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  • “तुम ज़िंदा हो जाओगी”
    सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
    • 12 बाद में भाई चार्ल्स टी. रसल और उनके साथियों ने बड़े जोश से बाइबल की सच्चाइयों की दोबारा खोज करनी शुरू की। यह ऐसा था मानो हड्डियों पर ‘नसें लगने लगीं और माँस भरने लगा।’ वे प्रहरीदुर्ग  और कुछ प्रकाशन निकालने लगे जिससे नेकदिल लोग धीरे-धीरे सच्चाई समझने लगे। तब वे भी परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त लोगों के साथ जुड़ गए। बीसवीं सदी की शुरूआत में अँग्रेज़ी में समाप्त रहस्य  नाम की किताब, “सृष्टि का चलचित्र” और इस तरह के कुछ और प्रकाशन निकाले गए जिससे अभिषिक्‍त जनों का जोश और बढ़ गया। कुछ समय बाद परमेश्‍वर ने अपने लोगों को “अपने पैरों पर उठ खड़े” होने के काबिल बनाया। (यहे. 37:10) यह कब और कैसे हुआ? इसका जवाब जानने के लिए आइए पहले प्राचीन बैबिलोन में हुई घटनाओं पर गौर करें।

      “वे ज़िंदा हो गए और अपने पैरों पर उठ खड़े हुए”

      13. (क) यहेजकेल 37:10, 14 की भविष्यवाणी ईसा पूर्व 537 से कैसे पूरी होने लगी? (ख) किन आयतों से पता चलता है कि दस गोत्रोंवाले राज्य के कुछ लोग इसराएल लौटे थे?

      13 बैबिलोन में रहनेवाले यहूदियों ने ईसा पूर्व 537 से इस दर्शन की भविष्यवाणी को पूरा होते देखा। कैसे? यहोवा ने उन्हें बँधुआई से छुड़ाया और इसराएल देश वापस ले आया। एक तरह से यहोवा ने उन्हें ज़िंदा किया और “अपने पैरों पर उठ खड़े” होने के काबिल बनाया। बँधुआई से लौटनेवालों में 42,360 इसराएली और करीब 7,000 गैर-इसराएली थे। उन सबने यरूशलेम और उसके मंदिर को दोबारा बनाया और वे इसराएल देश में बस गए। (एज्रा 1:1-4; 2:64, 65; यहे. 37:14) फिर करीब 70 साल बाद जब एज्रा यरूशलेम लौटा, तो उसके साथ बैबिलोन से करीब 1,750 लोग आए। (एज्रा 8:1-20) तो कुल मिलाकर 44,000 से ज़्यादा यहूदी अपने देश लौटे, जो कि एक “बड़ी सेना” थी। (यहे. 37:10) बाइबल की कुछ आयतों से हमें पता चलता है कि उनके अलावा दस गोत्रोंवाले राज्य के कुछ लोग भी इसराएल लौटे, ताकि मंदिर बनाने के काम में हाथ बँटा सकें। वे उन लोगों के वंशज थे जिन्हें अश्‍शूरी लोग ईसा पूर्व आठवीं सदी में बंदी बनाकर ले गए थे।—1 इति. 9:3; एज्रा 6:17; यिर्म. 33:7; यहे. 36:10.

      सन्‌ 1919 में अभिषिक्‍त जन

      बक्स 10ख: ‘सूखी हड्डियाँ’ और ‘दो गवाह’—इनका आपस में क्या नाता है?

      14. (क) यहेजकेल 37:24 से कैसे पता चलता है कि सूखी हड्डियों की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कब पूरी होगी? (ख) 1919 में क्या हुआ? (यह बक्स भी देखें: “‘सूखी हड्डियाँ’ और ‘दो गवाह’—इनका आपस में क्या नाता है?”)

      14 यह भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कैसे पूरी हुई कि यहोवा के लोग ज़िंदा होंगे, अपने पैरों पर उठ खड़े होंगे और उनकी एक बड़ी सेना बन जाएगी? इसी से जुड़ी एक और भविष्यवाणी से पता चलता है कि जब महान दाविद, यीशु मसीह, राजा के नाते राज करना शुरू करता, तो उसके कुछ समय बाद बहाली की यह भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर पूरी होती।c (यहे. 37:24) वाकई ऐसा ही हुआ। यहोवा ने 1919 में अपने लोगों को पवित्र शक्‍ति दी। तब “वे ज़िंदा हो गए” और महानगरी बैबिलोन की बँधुआई से छूट गए। (यशा. 66:8) इसके बाद यहोवा ने उन्हें उनके “देश” में यानी फिरदौस जैसे माहौल में बसाया। लेकिन वे एक “बड़ी सेना” कैसे बने?

