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कपट का परदाफाश!यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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17. यहोवा अपने लोगों से सब्त के नियम मानने की किस तरह गुज़ारिश करता है?
17 सब्त का दिन इस बात का सबूत था कि परमेश्वर को अपने लोगों के शारीरिक और आध्यात्मिक कल्याण की गहरी चिंता है। यीशु ने कहा था: “सब्त का दिन मनुष्य के लिये बनाया गया है।” (मरकुस 2:27) यहोवा ने उस दिन को पवित्र ठहराया था और यह इस्राएलियों के लिए एक खास मौका था जब वे परमेश्वर के लिए अपना प्यार दिखा सकते थे। मगर अफसोस, यशायाह के समय तक यह दिन सिर्फ खोखली रस्में मानने और अपना स्वार्थ पूरा करने का दिन बन गया था। इसलिए एक बार फिर अपने लोगों को ताड़ना देने का सवाल यहोवा के सामने आ गया। फिर से वह उनके दिल तक अपनी बात पहुँचाने की कोशिश करता है। वह उनसे कहता है: “यदि तू विश्रामदिन को अशुद्ध न करे अर्थात् मेरे उस पवित्र दिन में अपनी इच्छा पूरी करने का यत्न न करे, और विश्रामदिन को आनन्द का दिन और यहोवा का पवित्र किया हुआ दिन समझकर माने; यदि तू उसका सन्मान करके उस दिन अपने मार्ग पर न चले, अपनी इच्छा पूरी न करे, और अपनी ही बातें न बोले, तो तू यहोवा के कारण सुखी होगा, और मैं तुझे देश के ऊंचे स्थानों पर चलने दूंगा; मैं तेरे मूलपुरुष याकूब के भाग [“विरासत,” NW] की उपज में से तुझे खिलाऊंगा, क्योंकि यहोवा ही के मुख से यह वचन निकला है।”—यशायाह 58:13,14.
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कपट का परदाफाश!यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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19. अगर परमेश्वर के लोग सब्त के नियम मानने लगें तो उनको कैसी बढ़िया आशीषें मिलेंगी?
19 लेकिन, यहूदियों के पास अभी मौका है कि वे अपनी गलती से सबक सीखें और सब्त के नियम मानना फिर से शुरू करें। ऐसा करने पर वे यहोवा से ढेरों आशीषें पा सकते हैं। सच्ची उपासना करने और सब्त का आदर करने से उनकी ज़िंदगी आशीषों और खुशियों से भर जाएगी। (व्यवस्थाविवरण 28:1-13; भजन 19:7-11) एक आशीष यह होगी कि यहोवा उनको ‘देश के ऊंचे स्थानों पर चलाएगा।’ इन शब्दों का मतलब है कि यहोवा उन्हें सुरक्षित रखेगा और उन्हें अपने दुश्मनों पर जीत दिलाएगा। ऊँचे स्थानों यानी पहाड़ियों और पहाड़ों पर जिसका अधिकार होता है, पूरे देश पर उसी का कब्ज़ा होता है। (व्यवस्थाविवरण 32:13; 33:29) एक वक्त था, जब इस्राएल जाति यहोवा की आज्ञा मानती थी और यहोवा उसकी रक्षा करता था जिस वजह से दूसरी जातियाँ न सिर्फ उसका आदर करती थीं बल्कि उससे खौफ भी खाती थीं। (यहोशू 2:9-11; 1 राजा 4:20,21) अब अगर वह दोबारा यहोवा की आज्ञा मानने लगे, तो उसे खोयी हुई महिमा अभी-भी मिल सकती है। यहोवा अपने लोगों को ‘याकूब की विरासत’ का पूरा हिस्सा दे देगा। इस विरासत का मतलब ऐसी आशीषें हैं जिनके बारे में उनके पुरखों से वाचा बाँधी गयी थी और जिसमें खासकर वादा किए हुए देश को हमेशा अपने अधिकार में रखने की आशीष शामिल थी।—भजन 105:8-11.
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