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आज का “मन्दिर” और “प्रधान”प्रहरीदुर्ग—1999 | मार्च 1
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३. मंदिर के प्रवेशद्वारों की ऊँची छत और दीवारों पर की गई नक्काशी से हम क्या सीखते हैं?
३ मान लीजिए कि हम दर्शन के इस मंदिर की सैर कर रहे हैं। सात सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद हम एक बड़े फाटक में प्रवेश करते हैं। इस प्रवेशद्वार के अंदर जाकर जब हमारी नज़र ऊपर उठती है तो हम देखते ही रह जाते हैं। इसकी छत ३० मीटर से भी ज़्यादा ऊँची है! इसके ज़रिए हमें याद दिलाया जाता है कि यहोवा की उपासना के इंतज़ाम में शामिल होनेवालों से ऊँचे उसूलों पर चलने की माँग की जाती है। दीवारों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी बनी हुई है और खिड़कियों से आ रही रोशनी उन पर पड़ रही है। बाइबल में सीधाई के गुण को दर्शाने के लिए खजूर के पेड़ की मिसाल इस्तेमाल की गई है। (भजन ९२:१२; यहेजकेल ४०:१४, १६, २२) यह पवित्र स्थान उनके लिए है जो अपने आचरण में और आध्यात्मिक रूप से सीधे हैं। इसलिए हम भी चाहते हैं कि हमेशा धार्मिकता की राह पर सीधी चाल चलें ताकि हमारी उपासना यहोवा को पसंद आए।—भजन ११:७.
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आज का “मन्दिर” और “प्रधान”प्रहरीदुर्ग—1999 | मार्च 1
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५. (क) यहेजकेल के दर्शन और प्रकाशितवाक्य ७:९-१५ में दिए गए यूहन्ना के दर्शन की कौन-सी बातें मिलती-जुलती हैं? (ख) यहेजकेल के दर्शन में बाहरी आंगन में उपासना करनेवाले १२ गोत्र किन लोगों को चित्रित करते हैं?
५ गलियारा आगे जाकर बाहरी आंगन में खुलता है, जहाँ लोग यहोवा की उपासना और स्तुति करते हैं। यह हमें प्रेरित यूहन्ना के दर्शन की याद दिलाता है जिसमें एक “बड़ी भीड़,” “मन्दिर में दिन रात” यहोवा की उपासना करती है। दोनों ही दर्शनों में खजूर के पेड़ दिखाई देते हैं। यहेजकेल के दर्शन में वे प्रवेशद्वार की दीवारों की शोभा बढ़ाते हैं। और यूहन्ना के दर्शन में यहोवा की उपासना करनेवालों के हाथों में खजूर की डालियाँ हैं, जो दिखाता है कि यहोवा की स्तुति करने और अपने राजा यीशु का स्वागत करने में उन्हें खुशी मिलती है। (प्रकाशितवाक्य ७:९-१५) यहेजकेल के दर्शन में इस्राएल के १२ गोत्र ‘अन्य भेड़ों’ को चित्रित करते हैं। (यूहन्ना १०:१६, NW; लूका २२:२८-३० से तुलना कीजिए।) क्या आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो यहोवा के राज्य का ऐलान करते हुए उसकी स्तुति करने में खुशी पाते हैं?
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