-
हमारे “देश” पर यहोवा की आशीषप्रहरीदुर्ग—1999 | मार्च 1
-
-
१३. हमारे समय में चंगाई का कौन-सा काम किया जा रहा है?
१३ दर्शन की नदी बेजान मृत सागर में जाती है और जिधर-जिधर से गुज़रती है वहाँ जान फूँक देती है। यह मृत सागर आध्यात्मिक रूप से बेजान वातावरण को दर्शाता है। लेकिन ‘जहां जहां यह नदी बहती है,’ वहाँ वहाँ जीवन फलने-फूलने लगता है। (यहेजकेल ४७:९) उसी तरह, इन अंतिम दिनों में जहाँ कहीं जीवन का जल पहुँचा है वहाँ लोग आध्यात्मिक रूप से जीने लगे हैं। इससे ताज़ा-दम होनेवालों में सबसे पहले थे इस धरती पर बचे अभिषिक्त जन। वे आध्यात्मिक रूप से बेजान और ठंडे हो चुके थे मगर सन् १९१९ में वे इस हालत से उबर आए और उनमें दोबारा जान आ गई। (यहेजकेल ३७:१-१४; प्रकाशितवाक्य ११:३, ७-१२) तब से जीवन देनेवाला यह जल आध्यात्मिक रूप से मरे हुए और भी लोगों तक पहुँचा है और वे भी जीने लगे हैं। यही लोग अन्य भेड़ों की बड़ी भीड़ का एक हिस्सा हैं जो दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। ये लोग यहोवा से प्यार करते हैं और उसकी सेवा करते हैं। जल्द ही, इस इंतज़ाम का फायदा नई दुनिया में जी उठनेवाले लाखों लोगों को भी मिलेगा।
-
-
हमारे “देश” पर यहोवा की आशीषप्रहरीदुर्ग—1999 | मार्च 1
-
-
१८ मसीह के हज़ार साल के राज्य में तन-मन की सारी बीमारियाँ और तकलीफें दूर की जाएँगी। यह बात दर्शन में पेड़ों से ‘जाति जाति के लोगों के चंगा होने’ से दिखाई गई है। मसीह और १,४४,००० जन परमेश्वर द्वारा किए गये इंतज़ाम का फायदा हम तक पहुँचाएँगे जिसका नतीजा यह होगा कि “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” (यशायाह ३३:२४) और उस वक्त यह नदी की धारा अपनी आखिरी सीमा तक फैल जाएगी। तब इसका और ज़्यादा चौड़ा और गहरा होना ज़रूरी हो जाएगा ताकि नई दुनिया में जी उठनेवाले करोड़ों या शायद अरबों लोग इसमें से जीवन का शुद्ध जल पी सकें। दर्शन में, नदी ने मृत सागर को चंगा किया और जहाँ कहीं उसका पानी पहुँचा वहाँ जीवन फलने-फूलने लगा। उसी तरह नयी दुनिया में स्त्री और पुरुष सही मायनों में जीने लगेंगे, क्योंकि छुड़ौती से मिलनेवाले फायदों पर विश्वास जताने की वज़ह से उन्हें आदम से विरासत में मिली मौत से चंगा किया जाएगा। प्रकाशितवाक्य २०:१२ में भविष्यवाणी बताती है कि तब “पुस्तकें” खोली जाएँगी जिनसे उस वक्त जी उठनेवालों को ज़्यादा समझ और रोशनी मिलेगी। अफसोस की बात है कि उस नयी दुनिया में भी कुछ लोग चंगा नहीं होना चाहेंगे। ये विद्रोही “खारे ही रहेंगे,” यानी हमेशा के लिए नाश कर दिए जाएँगे।—प्रकाशितवाक्य २०:१५.
-