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  • ‘जहाँ कहीं नदी बहेगी, वहाँ हर जीव ज़िंदा रह पाएगा’
    सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
    • 2 स्वर्गदूत यहेजकेल को बताता है कि वह नदी मृत सागर में जा मिलेगी जिससे उसका खारा पानी मीठा हो जाएगा। वैसे तो मृत सागर में कोई जीव ज़िंदा नहीं रह पाता, लेकिन जब नदी का पानी उस सागर में मिलेगा, तो उसमें मछलियों की भरमार हो जाएगी। यहेजकेल देखता है कि नदी किनारे दोनों तरफ हर तरह के पेड़ लगे हैं। हर महीने उनमें नए फल लगते हैं और उनके पत्ते रोग दूर करने के काम आते हैं। यह सब देखकर यहेजकेल का दिल खुशी से भर गया होगा और यह जानकर उसके मन को चैन मिला होगा कि आगे चलकर सबकुछ अच्छा हो जाएगा। तो आइए जानें कि यहेजकेल ने दर्शन में जो नदी देखी, वह उसके लिए और बँधुआई में रहनेवाले दूसरे यहूदियों के लिए क्या मायने रखती थी और आज हमारे लिए क्या मायने रखती है।

  • ‘जहाँ कहीं नदी बहेगी, वहाँ हर जीव ज़िंदा रह पाएगा’
    सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
    • 6. (क) नदी के दर्शन से लोगों को किस बात का यकीन हुआ होगा? (ख) इस दर्शन से उन्होंने और क्या जाना? (फुटनोट देखें।)

      6 जीवन देनेवाला पानी।  दर्शन में नदी मृत सागर में जा मिलती है जिससे उसका खारा पानी मीठा हो जाता है। इससे मृत सागर में मछलियों की भरमार हो जाती है, जैसे महासागर या भूमध्य सागर में होती है। यहाँ तक कि मृत सागर के किनारे दो नगरों के बीच मछुवाई का एक बड़ा कारोबार शुरू हो जाता है। ये दो नगर एक-दूसरे से बहुत दूर हैं। यह दिखाता है कि कारोबार कितने बड़े पैमाने पर हो रहा है। स्वर्गदूत यहेजकेल को बताता है, ‘जहाँ कहीं नदी का पानी बहेगा, वहाँ हर तरह का समुद्री जीव ज़िंदा रह पाएगा।’ क्या इसका यह मतलब है कि यहोवा के मंदिर से निकलनेवाला पानी पूरे मृत सागर में मिलकर उसके पानी को मीठा बना देगा? जी नहीं। स्वर्गदूत ने यहेजकेल को बताया कि मृत सागर के कुछ दलदल वाले इलाकों तक नदी का पानी नहीं पहुँचेगा। इसलिए उन इलाकों का पानी “खारा ही रहेगा।”b (यहे. 47:8-11) नदी के दर्शन से लोगों को यकीन हुआ होगा कि शुद्ध उपासना ज़रूर बहाल होगी, जिसकी वजह से उनमें एक तरह से दोबारा जान आ जाएगी। उन्होंने यह भी जाना कि कुछ लोग यहोवा की आशीषों की कदर नहीं करेंगे और न ही लाक्षणिक तौर पर चंगे होंगे।

  • हलकी-हलकी बहती धारा एक नदी बन जाती है!
    सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
    • जीवन देनेवाला पानी

      प्राचीन समय में: जब यहूदी अपने देश लौटे, तो यहोवा ने उन्हें बहुतायत में आशीषें दीं। उनकी गिनती बढ़ती गयी, फिर भी उनके लिए भरपूर इंतज़ाम किए गए ताकि वे यहोवा की उपासना कर सकें

      आधुनिक समय में: आज बहुत-से लोग सच्चाई सीख रहे हैं और यहोवा की सेवा करने के लिए फिरदौस जैसे माहौल में हमारे साथ जुड़ रहे हैं और एक तरह से नयी ज़िंदगी पा रहे हैं

      भविष्य में: फिरदौस में अनगिनत लोगों को ज़िंदा किया जाएगा। उन्हें और हर-मगिदोन से बचनेवालों को बहुतायत में यहोवा की आशीषें मिलेंगी

  • ‘जहाँ कहीं नदी बहेगी, वहाँ हर जीव ज़िंदा रह पाएगा’
    सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
    • 12. (क) सच्चाई जानने से लोगों को कैसे फायदा हुआ है? (ख) इस दर्शन से हमें क्या चेतावनी मिलती है? (फुटनोट भी देखें।)

      12 जीवन देनेवाला पानी।  यहेजकेल को स्वर्गदूत ने बताया था, ‘जहाँ कहीं नदी का पानी बहेगा, वहाँ हर तरह का जीव ज़िंदा रह पाएगा।’ यह बात आज कैसे पूरी हो रही है? आज सच्चाई का जल लाखों लोगों तक पहुँच रहा है और वे इसे स्वीकार करके फिरदौस जैसे माहौल में जी रहे हैं। ऐसे लोगों पर जीवन के जल का बढ़िया असर हो रहा है। सच्चाई जानने से उन्हें नयी ज़िंदगी मिल गयी है और वे यहोवा पर मज़बूत विश्‍वास पैदा कर पाए हैं। दर्शन से हमने यह भी सीखा कि कुछ लोग बाद में सच्चाई के मुताबिक चलना छोड़ देते हैं। उनका दिल मृत सागर के दलदल और कीचड़ वाले इलाकों जैसा हो जाता है, इसलिए वे सच्चाई की कदर नहीं करते और उसके मुताबिक जीना छोड़ देते हैं।c मगर हमें ध्यान रखना है कि हमारे अंदर ऐसा रवैया न पैदा हो।—व्यवस्थाविवरण 10:16-18 पढ़िए।

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