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  • यहोवा राजा है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • 13, 14. (क) कटनी के बारे में यहोवा के नियम क्या हैं? (ख) कटनी के कुछ नियमों का हवाला देते हुए यशायाह कैसे समझाता है कि कुछ लोग यहोवा के न्यायदंड से बच जाएँगे? (ग) हालाँकि वफादार यहूदियों पर परीक्षाएँ आ रही हैं, मगर फिर भी वे किस बात का यकीन रख सकते हैं?

      13 जैतून की कटनी करने के लिए इस्राएली इसके पेड़ों को लकड़ियों से झाड़ते हैं ताकि फल ज़मीन पर गिर सके। मगर पेड़ पर चढ़कर बचे हुए जैतून तोड़ना परमेश्‍वर की कानून-व्यवस्था में मना है। उसी तरह जब वे अपनी दाख की बारियों में से अंगूर की फसल काटते हैं तब उन्हें बचे-खुचे अंगूरों को इकट्ठा नहीं करना है। बची हुई फसल को गरीबों के लिए यानी ‘परदेशियों, अनाथों, और विधवाओं के लिये’ छोड़ देना है। (व्यवस्थाविवरण 24:19-21) इन जाने-माने कानूनों का हवाला देकर, यशायाह एक दिलासा देनेवाली बात बताता है कि यहोवा के आनेवाले न्यायदंड से कुछ बचनेवाले भी होंगे: “जैसे जैतून का वृक्ष झाड़ने के समय व अंगूर की फसल तोड़ लेने के पश्‍चात्‌ कुछ ही शेष रह जाता है वैसा ही पृथ्वी पर जाति जाति के मध्य होगा। वे अपनी आवाज़ उठाएंगे और आनन्द से जय जयकार करेंगे। वे यहोवा के वैभव के विषय पश्‍चिम से ललकारेंगे। इसलिए तुम पूर्व में यहोवा की, और समुद्र के तटीय देश में इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा के नाम की महिमा करो। पृथ्वी के छोर छोर से हमें ये गीत सुनाई पड़ते हैं, ‘उस धर्मी की महिमा हो!’”—यशायाह 24:13-16क, NHT.

      14 जैसे “अंगूर की फसल तोड़ लेने के पश्‍चात्‌ कुछ ही शेष रह जाता है” यानी कटनी के बाद दाखलता पर या पेड़ पर थोड़े फल रह जाते हैं, उसी तरह यहोवा की ओर से आनेवाले न्यायदंड से कुछ लोग बचेंगे। उनके बारे में आयत 6 में भविष्यवक्‍ता ने पहले ही बताया था कि “थोड़े ही मनुष्य रह जाएंगे।” भले ही इन लोगों की गिनती कम है, मगर वे यरूशलेम और यहूदा के विनाश से ज़रूर बच निकलेंगे और बाद में कुछ लोग बंधुआई से छूटकर आएँगे और अपने देश को फिर से बसाएँगे। (यशायाह 4:2,3; 14:1-5) हालाँकि उन धर्मी लोगों को पहले कई परीक्षाओं से गुज़रना होगा, मगर वे इस बात का यकीन रख सकते हैं कि बाद में उन्हें छुटकारा ज़रूर मिलेगा और खुशियाँ वापस लौट आएँगी। बचनेवाले ये लोग यहोवा की भविष्यवाणी के वचन को सच होते देखेंगे और इस बात की कदर कर पाएँगे कि यशायाह, वाकई परमेश्‍वर का सच्चा भविष्यवक्‍ता था। जब वे खुद अपनी आँखों से देखेंगे कि उनके देश के फिर से बसाए जाने की भविष्यवाणियाँ पूरी हो रही हैं, तो उनका दिल खुशी से झूम उठेगा। वे चाहे तितर-बितर होकर कहीं भी क्यों न चले गए हों, पश्‍चिम में भूमध्य सागर के द्वीपों में, या “पूर्व” (यानी सूर्योदय) के देश बाबुल में या किसी और दूर-दराज़ के इलाके में, वे परमेश्‍वर की महिमा करेंगे क्योंकि उन्हें बचाया गया है। और वे यह गीत गाएँगे: “उस धर्मी की महिमा हो!”

  • यहोवा राजा है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • 15, 16. (क) अपने लोगों पर जो बीतनेवाली है, उसके बारे में सोच-सोचकर यशायाह कैसा महसूस करता है? (ख) देश के विश्‍वासघाती लोगों का क्या अंजाम होगा?

      15 लेकिन फिलहाल यह वक्‍त खुशियाँ मनाने का नहीं है। यशायाह अपने ज़माने के लोगों का ध्यान वापस मौजूदा हालात की ओर दिलाता है: “परन्तु मैं ने कहा, हाय, हाय! मैं नाश हो गया, नाश! क्योंकि विश्‍वासघाती विश्‍वासघात करते, वे बड़ा ही विश्‍वासघात करते हैं। हे पृथ्वी के रहनेवालो तुम्हारे लिये भय और गड़हा और फन्दा हैं! जो कोई भय के शब्द से भागे वह गड़हे में गिरेगा, और जो कोई गड़हे में से निकले वह फन्दे में फंसेगा। क्योंकि आकाश के झरोखे खुल जाएंगे, और पृथ्वी की नेव डोल उठेगी। पृथ्वी फटकर टुकड़े टुकड़े हो जाएगी, पृथ्वी अत्यन्त कम्पायमान होगी। वह मतवाले की नाईं बहुत डगमगाएगी। और मचान की नाईं डोलेगी; वह अपने पाप के बोझ से दबकर गिरेगी और फिर न उठेगी।”—यशायाह 24:16ख-20.

      16 यशायाह को इस बात का दुःख खाए जा रहा है कि उसकी जाति के लोगों पर क्या-क्या बीतनेवाली है। आस-पास के हालात देखकर वह मन-ही-मन बहुत पीड़ित है और विलाप कर रहा है। देश में जहाँ देखो, वहाँ विश्‍वासघाती लोग हैं और उन्होंने लोगों में आतंक फैला रखा है। लेकिन जब यहूदा देश पर से यहोवा का साया उठ जाएगा, तब ये विश्‍वासघाती रात-दिन खौफ में जीएँगे। उन्हें इतना भरोसा भी नहीं रहेगा कि वे अगले पल ज़िंदा रहेंगे या नहीं। यहोवा की आज्ञाओं और उसकी बुद्धि को ठुकराने की वजह से उन पर जो संकट आ रहा है उससे बचना मुमकिन नहीं। (नीतिवचन 1:24-27) विश्‍वासघाती लोग झूठ और कपट का सहारा लेकर भले ही लोगों को यकीन दिलाने की कोशिश करें कि सब ठीक हो जाएगा, मगर इससे विपत्ति टलनेवाली नहीं है। ये लोग दरअसल उन्हें विनाश के मार्ग पर ले जा रहे हैं। (यिर्मयाह 27:9-15) बाहर से दुश्‍मन ज़रूर आएँगे, उन्हें लूट लेंगे और बंदी बनाकर ले जाएँगे। ये सारी बातें सोच-सोचकर यशायाह का दिल गम में डूबा जा रहा है।

  • यहोवा राजा है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • [पेज 267 पर तसवीर]

      यशायाह को यह गम खाए जा रहा है कि उसकी जाति के लोगों पर क्या-क्या बीतनेवाला है

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