य के बारे में यहोवा क्या बताता है?
22 अब यहोवा बताता है कि पश्चाताप दिखानेवालों का भविष्य उन लोगों से कितना अलग होगा जो अपने बुरे कामों में लगे रहते हैं: “[मैं] उनके होंठों का फल से स्तुति उत्पन्न करूंगा। . . . जो दूर है उसे शान्ति मिले और जो निकट है उसे भी शान्ति मिले, और मैं उसको चंगा करूंगा।’ परन्तु दुष्ट तो अशान्त समुद्र के समान है; क्योंकि वह चुप रह ही नहीं सकता, और उसकी लहरें कूड़ा-करकट और कीचड़ उछालती हैं। ‘दुष्टों के लिए शान्ति है ही नहीं।’”—यशायाह 57:19-21, NHT, फुटनोट।
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यहोवा दीन-हीन लोगों में नयी जान फूँकता हैयशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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24. (क) परमेश्वर की शांति कौन पाएँगे, और इसका नतीजा क्या होगा? (ख) कौन शांति नहीं पाएँगे, और उनका क्या अंजाम होगा?
24 जब यहूदी बड़े आनंद से यहोवा की स्तुति में गीत गाते हुए वापस अपने देश लौटे होंगे, तो उन्होंने क्या ही उत्तम होठों के फल चढ़ाए होंगे। वे चाहे “दूर,” यहूदा देश लौटने के इंतज़ार में हों या फिर “निकट” यानी अपने देश में पहुँच गए हों, वे परमेश्वर की शांति पाकर कितने हर्षित होंगे। दूसरी तरफ, दुष्टों का अंजाम कितना अलग होगा! यहोवा की ताड़ना को ठुकरानेवाले इन दुष्ट लोगों को किसी भी हाल में शांति नहीं मिलेगी, फिर चाहे उनकी हैसियत जो भी हो और वे कहीं भी क्यों न रहते हों। वे अशांत समुद्र की तरह हलचल मचाते रहेंगे और होठों के फल के बजाय “कूड़ा-करकट और कीचड़” यानी हर किस्म की गंदी चीज़ उछालते रहेंगे।
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