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सब जातियों के लिए उजियालायशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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“यहोवा के लिये भेंट” लाना
12, 13. सामान्य युग पूर्व 537 से किस तरह “भाइयों” को यरूशलेम में लाया गया?
12 अपने वतन से दूर अलग-अलग जगहों पर बिखरे यहूदियों के लिए दोबारा बसा यरूशलेम नगर शुद्ध उपासना का केंद्र होगा, जिसमें याजकों की सेवाएँ फिर से शुरू हो जाएँगी। बहुत-से लोग सालाना पर्वों में हाज़िर होने के लिए दूर-दूर से यात्रा करते हुए यहाँ आएँगे। इसलिए, ईश्वर-प्रेरणा से यशायाह लिखता है: “जैसे इस्राएली लोग अन्नबलि को शुद्ध पात्र में धरकर यहोवा के भवन में ले आते हैं, वैसे ही वे [“सब जातियों में से,” NHT] तुम्हारे सब भाइयों को घोड़ों, रथों, पालकियों, खच्चरों और सांड़नियों पर चढ़ा चढ़ाकर मेरे पवित्र पर्वत यरूशलेम पर यहोवा की भेंट के लिये ले आएंगे, यहोवा का यही वचन है। और उन में से मैं कितने लोगों को याजक और लेवीय पद के लिये भी चुन लूंगा।”—यशायाह 66:20,21.
13 जब पिन्तेकुस्त के दिन यीशु के चेलों पर पवित्र आत्मा उंडेली गयी तब “सब जातियों में से” कुछ ‘भाई’ उस नगर में मौजूद थे। बाइबल बताती है: “आकाश के नीचे की हर एक जाति में से भक्त यहूदी यरूशलेम में रहते थे।” (प्रेरितों 2:5) पिन्तेकुस्त के अवसर पर वे यहूदियों के रिवाज़ के मुताबिक उपासना करने के लिए यरूशलेम आए थे, मगर जब उन्होंने यीशु मसीह का सुसमाचार सुना तो उस पर विश्वास किया और उन्होंने बपतिस्मा लिया।
14, 15. (क) अभिषिक्त मसीहियों ने पहले विश्वयुद्ध के बाद, और ज़्यादा आत्मिक भाइयों को कैसे इकट्ठा किया, और उन्हें ‘शुद्ध पात्र में अन्नबलि’ की तरह यहोवा को कैसे अर्पित किया गया? (ख) यहोवा ने कुछ ‘लोगों को याजक पद के लिये’ कैसे चुना? (ग) ऐसे कुछ अभिषिक्त मसीही कौन थे जिन्होंने अपने आत्मिक भाइयों को इकट्ठा किया? (इस पेज पर बक्स देखिए।)
14 क्या इस भविष्यवाणी की हमारे ज़माने में भी पूर्ति हुई है? जी हाँ, ज़रूर। पहले विश्वयुद्ध के बाद, यहोवा के अभिषिक्त सेवकों ने बाइबल से यह समझ पायी कि सन् 1914 में परमेश्वर का राज्य स्वर्ग में स्थापित हो गया है। बाइबल का ध्यान से अध्ययन करके उन्होंने जाना कि राज्य के और भी वारिसों या “भाइयों” को इकट्ठा किया जाना बाकी है। इसलिए कई साहसी प्रचारक, अभिषिक्त मसीहियों के बाकी सदस्यों की खोज में, यात्रा के हर साधन का इस्तेमाल करते हुए “पृथ्वी की छोर तक” गए। जिन अभिषिक्तों की खोज की जा रही थी, उनमें से ज़्यादातर उस वक्त ईसाईजगत के गिरजों के सदस्य थे। जब इन्हें ढूँढ़ा गया तब इन्हें यहोवा के लिए भेंट के रूप में लाया गया।—प्रेरितों 1:8.
15 शुरूआत के उन सालों में जिन अभिषिक्त मसीहियों को इकट्ठा किया गया, वे जानते थे कि यहोवा उन्हें उस हालत में स्वीकार नहीं करेगा जिसमें वे बाइबल की सच्चाई जानने से पहले थे। इसलिए उन्होंने खुद को आध्यात्मिक और नैतिक गंदगी से शुद्ध किया, ताकि उन्हें ‘शुद्ध पात्र में अन्नबलि’ की तरह या जैसे प्रेरित पौलुस ने कहा, “पवित्र कुंवारी की नाईं मसीह” को अर्पित किया जा सके। (2 कुरिन्थियों 11:2) झूठी शिक्षाओं को ठुकराने के अलावा, अभिषिक्त मसीहियों को यह भी सीखना था कि दुनिया के राजनीतिक मामलों में पूरी तरह से निष्पक्ष कैसे रहें। सन् 1931 में, जब यहोवा के ये सेवक काफी हद तक शुद्ध किए जा चुके थे, तब उसने बड़ी करुणा दिखाते हुए उन्हें यहोवा के साक्षी नाम धारण करने का अनमोल सम्मान दिया। (यशायाह 43:10-12) मगर, यहोवा ने इनमें से कुछ ‘लोगों को याजक पद के लिये’ कैसे चुना? अभिषिक्त जनों का यह समूह “राज-पदधारी, याजकों का समाज, और पवित्र लोग[गों]” का एक हिस्सा बना और यह यहोवा को स्तुति के बलिदान चढ़ाता है।—1 पतरस 2:9; यशायाह 54:1; इब्रानियों 13:15.
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सब जातियों के लिए उजियालायशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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[पेज 409 पर बक्स]
सब जातियों से यहोवा के लिए अभिषिक्तों के रूप में भेंट
सन् 1920 में, क्वान मूनयीस अमरीका से स्पेन गए और उसके बाद अर्जेंटाइना गए। वहाँ उन्होंने अभिषिक्त जनों की कलीसियाएँ संगठित कीं। सन् 1923 से मिशनरी भाई विलियम आर. ब्राऊन (जिन्हें अकसर बाइबल ब्राऊन कहा जाता था) की बदौलत सच्चाई का उजियाला, पश्चिम अफ्रीका में रहनेवाले सच्चे दिल के लोगों पर चमका। भाई ब्राऊन, सियरा लियोन, घाना, लाइबेरिया, द गेम्बिया और नाइजेरिया जैसी जगहों में राज्य का संदेश सुनाने निकल पड़े थे। उसी साल कनाडा के जॉर्ज यंग, ब्राज़ील गए और उसके बाद अर्जेंटाइना, कोस्टा रिका, पनामा, वेनेज़ुइला, यहाँ तक कि सोवियत संघ भी गए। उसी दौरान, एडविन स्किनर इंग्लैंड से समुद्री जहाज़ में यात्रा करते हुए भारत पहुँचे, जहाँ उन्होंने कटनी के काम में बरसों तक कड़ी मेहनत की।
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