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  • ‘देश की ज़मीन विरासत में बाँटो’
    सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
    • ‘यह देश तुम्हें विरासत में दिया जा रहा है’

      5, 6. (क) यहेजकेल के दर्शन में जिस इलाके को बाँटने की बात की गयी, वह क्या था? (शुरूआती तसवीर देखें।) (ख) दर्शन में क्यों दिखाया गया कि ज़मीन का बँटवारा कैसे होगा?

      5 यहेजकेल 47:14 पढ़िए। दर्शन में यहोवा यहेजकेल को एक इलाका दिखाता है जो बहुत जल्द “अदन के बाग” जैसा खूबसूरत बन जाएगा। (यहे. 36:35) फिर यहोवा कहता है, “तुम देश का यह इलाका इसराएल के 12 गोत्रों को विरासत में बाँटोगे।” (यहे. 47:13) ‘देश के इलाके’ का मतलब इसराएल देश है जहाँ कुछ समय बाद यहूदी लौटकर बसनेवाले थे। फिर जैसे यहेजकेल 47:15-21 में लिखा है, यहोवा साफ-साफ बताता है कि देश की सरहदें उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्‍चिम में कहाँ से कहाँ तक होंगी।

      6 यहेजकेल को दर्शन में क्यों दिखाया जाता है कि ज़मीन का बँटवारा कैसे होगा? वह इसलिए कि यहोवा यहेजकेल और बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों को यकीन दिलाना चाहता है कि उनका देश दोबारा बसाया जाएगा। जब लोगों ने जाना कि यहोवा ने साफ-साफ बताया है कि देश की सरहदें कहाँ से कहाँ तक होंगी और ज़मीन कैसे गोत्रों में बाँटी जाएगी, तो सोचिए उनके मन में कैसी उमंगें जाग उठी होंगी! पर सवाल यह है कि क्या उनकी सारी उम्मीदें पूरी हुईं? जब वे अपने देश लौटे, तो क्या सबको विरासत में ज़मीन का एक टुकड़ा मिला? बिलकुल।

      यहेजकेल ने दर्शन में जो ज़मीन देखी, उसका एक हिस्सा

      7. (क) ईसा पूर्व 537 से क्या होने लगा? (ख) हमारे दिनों में भी क्या हुआ है? (ग) हम पहले किस सवाल का जवाब जानेंगे?

      7 यहेजकेल को यह दर्शन मिलने के करीब 56 साल बाद यानी ईसा पूर्व 537 से हज़ारों यहूदी इसराएल देश लौटने लगे और वहाँ बसने लगे। कुछ इसी तरह की घटना हमारे ज़माने में भी हुई है। परमेश्‍वर के लोगों को एक लाक्षणिक देश विरासत में दिया गया है। यहोवा ने उन्हें फिरदौस जैसे माहौल में रहने का मौका दिया है। तो फिर पुराने ज़माने में हुई बहाली से हम आज की बहाली के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं। लेकिन इस बारे में जानने से पहले आइए एक और सवाल का जवाब जानें। हम कैसे कह सकते हैं कि आज यहोवा के लोग एक लाक्षणिक देश या फिरदौस में रहते हैं?

      8. (क) यहोवा ने पैदाइशी इसराएलियों को ठुकराकर किसे अपनी प्रजा चुना? (ख) लाक्षणिक देश का क्या मतलब है? (ग) यह कब से वजूद में आया और इसमें कौन-कौन बसे हैं?

      8 यहोवा ने बहुत पहले एक दर्शन में यहेजकेल पर ज़ाहिर किया था कि जब उसका “सेवक दाविद” यानी यीशु राज करना शुरू करेगा, तो उसके बाद इसराएल की बहाली की भविष्यवाणियाँ बड़े पैमाने पर पूरी होंगी। (यहे. 37:24) यीशु 1914 में राजा बना। इससे पता चलता है कि ये भविष्यवाणियाँ उसके बाद ही बड़े पैमाने पर पूरी होतीं। यहोवा ने 1914 से सदियों पहले ही पैदाइशी इसराएलियों के राष्ट्र को ठुकरा दिया था। उसने उनके बदले अभिषिक्‍त मसीहियों से बने लाक्षणिक इसराएल को अपनी खास प्रजा चुन लिया था। (मत्ती 21:43; 1 पतरस 2:9 पढ़िए।) इतना ही नहीं, यहोवा ने अपने लोगों को सचमुच के इसराएल देश के बजाय एक लाक्षणिक देश में बसाया। (यशा. 66:8) यह लाक्षणिक देश क्या है? हमने इस किताब के अध्याय 17 में देखा था कि इस लाक्षणिक देश का मतलब फिरदौस जैसा माहौल है जहाँ हम यहोवा के सेवक महफूज़ बसे हुए हैं। अभिषिक्‍त मसीही 1919 से इस फिरदौस में यहोवा की उपासना करने लगे। (बक्स 9ख देखें, “1919 ही क्यों?”) बाद में “दूसरी भेड़ें” यानी धरती पर जीने की आशा रखनेवाले भी इस फिरदौस में उनके साथ मिल गए। (यूह. 10:16) आज इस फिरदौस की सरहदें बढ़ती जा रही हैं और हमें कई आशीषें मिल रही हैं। फिर भी असली आशीषें तो हमें हर-मगिदोन के बाद मिलेंगी, जब यह धरती सचमुच एक फिरदौस बन जाएगी।

  • ‘देश की ज़मीन विरासत में बाँटो’
    सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
    • 13 पहला फर्क, ज़मीन।  मूसा को बताया गया था कि बड़े गोत्रों को ज़्यादा ज़मीन दी जाए और छोटे गोत्रों को कम। (गिन. 26:52-54) लेकिन यहेजकेल के दर्शन में यहोवा ने साफ-साफ कहा कि सभी गोत्रों को “बराबर  हिस्सा” मिलना चाहिए ताकि ‘हर कोई अपने भाई की तरह’ विरासत में एक समान इलाका पाए। (यहे. 47:14, फु.) इसका मतलब था कि हर गोत्र की ज़मीन उत्तरी सिरे से लेकर दक्षिणी सिरे तक एक बराबर होती। इसलिए सभी इसराएलियों को, फिर चाहे वे किसी भी गोत्र के हों, वादा किए गए देश की उपजाऊ ज़मीन से और पानी की बहुतायत से बराबर फायदा होता।

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