      एक भाई बाइबल में बतायी आशा पर मनन कर रहा है

      बक्स 10ग: अपने पैरों पर उठ खड़े होने के लिए सहारा

      15, 16. (क) हमारे समय में यहोवा के लोगों की एक “बड़ी सेना” कैसे बन गयी? (ख) यहेजकेल की इस भविष्यवाणी से हमें कैसे हिम्मत मिल सकती है? (यह बक्स देखें: “अपने पैरों पर उठ खड़े होने के लिए सहारा।”)

      15 जब मसीह ने 1919 में विश्‍वासयोग्य दास को ठहराया, तो उसके कुछ समय बाद यहोवा के सेवकों ने जकरयाह की एक भविष्यवाणी को पूरा होते देखा। जकरयाह भी बँधुआई से लौटनेवालों में से था। उसने यह भविष्यवाणी की, ‘कई देशों के लोग और बड़े-बड़े राष्ट्र यहोवा की खोज’ करेंगे। जकरयाह ने इन लोगों की तुलना ऐसे ‘दस लोगों’ से की जो ‘अलग-अलग भाषा बोलनेवाले सब राष्ट्रों में से हैं।’ वे लोग “एक यहूदी” यानी लाक्षणिक इसराएल के कपड़े का छोर पकड़ेंगे और कहेंगे, “हम तुम्हारे साथ चलना चाहते हैं क्योंकि हमने सुना है, परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।”—जक. 8:20-23.

      16 आज यहोवा के लोगों की “एक बहुत बड़ी सेना” है और इसकी तादाद लाखों में है। (यहे. 37:10) यह सेना लाक्षणिक इसराएल (यानी बचे हुए अभिषिक्‍त जन) से बनी है और इसमें “दस लोग” यानी दूसरी भेड़ें भी शामिल हैं। मसीह के सैनिकों के नाते हम अपने राजा की हर आज्ञा मानते हैं और हमें बहुत जल्द वे सारी आशीषें मिलनेवाली हैं जिनका हमसे वादा किया गया है।—भज. 37:29; यहे. 37:24; फिलि. 2:25; 1 थिस्स. 4:16, 17.

  • शुद्ध उपासना—धीरे-धीरे बहाल हुई
    सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
      • भाई नॉर, रदरफर्ड और कविंग्टन

        “वे ज़िंदा हो गए और अपने पैरों पर उठ खड़े हुए”

        1919 में यहोवा के लोग ‘ज़िंदा हो गए।’ इसके बाद उन्होंने ज़ोर-शोर से प्रचार किया

  • “तुम ज़िंदा हो जाओगी”
    सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
    • 12 बाद में भाई चार्ल्स टी. रसल और उनके साथियों ने बड़े जोश से बाइबल की सच्चाइयों की दोबारा खोज करनी शुरू की। यह ऐसा था मानो हड्डियों पर ‘नसें लगने लगीं और माँस भरने लगा।’ वे प्रहरीदुर्ग  और कुछ प्रकाशन निकालने लगे जिससे नेकदिल लोग धीरे-धीरे सच्चाई समझने लगे। तब वे भी परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त लोगों के साथ जुड़ गए। बीसवीं सदी की शुरूआत में अँग्रेज़ी में समाप्त रहस्य  नाम की किताब, “सृष्टि का चलचित्र” और इस तरह के कुछ और प्रकाशन निकाले गए जिससे अभिषिक्‍त जनों का जोश और बढ़ गया। कुछ समय बाद परमेश्‍वर ने अपने लोगों को “अपने पैरों पर उठ खड़े” होने के काबिल बनाया। (यहे. 37:10) यह कब और कैसे हुआ? इसका जवाब जानने के लिए आइए पहले प्राचीन बैबिलोन में हुई घटनाओं पर गौर करें।

      “वे ज़िंदा हो गए और अपने पैरों पर उठ खड़े हुए”

      13. (क) यहेजकेल 37:10, 14 की भविष्यवाणी ईसा पूर्व 537 से कैसे पूरी होने लगी? (ख) किन आयतों से पता चलता है कि दस गोत्रोंवाले राज्य के कुछ लोग इसराएल लौटे थे?

