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यूनान पाँचवी महान् विश्व शक्तिप्रहरीदुर्ग—1989 | नवंबर 1
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दूसरे भविष्यसूचक दर्शन में, एक बकरा “सूर्यास्त (पश्चिम दिशा) से निकलकर सारी पृथ्वी के ऊपर” दिखायी दिया, और वह ऐसी गति से फिर रहा था कि “भूमि पर पाँव न छू रहे थे।” यह दो-सींगवाले मेढ़े के पास आया, जिस का “अर्थ” स्वर्गदूत कहता है “मादियों और फ़ारसियों के राजा से है।” उसने “मेढ़े को मारकर उसके दोनों सींगों को तोड़ दिया।” दानिय्येल को बताया गया: “और वह रोंआर बकरा यूनान का राजा है।”—दानिय्येल ८:५-८, २०, २१.
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यूनान पाँचवी महान् विश्व शक्तिप्रहरीदुर्ग—1989 | नवंबर 1
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भविष्यवाणियाँ परिपूर्ण हुईं
सा.यु.पू. सन् ३३४ की वसंत ऋतु में, सिकंदर ने लगभग ३०,००० प्यादों और ५,००० घुड़सवारों के साथ दार्दानेल्स (प्राचीन हेल्लेस्पोंट) से एशिया में प्रवेश किया। प्रतीकात्मक चार-पंखवाले चीते या बकरे की गति के साथ, जो प्रतीत होता था कि ज़मीन को न छू रहा था, वह फ़ारसी साम्राज्य की रियासतों में से तेज़ी से चला—जो कि खुद उसके राज्य के विस्तार से ५० गुना ज़्यादा थे! क्या वह ‘अपना राज्य बढ़ाकर अपनी इच्छा के अनुसार ही काम किया करता’? इतिहास जवाब देता है:
एशिया माइनर (आधुनिक तुर्किस्तान) के उत्तरपश्चिमी कोने में, ग्रॅनिकस नदी पर बड़े सिकंदर ने फ़ारसियों के विरुद्ध अपना पहला युद्ध जीता। उसी वर्ष की शीतऋतु में उसने पश्चिमी एशिया पर कब्ज़ा किया। अगले वर्ष की शरदऋतु में एशिया माइनर के दक्षिणपूर्वी कोने में आइसस् नाम जगह में, उसने अनुमानतः पाँच लाख आदमियों की एक फ़ारसी सेना पूर्ण रूप से हरा दी, और महान् राजा, फ़ारस का दारा III, सिकंदर के हाथों अपना परिवार त्यागकर भाग गया।
भाग रहे फ़ारसियों का पीछा करने के बजाय, सिकंदर मेडिटरेनियन तट पर शक्तिशाली फ़ारसी जलसेना द्वारा इस्तेमाल किए गए एक एक अड्डे पर कब्ज़ा करके, दक्षिण की ओर चलता गया। सोर का द्वीप शहर सात महीनों तक उसका प्रतिरोध किया। आख़िरकार, नबूकदनेस्सर द्वारा नष्ट किए गए पुराने मुख्य भूमि शहर का मलवा इस्तेमाल करके, सिकंदर ने द्वीप शहर पहुँचने के लिए एक सेतूमार्ग बनाया। उस सेतूमार्ग के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं, जो यहेजकेल की भविष्यवाणी की परिपूर्णता को सत्य सिद्ध करते हैं कि सोर की धूलि जल में फेंकी जाती।—यहेजकेल २६:४, १२.
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यूनान पाँचवी महान् विश्व शक्तिप्रहरीदुर्ग—1989 | नवंबर 1
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फिलिप की योजना के सभी लक्ष्य, और उन से भी ज़्यादा पूरे किए गए थे, लेकिन सिकंदर अभी विजय प्राप्त करना बन्द करनेवाला न था। एक तेज़गामी बकरे की तरह, वह फिर से उत्तर-पूर्वी दिशा में मुड़ा, पलश्तीन में से हिद्देकेल् नदी की ओर चला। वहाँ, सा.यु.पू. ३३१ में, उसने गौगामेला में फ़ारसियों से लड़ाई की, जो भूतपूर्व अश्शूरी राजधानी, नीनवे, के टूटते हुए खण्डहर के पास था। सिकंदर के ४७,००० आदमियों ने १०,००,००० आदमियों की पुनःसंगठित फ़ारसी सेना को पराजित किया। दारा III निकल भागा और बाद में खुद उसके लोगों ने उसकी हत्या की।
विजय से उत्तेजित होकर, सिकंदर दक्षिण की ओर मुड़ा और फ़ारसियों की शीतकालीन राजधानी पर कब्ज़ा किया। उसने सूसा और पर्सेपोलिस की राजधानियों पर भी अधिकार किया, और विशाल फ़ारसी खज़ाने को छीनकर उसने ज़रक्सीज़ के बड़े राजमहल को जला डाला। आख़िरकार, ॲक्बाटाना में राजधानी उसके सामने पराजित हुई। इस तेज़गामी विजेता ने फिर फ़ारसियों की बाक़ी रियासत को वशीभूत करके आधुनिक पाक़िस्तान में इंडस नदी तक पूर्वी दिशा में बढ़ गया। निःसन्देह, यूनान बाइबल इतिहास की विश्व शक्तियों की पाँचवी शक्ति बन गया था।
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