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उसने अपनी गलतियों से सबक सीखाउनके विश्वास की मिसाल पर चलिए
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12. (क) हमें योना को क्यों गलत नहीं ठहराना चाहिए कि वह आँधी के वक्त सो गया था? (फुटनोट भी देखें।) (ख) यहोवा ने कैसे खुलासा कर दिया कि कौन कसूरवार है?
12 बेबस होकर योना जहाज़ के निचले हिस्से में जाकर गहरी नींद सो गया।b फिर कप्तान ने जाकर उसे जगाया और कहा कि वह भी सबकी तरह अपने ईश्वर को पुकारे। नाविकों को लगा कि यह ज़रूर ईश्वर का प्रकोप होगा, इसलिए वे सबके नाम से चिट्ठियाँ डालने लगे ताकि पता लगाएँ कि जहाज़ पर मौजूद किस इंसान की वजह से यह आफत आयी है। योना ने देखा कि एक-एक करके सबके नाम से चिट्ठी डाली जा रही है, मगर उनका नाम नहीं निकल रहा। जैसे-जैसे उसकी बारी नज़दीक आयी, उसकी धड़कन तेज़ होने लगी। फिर जल्द ही सच्चाई सबके सामने आ गयी। चिट्ठी योना के नाम निकली! इस तरह यहोवा ने खुलासा कर दिया कि योना ही कसूरवार है।—योना 1:5-7 पढ़िए।
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उसने अपनी गलतियों से सबक सीखाउनके विश्वास की मिसाल पर चलिए
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b सेप्टुआजेंट बाइबल बताती है कि योना इतनी गहरी नींद सो रहा था कि वह खर्राटे ले रहा था। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह बिलकुल बेफिक्र था। जब एक इंसान बहुत हताश हो जाता है तो नींद उस पर हावी होने लगती है। यीशु के चेलों के साथ भी ऐसा ही हुआ था। गतसमनी के बाग में जब यीशु का मन दुख और चिंता से भारी था तो पतरस, याकूब और यूहन्ना “सो रहे थे क्योंकि वे दुख के मारे पस्त हो चुके थे।”—लूका 22:45.
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