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  • यहोवा सोर का घमंड मिट्टी में मिला देता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • 16, 17. सोर के पराजित होने पर उसके निवासियों का क्या होगा? (फुटनोट देखिए।)

      16 यशायाह, सोर के खिलाफ यहोवा का दंड सुनाना जारी रखता है: “हे तर्शीश की पुत्री, नील नदी के समान अपने देश में फैल जा, रुकने का अब कोई कारण न रहा। उसने अपना हाथ समुद्र पर बढ़ाया है, उसने राज्यों को हिला दिया है। यहोवा ने कनान देश [“फिनिसियाँ,” ईज़ी-टू-रीड वर्शन] के किलों को ढा देने का आदेश दिया है। और उसने कहा है, ‘हे सीदोन की पीड़ित कुंवारी कन्या, अब से तू आनन्द न मनाएगी। उठ, [कित्तीम, फुटनोट] चली जा, परन्तु वहां भी तुझे चैन नहीं मिलेगा।”—यशायाह 23:10-12, NHT.

  • यहोवा सोर का घमंड मिट्टी में मिला देता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • 18. सोर को ‘सीदोन की कुंवारी कन्या’ क्यों कहा गया है, और उसकी स्थिति कैसे बदल जाएगी?

      18 यशायाह यह भी कहता है कि सोर ‘सीदोन की कुंवारी कन्या’ है, जिससे पता चलता है कि इससे पहले दूसरे देशों के किसी भी राजा ने, न तो कभी उस पर कब्ज़ा किया न ही उसे लूटा है और यह अब तक किसी और के अधीन नहीं हुआ। (2 राजा 19:21; यशायाह 47:1; यिर्मयाह 46:11 से तुलना कीजिए।) लेकिन अब जब उसका सत्यानाश किया जाएगा तो उसके कुछ निवासी शरणार्थी बनकर फीनीके की बस्ती कित्तीम की शरण लेंगे। फिर भी वे वहाँ चैन से नहीं रह पाएँगे, क्योंकि उनकी दौलत तो लुट चुकी है।

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