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  • शेरों के मुँह से बचाया गया!
    दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
    • 7. अध्यक्षों और अधिपतियों ने राजा को क्या मशविरा दिया, और उन्होंने किस ढंग से इसे राजा के सामने पेश किया?

      7 तब ये सारे अध्यक्ष और अधिपति “टोली बना कर राजा के पास गए।” (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) अरामी भाषा के जिस शब्द का ‘टोली बनाकर आना’ अनुवाद किया गया है, उसका मतलब है एक बहुत बड़ी भीड़ जो शोर मचाती और हो-हल्ला करती हुई आ रही हो। ऐसे भीड़ बनाकर शोर मचाते हुए आने से वे दारा को यह दिखाना चाहते थे कि वे एक बहुत ही गंभीर मसले को लेकर उसके पास आए हैं, जिस पर फौरन ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है। और उन्होंने यह भी सोचा होगा कि अगर हम इस तरह साथ मिलकर राजा दारा को यह यकीन दिला दें कि हमारा मशविरा उसी की भलाई के लिए है तो वह फौरन हमारी बात मान लेगा और हमसे कोई सवाल नहीं करेगा। उन्होंने वक्‍त बर्बाद किए बिना राजा से सीधे यही कहा: “राज्य के सारे अध्यक्षों ने, और हाकिमों, अधिपतियों, न्यायियों, और गवर्नरों ने भी आपस में सम्मति की है, कि राजा ऐसी आज्ञा दे और ऐसी कड़ी आज्ञा निकाले, कि तीस दिन तक जो कोई, हे राजा, तुझे छोड़ किसी और मनुष्य वा देवता से बिनती करे, वह सिंहों की मान्द में डाल दिया जाए।”a—दानिय्येल 6:6, 7.

      8. (क) दारा को अध्यक्षों और अधिपतियों का मशविरा कैसा लगा होगा? (ख) अध्यक्षों और अधिपतियों का असली इरादा क्या था?

      8 पुराने लेखों से पता चलता है कि मेसोपोटामिया (बाबुल और आसपास) के लोग राजाओं को देवता या ईश्‍वर का अवतार मानकर उनकी आराधना करते थे। तो इसमें कोई शक नहीं कि इन अध्यक्षों और अधिपतियों की यह बात सुनकर दारा वाकई खुश हुआ होगा। उसे इसमें अपनी हुकूमत का फायदा भी नज़र आया होगा। बाबुल के लोगों के लिए दारा एक विदेशी राजा था और अभी नया था। इसलिए उसने सोचा होगा कि यह आज्ञा बाबुल के लोगों पर यह साफ ज़ाहिर कर देगी कि वही बाबुल का राजा है और उन्हें नई हुकूमत के वफादार बने रहना होगा। मगर अध्यक्षों और अधिपतियों ने ये सब सोचकर राजा को यह आज्ञा निकालने का मशविरा नहीं दिया था। उन्हें राजा की भलाई की कोई परवाह नहीं थी। दरअसल, उनका असली इरादा तो बस दानिय्येल को फँसाना था। वे अच्छी तरह जानते थे कि दानिय्येल हर रोज़, दिन में तीन बार, घर की उपरौठी कोठरी में जाकर खिड़की के सामने अपने परमेश्‍वर से प्रार्थना करता है।

      9. इस नई आज्ञा का पालन करने में गैर-यहूदी लोगों को कोई मुश्‍किल क्यों नहीं थी?

      9 बाबुल के लोग कई देवी-देवताओं को मानते थे और उनसे प्रार्थना करते थे। मगर राजा को छोड़ किसी और देवता से प्रार्थना या बिनती ना करने की इस नई आज्ञा का पालन करने में क्या उन्हें कोई मुश्‍किल होती? नहीं, क्योंकि पहली बात तो यह थी कि यह पाबंदी सिर्फ एक महीने के लिए थी। इसके अलावा, इन गैर-यहूदी लोगों को अपने देवी-देवताओं को छोड़कर कुछ दिनों के लिए राजा से प्रार्थना करने में कोई आत्म-ग्लानि महसूस नहीं होती। जैसा कि एक बाइबल विद्वान भी कहते हैं: “मूर्ति-पूजा करनेवाले देशों में राजा की पूजा करना कोई बड़ी बात नहीं थी। इसीलिए जब नये राजा दारा मादी ने बाबुल के लोगों को अपनी उपासना करने का हुक्म दिया तो उन्होंने फौरन मान लिया। सिर्फ यहूदी लोगों को ही इस पर एतराज़ था।”

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    दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
    • a पुराने शिलालेखों से पता चलता है कि बाबुल और उसके आस-पास के देशों के राजा अकसर चिड़ियाघर बनाते थे जिनमें ‘सिंहों की मान्दें’ भी थीं।

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