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‘जहाँ कहीं नदी बहेगी, वहाँ हर जीव ज़िंदा रह पाएगा’सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
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10, 11. (क) आज हम कैसे आशीषों की नदी का लुत्फ उठा रहे हैं? (ख) आखिरी दिनों में आशीषों की नदी कैसे तेज़ रफ्तार से बह रही है?
10 आशीषों की नदी। जैसे मंदिर से पानी की धारा लगातार बह रही थी, उसी तरह आज हम यहोवा से मिलनेवाली आशीषों का लगातार लुत्फ उठा रहे हैं। यहोवा ने ऐसे कई इंतज़ाम किए हैं जिनकी वजह से हम उसके साथ एक अच्छा रिश्ता कायम कर पाए हैं और हमें सच्चाई की बढ़िया खुराक मिल रही है। उसके इंतज़ामों में सबसे खास है, मसीह का फिरौती बलिदान। इसके आधार पर हमें पापों की माफी मिलती है और हम यहोवा की नज़र में शुद्ध ठहरते हैं। परमेश्वर के वचन की सच्चाइयाँ भी जीवन देनेवाले पानी की तरह हैं जो हमें शुद्ध करती हैं। (इफि. 5:25-27) हमारे दिनों में आशीषों की यह नदी कैसे उमड़ती जा रही है?
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हलकी-हलकी बहती धारा एक नदी बन जाती है!सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
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हलकी-हलकी बहती धारा एक नदी बन जाती है!
यहोवा के मंदिर से पानी की एक धारा हलकी-हलकी बहती है और यहेजकेल उसके साथ-साथ आगे बढ़ता है। पानी की यह धारा बस दो किलोमीटर आगे जाकर एक गहरी नदी बन जाती है। नदी के दोनों किनारे हरे-भरे पेड़ हैं जिन पर अच्छे फल लगते हैं और जिनके पत्ते रोग दूर करने के काम आते हैं। इन बातों का क्या मतलब है?
आशीषों की नदी
प्राचीन समय में: जब यहूदियों ने अपने देश लौटने के बाद मंदिर में शुद्ध उपासना बहाल करने में जी-जान लगा दी, तो उन्हें कई आशीषें मिलीं
आधुनिक समय में: 1919 में शुद्ध उपासना बहाल हुई और तब से यहोवा के सेवकों के लिए आशीषों की धारा बहने लगी। मतलब, उनके लिए ऐसे इंतज़ाम किए गए कि वे शुद्ध उपासना कर पाएँ
भविष्य में: हर-मगिदोन के बाद यहोवा हमें और भी कई आशीषें देगा। जैसे, हमें परिपूर्ण बना देगा और नयी-नयी सच्चाइयाँ सिखाएगा
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