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  • उसने अपनी गलतियों से सबक सीखा
    प्रहरीदुर्ग—2009 | अप्रैल 1
    • लेकिन यह क्या? उसे पास में एक काली-सी बड़ी चीज़ दिखायी दे रही थी जो हिल रही थी। यह तो कोई जानदार चीज़ थी! वह धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ रही थी। और जैसे ही वह योना के पास आयी, उसने अपना बड़ा-सा मुँह खोला और योना को निगल लिया!

      योना ने सोचा कि अब यही मेरा अंत है। मगर यह क्या, वह तो अभी-भी ज़िंदा था। उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था। वह न तो चबाया गया, न हज़म किया गया और न ही उसे घुटन महूसस हुई। उसकी साँस अब भी चल रही थी, जबकि यह जगह ऐसी थी जहाँ से कोई ज़िंदा नहीं बच सकता। धीरे-धीरे योना का दिल यहोवा के लिए विस्मय से भर गया। इसमें कोई शक नहीं कि योना के परमेश्‍वर यहोवा ने ही उसे “निगल जाने के लिए एक बहुत बड़ी मछली भेजी” थी।c—योना 1:17, ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

      एक-एक पल गुज़रने लगा, एक घंटा बीता, फिर दूसरा घंटा और इसी तरह समय बीतता गया। वहाँ उस गहरे अंधकार में योना के पास सोचने के लिए बहुत समय था। उसने यहोवा परमेश्‍वर से प्रार्थना की। उसकी यह पूरी प्रार्थना बाइबल की योना किताब के दूसरे अध्याय में दर्ज़ है और इससे हमें योना के बारे में काफी कुछ पता चलता है। इस प्रार्थना में उसने भजनों की किताब से कई हवाले दिए, जो दिखाता है कि योना को शास्त्र का अच्छा ज्ञान था। और उसके एक अच्छे गुण के बारे में भी पता चलता है, वह है एहसानमंदी। योना ने अपनी प्रार्थना के आखिर में कहा: “मैं ऊंचे शब्द से धन्यवाद करके तुझे बलिदान चढ़ाऊंगा; जो मन्‍नत मैं ने मानी, उसको पूरी करूंगा। उद्धार यहोवा ही से होता है!”—योना 2:9.

      योना ने एक अहम बात सीखी कि सिर्फ यहोवा ही अपने सेवकों का उद्धार कर सकता है। वह कहीं पर भी और किसी भी वक्‍त उनका उद्धार कर सकता है। यहाँ तक कि “मछली के पेट में,” जहाँ से बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, वहाँ भी यहोवा ने अपने सेवक योना को ढूँढ़ निकाला और उसकी जान बचायी। (योना 1:17) केवल यहोवा ही किसी इंसान को तीन दिन और तीन रात एक बड़ी मछली के पेट में ज़िंदा और सही-सलामत रख सकता है। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि यहोवा ही वह ‘परमेश्‍वर है, जिसके हाथ में हमारा प्राण है।’ (दानिय्येल 5:23) हम अपनी हर साँस के लिए, अपने पूरे वजूद के लिए यहोवा के कर्ज़दार हैं। तो क्या हमें इसके लिए एहसानमंद नहीं होना चाहिए? जब यहोवा ने हमें ज़िंदगी दी है तो क्या हमारा फर्ज़ नहीं बनता कि हम उसकी आज्ञाएँ मानें?

      योना के बारे में क्या कहा जा सकता है? क्या उसने सबक सीखा और यहोवा की आज्ञा मानकर अपनी एहसानमंदी दिखायी? जी हाँ। तीन दिन और तीन रात के बाद, वह मछली योना को सीधे समुंदर के किनारे ले गयी और उसे “स्थल पर उगल दिया।” (योना 2:10) सोचिए, योना को किनारे तक तैरने की ज़रूरत भी नहीं पड़ी! हाँ, उसे किनारे से आगे का रास्ता ज़रूर ढूँढ़ना पड़ा। लेकिन जल्द ही उसे यह दिखाने का मौका मिला कि वह यहोवा का एहसानमंद है या नहीं। योना 3:1, 2 में लिखा है: “तब यहोवा का यह वचन दूसरी बार योना के पास पहुंचा, उठकर उस बड़े नगर नीनवे को जा, और जो बात मैं तुझ से कहूंगा, उसका उस में प्रचार कर।” इस बार योना ने क्या किया?

  • उसने अपनी गलतियों से सबक सीखा
    प्रहरीदुर्ग—2009 | अप्रैल 1
    • c जब बाइबल का अनुवाद इब्रानी भाषा से यूनानी में किया गया, तो “मछली” के लिए जो इब्रानी शब्द था, उसका अनुवाद “डरावना समुद्री जीव” या “बहुत बड़ी मछली” किया गया। हालाँकि यह ठीक-ठीक पता नहीं लगाया जा सकता कि वह किस तरह का समुद्री जीव था, मगर भूमध्य सागर में इतनी बड़ी-बड़ी शार्क मछलियाँ पायी गयी हैं जो एक पूरे इंसान को निगल सकती हैं। दूसरे महासागरों में तो इससे भी बड़ी-बड़ी शार्क मछलियाँ हैं, जैसे व्हेल शार्क। उसकी लंबाई करीब 15 मीटर या उससे भी ज़्यादा हो सकती है!

  • उसने अपनी गलतियों से सबक सीखा
    प्रहरीदुर्ग—2009 | अप्रैल 1
    • कभी-कभी ऐसी अनोखी घटनाएँ घटती हैं जिनमें परमेश्‍वर का कोई हाथ नहीं होता। जैसे, कहा जाता है कि सन्‌ 1758 में भूमध्य सागर में एक नाविक अपने जहाज़ से गिर गया और उसे एक शार्क ने निगल लिया। लेकिन जब शार्क पर गोला दागा गया, तो उसने नाविक को उगल दिया। इस तरह वह नाविक ज़िंदा बच गया और उसे ज़्यादा चोट भी नहीं आयी। अगर यह कहानी सच है तो हम इसे ज़रूर एक अजूबा या हैरतअँगेज़ कहानी कहेंगे। लेकिन हम इसे परमेश्‍वर का चमत्कार नहीं कहेंगे। सोचिए कि अगर इत्तफाक से ऐसी घटनाएँ हो सकती हैं, तो क्या परमेश्‍वर अपनी शक्‍ति का इस्तेमाल करके इससे भी बड़े-बड़े हैरतअँगेज़ काम नहीं कर सकता?

      योना की किताब की सच्चाई पर शक करनेवाले यह आरोप भी लगाते हैं कि कोई भी इंसान मछली के पेट में तीन दिन तक ज़िंदा नहीं रह सकता। वह तो दम घुटने से मर जाएगा। पर क्या यह आरोप सही है? आज इंसानों ने ऐसे ऑक्सीजन टैंक बनाए हैं जिनकी मदद से वे गहरे सागर में भी साँस ले सकते हैं और कई दिनों तक ज़िंदा रह सकते हैं। जब इंसान ऐसे करामात कर सकता है तो क्या परमेश्‍वर, जिसके पास असीम शक्‍ति और बुद्धि है, वह योना को तीन दिन गहरे सागर में ज़िंदा नहीं रख सकता? सच तो यह है कि यहोवा कुछ भी कर सकता है, जैसा कि उसके एक स्वर्गदूत ने यीशु की माँ मरियम से कहा था: “परमेश्‍वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं।”—लूका 1:37, NHT.

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