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विद्रोहियों पर हाय!यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
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17, 18. इस्राएल के न्यायियों और हाकिमों में कैसा भ्रष्टाचार है?
17 यहोवा अब न्याय करने के लिए अपनी नज़र इस्राएल के भ्रष्ट न्यायियों और दूसरे अधिकारियों पर डालता है। उनके पास न्याय की भीख माँगने के लिए दीन और दुखियारे लोग आते हैं। मगर इंसाफ करने के बजाय वे अपनी ताकत का नाजायज़ फायदा उठाकर उनको लूटते हैं। यशायाह कहता है: “हाय उन पर जो अनुचित नियम बनाते हैं, और उन पर भी जो निरन्तर अन्यायपूर्ण निर्णय लिख देते हैं, कि कंगालों को न्याय से वंचित करें, और जो मेरी प्रजा में दरिद्र हैं उनका अधिकार छीन लें जिस से कि विधवाएं उनकी लूट बन जाएं और अनाथों का माल हड़प लें!”—यशायाह 10:1,2, NHT.
18 यहोवा की व्यवस्था में किसी भी किस्म का अन्याय करने पर सख्त मनाही है: “न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुंह देखा विचार करना; एक दूसरे का न्याय धर्म से करना।” (लैव्यव्यवस्था 19:15) इस नियम को नज़रअंदाज़ करके, ये अधिकारी अपने ही “अनुचित नियम” बनाते हैं ताकि सबसे घृणित और क्रूर किस्म की चोरी को भी कानूनन सही करार दे सकें। वे विधवाओं और अनाथों की रही-सही चीज़ों को भी हड़प कर जाते हैं। इस्राएल जिन झूठे देवताओं की पूजा करता है, बेशक उनके पास इस अन्याय को देखने के लिए आँखें नहीं हैं, मगर यहोवा सब देख रहा है। यशायाह के ज़रिए, यहोवा अब इन दुष्ट न्यायियों से जवाब माँगता है।
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विद्रोहियों पर हाय!यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
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[पेज 141 पर तसवीर]
जो दूसरों को अपना शिकार बनाते हैं, उनसे यहोवा हिसाब लेगा
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