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    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • 6. (क) यरूशलेम के अंदर हालात कैसे हैं? (ख) कुछ लोग प्रसन्‍न क्यों हैं, मगर आगे क्या होनेवाला है?

      6 यशायाह आगे कहता है: “हे कोलाहल और ऊधम से भरी प्रसन्‍न नगरी? तुझ में जो मारे गए हैं वे न तो तलवार से ओर न लड़ाई में मारे गए हैं।” (यशायाह 22:2) बड़ी तादाद में लोग नगर में जमा हैं और जहाँ देखो हर तरफ कोलाहल मचा हुआ है। सड़कों पर लोग चीख-चिल्ला रहे हैं, उनके दिलों में भय छाया हुआ है। लेकिन, कुछ लोग प्रसन्‍न हैं क्योंकि शायद उन्हें लगता है कि खतरा टल रहा है और डरने की कोई बात नहीं।a लेकिन ऐसे वक्‍त में खुशियाँ मनाना सरासर मूर्खता है। क्योंकि नगर के बहुत-से लोग ऐसी मौत मरेंगे जो तलवार से मरने से कहीं बदतर होगी। जिस नगर को घेरा जाता है, उसके बाहर से खाने-पीने का सामान लेने के सारे रास्ते बंद कर दिए जाते हैं। नगर के भंडार जल्द ही खाली हो जाते हैं। भूख से मर रहे लोगों और बहुत ज़्यादा घिचपिच होने की वजह से महामारियाँ फैलने लगती हैं। इसी तरह यरूशलेम में बहुत-से लोग अकाल और मरियों की वजह से मारे जाएँगे। सा.यु.पू. 607 में और सा.यु. 70 में ऐसा ही हुआ।—2 राजा 25:3; विलापगीत 4:9,10.b

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    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • a सा.यु. 66 में, जब यरूशलेम की घेराबंदी करनेवाली रोम की सेना वापस जा रही थी तब बहुत-से यहूदियों ने खुशियाँ मनायी थीं।

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