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“मंदिर का नियम यही है”सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
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यहेजकेल के दर्शन से आज हमें क्या सीख मिलती है?
13, 14. (क) हम कैसे जानते हैं कि मंदिर की भविष्यवाणी आखिरी दिनों में भी पूरी हो रही है? (ख) दर्शन से हमें कौन-सी दो बातें पता चलती हैं? (बक्स 13क भी देखें: “दो अलग मंदिर—उनसे मिलनेवाली सीख।”)
13 क्या हम पक्के तौर पर कह सकते हैं कि मंदिर के दर्शन से आज हम भी कुछ सीख सकते हैं? ज़रूर! याद कीजिए कि यहेजकेल ने दर्शन में जो देखा, कुछ ऐसी ही बात यशायाह ने भी अपनी भविष्यवाणी में बतायी थी। यहेजकेल ने देखा था कि परमेश्वर का पवित्र भवन एक “बहुत ऊँचे पहाड़ पर” है। यशायाह ने भी भविष्यवाणी की थी कि “यहोवा के भवन का पर्वत, सब पहाड़ों के ऊपर बुलंद किया जाएगा।” यशायाह ने साफ बताया कि उसकी भविष्यवाणी “आखिरी दिनों में” पूरी होगी। (यहे. 40:2; यशा. 2:2-4; कृपया मीका 4:1-4 भी देखें।) ये भविष्यवाणियाँ आखिरी दिनों में 1919 से पूरी होने लगीं।b तब से शुद्ध उपासना बहाल हो रही है, मानो एक ऊँचे पहाड़ पर बुलंद की जा रही है।
14 तो फिर हम पक्के तौर पर कह सकते हैं कि मंदिर के दर्शन से हम भी कुछ सीख सकते हैं। पुराने ज़माने के यहूदियों की तरह हमें भी इस दर्शन से दो बातें पता चलती हैं। (1) हम सीखते हैं कि हमें शुद्ध उपासना के बारे में यहोवा के स्तरों पर कैसे चलना चाहिए। (2) इस दर्शन से हमें यकीन होता है कि शुद्ध उपासना पूरी तरह बहाल होगी और हमें यहोवा से आशीषें मिलेंगी।
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यहेजकेल के दर्शन के मंदिर से मिलनेवाली सीखसारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
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शुद्ध उपासना बुलंद हुई और दूषित होने से बचायी गयी
दर्शन में मंदिर “एक बहुत ऊँचे पहाड़” (1) पर बुलंद किया गया था। क्या हमने भी शुद्ध उपासना को बुलंद किया है, उसे अपनी ज़िंदगी में सबसे पहली जगह दी है?
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