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अश्शूर से मत डरयशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
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राजा आहाज ने अपनी सुरक्षा के लिए अश्शूर से मदद माँगी थी। मगर यशायाह ने भविष्यवाणी की कि भविष्य में, इस्राएल के घराने के बचे हुए लोग फिर कभी ऐसी मूर्खता नहीं करेंगे। यशायाह 10:20 कहता है कि “यहोवा जो इस्राएल का पवित्र है, उसी पर वे सच्चाई से भरोसा रखेंगे।” लेकिन, आयत 21 बताती है कि कुछ गिने-चुने लोग ही ऐसा करेंगे: सिर्फ “बचे हुए लोग . . . फिरेंगे।” यह हमें यशायाह के बेटे शार्याशूब की याद दिलाता है, जो इस्राएल के लिए एक चिन्ह था और जिसके नाम का मतलब है, “बचा हुआ भाग लौट आएगा।” (यशायाह 7:3) अध्याय 10 की आयत 22 में, आनेवाले “सत्यानाश” की चेतावनी दी गयी है जिसका फैसला यहोवा कर चुका है। यह सत्यानाश या विनाश न्यायपूर्ण होगा क्योंकि विद्रोही लोग इसी सज़ा के लायक हैं। इसलिए, घनी आबादीवाले देश में से, जिसके लोग “समुद्र की बालू के किनकों के समान” हैं, सिर्फ बचे हुए कुछ शेष जन ही लौटेंगे। आयत 23 हमें चेतावनी देती है कि इस सत्यानाश का असर सारे देश पर होगा। और इस बार यरूशलेम को भी नहीं बख्शा जाएगा।
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अश्शूर से मत डरयशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
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इसके अलावा, जैसा रोमियों 9:27,28 में दिखाया गया है, यशायाह 10:20-23 की भविष्यवाणी की पूर्ति पहली सदी में भी हुई थी। (यशायाह 1:9; रोमियों 9:29 से तुलना कीजिए।) पौलुस समझाता है कि आध्यात्मिक अर्थ में पहली सदी के यहूदियों में से “बचे हुए लोग” यहोवा की ओर ‘लौटे,’ क्योंकि विश्वास करनेवाले थोड़े-से यहूदी, यीशु मसीह के चेले बने और उन्होंने “आत्मा और सच्चाई से” यहोवा की उपासना करना शुरू किया। (यूहन्ना 4:24) बाद में, इनके साथ विश्वास करनेवाले अन्यजातियों के लोग भी आ मिले और ये सभी मिलकर एक आत्मिक जाति बने जिसे ‘परमेश्वर का इस्राएल’ कहा गया है। (गलतियों 6:16) इसी अवसर पर यशायाह 10:20 के ये शब्द पूरे हुए: “फिर कभी” यहोवा को समर्पित यह जाति उससे मुँह मोड़कर इंसानों पर भरोसा नहीं रखेगी।
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