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“मैं उन सबको एकता के बंधन में बाँधूँगा”सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
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11 सदियों तक ईसाईजगत का ही बोलबाला रहा, मगर उस दौरान भी कुछ सच्चे मसीही थे जो “गेहूँ” समान थे। यहेजकेल 6:9 में बताए वफादार यहूदियों की तरह वे भी सच्चे परमेश्वर को नहीं भूले। उनमें से कुछ ने तो बड़ी हिम्मत से ईसाईजगत की झूठी शिक्षाओं का विरोध किया। उन्हें सताया गया और ज़लील किया गया। क्या इसका यह मतलब था कि यहोवा ने अपने लोगों को झूठे धर्मों के अंधकार में हमेशा के लिए छोड़ दिया था? बिलकुल नहीं! यहोवा ने उन्हें उतनी ही सज़ा दी जितनी देनी चाहिए और उतने ही समय के लिए दी जितनी कि सही थी, जैसे उसने प्राचीन इसराएल के साथ किया था। (यिर्म. 46:28) यहोवा ने अपने वफादार लोगों को एक आशा भी दी। आइए दोबारा उन यहूदियों पर गौर करें जो बैबिलोन में बंदी बनाए गए थे और जानें कि यहोवा ने कैसे उन्हें छुटकारे की आशा दी।
सदियों तक सच्चे मसीहियों ने महानगरी बैबिलोन के हाथों कई ज़ुल्म सहे (पैराग्राफ 10, 11 देखें)
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“मैं उन सबको एकता के बंधन में बाँधूँगा”सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
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13 ध्यान दीजिए कि बँधुआई में न सिर्फ विश्वासघाती यहूदियों को बल्कि कुछ वफादार यहूदियों को भी ले जाया गया था। और जो यहूदी विश्वासघाती थे, उनमें से कुछ लोग बाद में पश्चाताप करते। परमेश्वर ने यहेजकेल के ज़रिए बताया था कि वे ऐसा करेंगे। उन्हें अपने गुज़रे दिन याद करके बहुत बुरा लगेगा कि उन्होंने अपने परमेश्वर से बगावत करके कितने शर्मनाक काम किए थे। वे माफी के लिए यहोवा से गिड़गिड़ाकर बिनती करेंगे। (यहे. 6:8-10; 12:16) जहाँ तक यहेजकेल की बात है, वह वफादार यहूदियों में से एक था। भविष्यवक्ता दानियेल और उसके तीन साथी भी वफादार थे। दानियेल तो इतनी लंबी उम्र जीया कि उसने बँधुआई की शुरूआत और उसका अंत भी देखा। उसने बैबिलोन में रहते वक्त इसराएल के पापों की माफी के लिए यहोवा से बिनती की थी। उसकी यह प्रार्थना दानियेल अध्याय 9 में दर्ज़ है। इस प्रार्थना से पता चलता है कि बँधुआई में रहनेवाले हज़ारों यहूदी यहोवा से माफी पाने के लिए कितना तरस रहे थे और चाहते थे कि यहोवा उन्हें दोबारा आशीष दे। तो जब उन्होंने यहेजकेल की भविष्यवाणियों से जाना कि यहोवा ने उन्हें छुटकारा दिलाने और शुद्ध उपासना बहाल करने का वादा किया है, तो उनमें कैसी उमंग जाग उठी होगी।
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