-
यहोवा जातियों पर अपना कोप उंडेलता हैयशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
-
-
7. “आकाश” और “आकाश की सेना” क्या है?
7 फिर एक बार, ज़बरदस्त शब्दों से एक जीती-जागती तसवीर पेश करते हुए यशायाह आगे कहता है: “आकाश की सेना में जो कुछ है वह गल जाएगा। और चर्मपत्र की तरह आकाश लपेटा जाएगा; और उसकी सारी सेना मुरझा जाएगी, वैसे ही जैसे दाखलता से पत्तियाँ मुरझाकर गिर पड़ती हैं और अंजीर के वृक्ष से सूखा हुआ अंजीर गिर पड़ता है।” (यशायाह 34:4, NW) “आकाश की सेना में जो कुछ है,” इसका मतलब सचमुच के तारे और ग्रह नहीं हैं। क्योंकि आयत 5 और 6 बताती हैं कि इसी “आकाश” में, वध करनेवाली एक तलवार लहू से भर गयी है। इसलिए यह “आकाश” ज़रूर इंसानों से जुड़ी किसी चीज़ का प्रतीक होगा। (1 कुरिन्थियों 15:50) इंसान की सरकारें, प्रधान अधिकारियों के रूप में ऊँचे ओहदों पर हैं और इसी वजह से उन्हें आकाश कहा गया है जो अपने से नीचे, यानी पृथ्वी के मानव समाज पर शासन करती हैं। (रोमियों 13:1-4) इसलिए, “आकाश की सेना” का मतलब, इन इंसानी सरकारों की तमाम सेनाओं से है।
8. लाक्षणिक आकाश कैसे एक “चर्मपत्र की तरह” है और उसकी “सेना” का क्या होता है?
8 यह “सेना” किसी नाशवान वस्तु की तरह “गल” जाएगी या सड़ जाएगी। (भजन 102:26; यशायाह 51:6) जब हम अपनी आँखें उठाकर आकाश को देखते हैं तो यह गोलाई में मुड़ा हुआ नज़र आता है और इससे हमें प्राचीनकाल के किसी चर्मपत्र की याद आती है, जिसमें आम तौर पर लिखाई अंदर की तरफ होती थी। चर्मपत्र के अंदर लिखी बातों को पढ़ लेने के बाद लोग उसे लपेटकर रख देते थे। तो “चर्मपत्र की तरह आकाश लपेटा जाएगा,” इसका मतलब यह है कि इंसान की सरकारों का अंत होना है। अपने इतिहास के आखिरी पन्ने तक पहुँच जाने की वजह से, हरमगिदोन में इन सरकारों को खत्म कर दिया जाएगा। उनकी बड़ी-बड़ी और विशाल ‘सेनाएँ’ उसी तरह गिर पड़ेंगी जैसे सूखी पत्तियाँ दाखलता से या “सूखा हुआ अंजीर” वृक्ष से गिर पड़ता है। उनका वक्त अब बीत चुका होगा।—प्रकाशितवाक्य 6:12-14 से तुलना कीजिए।
-
-
यहोवा जातियों पर अपना कोप उंडेलता हैयशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
-
-
[पेज 360 पर तसवीर]
“चर्मपत्र की तरह आकाश लपेटा जाएगा”
-