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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2016 | मार्च
    • पहली बात, यहेजकेल गौर करता है कि मरे हुए लोगों की हड्डियाँ “बहुत सूखी” हैं। (यहे. 37:2, 11) इसका मतलब लोगों को मरे हुए काफी लंबा समय हो गया था। दूसरी बात, यहेजकेल ने देखा कि मरे हुओं में धीरे-धीरे जान आयी, न कि अचानक। पहले उसे एक “आवाज़” सुनायी दी और “खड़खड़ाहट हुई और हड्डियाँ इकट्ठी होकर एक दूसरे से जुड़ गईं।” फिर उसने देखा कि “उन पर नसें चढ़ गईं और मांस भर गया।” इसके बाद त्वचा से मांस ढक गया। फिर “उनमें श्‍वास आ गया और वे जीवित” हो गए। आखिरकार, ज़िंदा हुए लोगों कोर यहोवा ने उनके देश में बसा दिया। यह सब होने में वक्‍त लगेगा।—यहे. 37:7-10, 14, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2016 | मार्च
    • हमें यहेजकेल के दर्शन से यह भी पता चलता है कि परमेश्‍वर के लोगों में धीरे-धीरे जान आयी और उन्हें झूठे धर्मों से छुटकारा मिला। यह सब कब होना शुरू हुआ और कैसे? दर्शन में “खड़खड़ाहट” की आवाज़ का ज़िक्र किया गया था। यह अंत के समय से कुछ सदियों पहले शुरू हुआ। उस दौरान कुछ ऐसे वफादार लोग थे जो सच्चाई की तलाश में थे और परमेश्‍वर की सेवा करना चाहते थे, जबकि चारों तरफ झूठी शिक्षाओं का बोलबाला था। उन्होंने बाइबल का अध्ययन किया और जो सीख रहे थे उस बारे में दूसरे लोगों को बताने की हर मुमकिन कोशिश की। कुछ लोगों ने बाइबल का अनुवाद करने में कड़ी मेहनत की, वह भी ऐसी भाषाओं में जो लोग समझ सकते थे।

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