      13 बैबिलोन में रहनेवाले यहूदियों ने ईसा पूर्व 537 से इस दर्शन की भविष्यवाणी को पूरा होते देखा। कैसे? यहोवा ने उन्हें बँधुआई से छुड़ाया और इसराएल देश वापस ले आया। एक तरह से यहोवा ने उन्हें ज़िंदा किया और “अपने पैरों पर उठ खड़े” होने के काबिल बनाया। बँधुआई से लौटनेवालों में 42,360 इसराएली और करीब 7,000 गैर-इसराएली थे। उन सबने यरूशलेम और उसके मंदिर को दोबारा बनाया और वे इसराएल देश में बस गए। (एज्रा 1:1-4; 2:64, 65; यहे. 37:14) फिर करीब 70 साल बाद जब एज्रा यरूशलेम लौटा, तो उसके साथ बैबिलोन से करीब 1,750 लोग आए। (एज्रा 8:1-20) तो कुल मिलाकर 44,000 से ज़्यादा यहूदी अपने देश लौटे, जो कि एक “बड़ी सेना” थी। (यहे. 37:10) बाइबल की कुछ आयतों से हमें पता चलता है कि उनके अलावा दस गोत्रोंवाले राज्य के कुछ लोग भी इसराएल लौटे, ताकि मंदिर बनाने के काम में हाथ बँटा सकें। वे उन लोगों के वंशज थे जिन्हें अश्‍शूरी लोग ईसा पूर्व आठवीं सदी में बंदी बनाकर ले गए थे।—1 इति. 9:3; एज्रा 6:17; यिर्म. 33:7; यहे. 36:10.

      सन्‌ 1919 में अभिषिक्‍त जन

      बक्स 10ख: ‘सूखी हड्डियाँ’ और ‘दो गवाह’—इनका आपस में क्या नाता है?

      14. (क) यहेजकेल 37:24 से कैसे पता चलता है कि सूखी हड्डियों की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कब पूरी होगी? (ख) 1919 में क्या हुआ? (यह बक्स भी देखें: “‘सूखी हड्डियाँ’ और ‘दो गवाह’—इनका आपस में क्या नाता है?”)

      14 यह भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कैसे पूरी हुई कि यहोवा के लोग ज़िंदा होंगे, अपने पैरों पर उठ खड़े होंगे और उनकी एक बड़ी सेना बन जाएगी? इसी से जुड़ी एक और भविष्यवाणी से पता चलता है कि जब महान दाविद, यीशु मसीह, राजा के नाते राज करना शुरू करता, तो उसके कुछ समय बाद बहाली की यह भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर पूरी होती।c (यहे. 37:24) वाकई ऐसा ही हुआ। यहोवा ने 1919 में अपने लोगों को पवित्र शक्‍ति दी। तब “वे ज़िंदा हो गए” और महानगरी बैबिलोन की बँधुआई से छूट गए। (यशा. 66:8) इसके बाद यहोवा ने उन्हें उनके “देश” में यानी फिरदौस जैसे माहौल में बसाया। लेकिन वे एक “बड़ी सेना” कैसे बने?

      एक भाई बाइबल में बतायी आशा पर मनन कर रहा है

      बक्स 10ग: अपने पैरों पर उठ खड़े होने के लिए सहारा

      15, 16. (क) हमारे समय में यहोवा के लोगों की एक “बड़ी सेना” कैसे बन गयी? (ख) यहेजकेल की इस भविष्यवाणी से हमें कैसे हिम्मत मिल सकती है? (यह बक्स देखें: “अपने पैरों पर उठ खड़े होने के लिए सहारा।”)

      15 जब मसीह ने 1919 में विश्‍वासयोग्य दास को ठहराया, तो उसके कुछ समय बाद यहोवा के सेवकों ने जकरयाह की एक भविष्यवाणी को पूरा होते देखा। जकरयाह भी बँधुआई से लौटनेवालों में से था। उसने यह भविष्यवाणी की, ‘कई देशों के लोग और बड़े-बड़े राष्ट्र यहोवा की खोज’ करेंगे। जकरयाह ने इन लोगों की तुलना ऐसे ‘दस लोगों’ से की जो ‘अलग-अलग भाषा बोलनेवाले सब राष्ट्रों में से हैं।’ वे लोग “एक यहूदी” यानी लाक्षणिक इसराएल के कपड़े का छोर पकड़ेंगे और कहेंगे, “हम तुम्हारे साथ चलना चाहते हैं क्योंकि हमने सुना है, परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।”—जक. 8:20-23.

      16 आज यहोवा के लोगों की “एक बहुत बड़ी सेना” है और इसकी तादाद लाखों में है। (यहे. 37:10) यह सेना लाक्षणिक इसराएल (यानी बचे हुए अभिषिक्‍त जन) से बनी है और इसमें “दस लोग” यानी दूसरी भेड़ें भी शामिल हैं। मसीह के सैनिकों के नाते हम अपने राजा की हर आज्ञा मानते हैं और हमें बहुत जल्द वे सारी आशीषें मिलनेवाली हैं जिनका हमसे वादा किया गया है।—भज. 37:29; यहे. 37:24; फिलि. 2:25; 1 थिस्स. 4:16, 17.

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