जवानी में जूआ उठाना
आज के “कठिन समय” में, युवाओं पर भारी दबाव आते हैं। (२ तीमुथियुस ३:१) उन पर हर दिन ऐसी बातों की बौछार होती है जो अनैतिकता, धूम्रपान, और दूसरे प्रकार के विनाशक व्यवहार का प्रोत्साहन देती हैं। जो बाइबल स्तरों का पालन करते हैं उनका भीड़ के साथ चलने से इनकार करने के लिए उपहास किया जा सकता है, और कुछ मसीही महसूस कर सकते हैं कि हार मान लेना आसान होगा।
सामान्य युग पूर्व सातवीं शताब्दी के अन्त के निकट, यिर्मयाह ने लिखा: “पुरुष के लिये जवानी में जूआ उठाना भला है।” (विलापगीत ३:२७) उसका क्या अर्थ था? यह कि जवानी में ही समस्याओं से निपटना सीखना व्यक्ति को वयस्कता की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होने में मदद देता है। जबकि विपत्तियाँ कष्टकर होती हैं, ये मसीही युवाओं और बड़ों दोनों पर आनी ही हैं। (२ तीमुथियुस ३:१२) लेकिन वफ़ादारी के लाभ उस राहत से कहीं अधिक हैं जो समझौता करने पर कुछ समय के लिए मिल सकती है।
यदि आप एक युवा हैं, तो विश्वास की परीक्षाओं का दृढ़ता से सामना कीजिए। कुकर्म करने के लिए प्रलोभित किए जाने पर, समझौता करने से इनकार कर दीजिए। जबकि उस समय ऐसा करना शायद कठिन हो, आगे चलकर, आपको कम चिन्ताएँ होंगी। यीशु ने प्रतिज्ञा की: “मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो . . . और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हलका है।”—मत्ती ११:२९, ३०.
बाइबल सिद्धान्तों के अनुसार जीने की चुनौती स्वीकार कीजिए। ऐसा करने से आपको अभी जीने का सबसे अच्छा ढंग मिलेगा और भविष्य के लिए एक निश्चित आशा मिलेगी। जैसे बाइबल कहती है, “संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।”—१ यूहन्ना २:१७.