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  • एक जाति का निधन
    प्रहरीदुर्ग—1989 | फरवरी 1
    • विरोधियों का नहीं, यहोवा का भय मानें। इस्राएल का विनाश टिड्डियों के एक झुंड से या सर्व-नाशकारी आग से लाया जा सकता था। आमोस ने इस्राएल के पक्ष पर परमेश्‍वर से निवेदन किया, और अपने दंडादेश के कारण “यहोवा को अफ़सोस” हुआ, तो यह इस तरह न किया गया। परंतु, एक निर्माणकर्ता के जैसे जो किसी दीवार के उदग्र तल की जाँच एक साहुल से करता है, यहोवा इस्राएल को ‘अब न छोड़ेगा।’ (आमोस ७:१-८, न्यू.व.) जाति को अवश्‍य उजाड़ देना था। भविष्यद्वक्‍ता के संदेश से क्रुद्ध होकर, अमस्याह, गोवत्स-पूजा का याजक, आमोस पर देशद्रोह का झूठा आरोप लगाकर, उसे ‘यहूदा देश में भाग जाने और बेतेल में फिर कभी भविष्यद्वाणी ने करने’ का आदेश देता है। (आमोस ७:१२, १३) क्या आमोस सहमता है? नहीं! वह निडरता से अमस्याह की मृत्यु और उसके परिवार के लिए विपत्ति पूर्वबतलाता है। जैसे धान्य फ़सल के समय इकट्ठा किया जाता है, वैसे ही यहोवा का इस्राएल से जवाब तलब करने का समय आया है। कोई बचाव न होगा।​—आमोस ७:१-८:१४.

  • एक जाति का निधन
    प्रहरीदुर्ग—1989 | फरवरी 1
    • ७:१​—‘राजा की कटनी की घास’ संभवतः उस महसूल या कर का ज़िक्र करता है जो राजा द्वारा अपने जानवरों और अश्‍वसेना को खाना देने के लिए वसूल किया जाता था। पहले राजा का महसूल भरना था, जिसके बाद ही लोग “घास,” या वनस्पति, अपने उपयोग के लिए प्राप्त कर सकते थे। पर उनका ऐसा करने से पहले, टिड्डियों ने आकर इस बादवाले रोपण को खा डाला।

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