वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • हमारे “देश” पर यहोवा की आशीष
    प्रहरीदुर्ग—1999 | मार्च 1
    • १२. (क) यहेजकेल के दर्शन में पेड़ अनोखे तरीके से क्यों फलते-फूलते हैं? (ख) अंतिम दिनों में इन फलने-फूलनेवाले पेड़ किसे चित्रित करते हैं?

      १२ यहेजकेल के दर्शन की नदी तंदरुस्ती और ज़िंदगी देती है। यहेजकेल को बताया जाता है कि नदी के तीर पर ऐसे पेड़ उपजेंगे “जिनके पत्ते न मुर्झाएंगे और उनका फलना भी कभी बन्द न होगा, . . . उनके फल तो खाने के, और पत्ते औषधि के काम आएंगे।” ये पेड़ इस अनोखे तरीके से क्यों फलते-फूलते हैं? “क्योंकि उनको सींचने वाला पानी पवित्रस्थान से बहता है।” (NHT) (यहेजकेल ४७:१२ख) दर्शन के ये पेड़, मानवजाति को सिद्ध बनाने के लिए परमेश्‍वर के उन सभी इंतज़ामों को चित्रित करते हैं जो यीशु के छुड़ौती बलिदान के आधार पर किये गये हैं। आज पृथ्वी पर बचे हुए अभिषिक्‍त जन आध्यात्मिक आहार और चंगाई का इतंज़ाम करने में बढ़त लेते हैं। जब सभी १,४४,००० जन अपना स्वर्गीय इनाम पा चुके होंगे तब मसीह के साथ राजाओं और याजकों की हैसियत से उनका काम तब तक चलता रहेगा जब तक आदम से आई मौत को पूरी तरह से खत्म न कर दिया जाए।—प्रकाशितवाक्य ५:९, १०; २१:२-४.

  • हमारे “देश” पर यहोवा की आशीष
    प्रहरीदुर्ग—1999 | मार्च 1
    • १७, १८. (क) प्रकाशितवाक्य २२:१, २ में जीवन देनेवाली नदी का वर्णन किस तरह किया गया है और यह दर्शन खासकर कब पूरा होगा? (ख) नयी दुनिया में जीवन के जल की नदी क्यों और ज़्यादा चौड़ी और गहरी हो जाएगी?

      १७ तो इसका मतलब है कि उस वक्‍त यहेजकेल के दर्शन की जीवन के जल की यह महाधारा अपने पूरे ज़ोरों पर उमड़ रही होगी। यही वह समय होगा जब प्रकाशितवाक्य २२:१, २ की भविष्यवाणी खासकर पूरी होगी: “उस ने मुझे बिल्लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की एक नदी दिखाई, जो परमेश्‍वर और मेम्ने के सिंहासन से निकलकर, उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी। और नदी के इस पार; और उस पार, जीवन का पेड़ था: उस में बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस पेड़ के पत्तों से जाति जाति के लोग चंगे होते थे।”

      १८ मसीह के हज़ार साल के राज्य में तन-मन की सारी बीमारियाँ और तकलीफें दूर की जाएँगी। यह बात दर्शन में पेड़ों से ‘जाति जाति के लोगों के चंगा होने’ से दिखाई गई है। मसीह और १,४४,००० जन परमेश्‍वर द्वारा किए गये इंतज़ाम का फायदा हम तक पहुँचाएँगे जिसका नतीजा यह होगा कि “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” (यशायाह ३३:२४) और उस वक्‍त यह नदी की धारा अपनी आखिरी सीमा तक फैल जाएगी। तब इसका और ज़्यादा चौड़ा और गहरा होना ज़रूरी हो जाएगा ताकि नई दुनिया में जी उठनेवाले करोड़ों या शायद अरबों लोग इसमें से जीवन का शुद्ध जल पी सकें। दर्शन में, नदी ने मृत सागर को चंगा किया और जहाँ कहीं उसका पानी पहुँचा वहाँ जीवन फलने-फूलने लगा। उसी तरह नयी दुनिया में स्त्री और पुरुष सही मायनों में जीने लगेंगे, क्योंकि छुड़ौती से मिलनेवाले फायदों पर विश्‍वास जताने की वज़ह से उन्हें आदम से विरासत में मिली मौत से चंगा किया जाएगा। प्रकाशितवाक्य २०:१२ में भविष्यवाणी बताती है कि तब “पुस्तकें” खोली जाएँगी जिनसे उस वक्‍त जी उठनेवालों को ज़्यादा समझ और रोशनी मिलेगी। अफसोस की बात है कि उस नयी दुनिया में भी कुछ लोग चंगा नहीं होना चाहेंगे। ये विद्रोही “खारे ही रहेंगे,” यानी हमेशा के लिए नाश कर दिए जाएँगे।—प्रकाशितवाक्य २०:१५.

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें