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दूसरों को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश कीजिएप्रहरीदुर्ग—2003 | मार्च 15
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5. योना को क्या काम दिया गया था और उसने इस बारे में क्या किया?
5 जब योआश का पुत्र यारोबाम II उत्तर में इस्राएल राज्य का राजा था, तब योना उस देश में भविष्यवक्ता की हैसियत से सेवा कर रहा था। (2 राजा 14:23-25) एक दिन, यहोवा ने योना को इस्राएल छोड़कर उस वक्त के शक्तिशाली अश्शूरी साम्राज्य की राजधानी नीनवे जाने का हुक्म दिया। उसे वहाँ जाकर क्या काम करना था? उस विशाल नगर के लोगों को सावधान करना था कि उनका नगर तबाह-बरबाद होनेवाला है। (योना 1:1, 2) मगर योना ने परमेश्वर का हुक्म नहीं माना, बल्कि वहाँ से दूर भाग गया! वह तर्शीश जानेवाले समुद्री जहाज़ पर चढ़ा और नीनवे से उलटी दिशा की ओर जाने लगा।—योना 1:3.
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दूसरों को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश कीजिएप्रहरीदुर्ग—2003 | मार्च 15
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9. जब मल्लाह ज़बरदस्त तूफान में डूबनेवाले थे, तब योना ने कौन-से गुण ज़ाहिर किए?
9 योना, यहोवा के इस हुक्म को किसी तरह टालना चाहता था और इसलिए वह एक ऐसे जहाज़ पर चढ़ गया, जो उसे नीनवे से बहुत दूर ले जाता। ऐसा होने पर भी, यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता से नाराज़ होकर उसे छोड़ नहीं दिया या उस काम के लिए किसी और को नहीं चुना। इसके बजाय, यहोवा ने योना को यह एहसास दिलाया कि उसे जो काम मिला है वह कितना ज़रूरी है। परमेश्वर ने समुद्र में ज़बरदस्त तूफान उठाया। योना जिस जहाज़ में था वह तेज़ लहरों की मार से हिचकोले खाने लगा। निर्दोष इंसानों की जान खतरे में थी, सिर्फ इसलिए कि योना अपनी ज़िम्मेदारी से भाग रहा था! (योना 1:4) ऐसे में योना क्या करता? योना अपनी वजह से दूसरों की जान जोखिम में नहीं डालना चाहता था, इसलिए उसने जहाज़ के मल्लाहों से कहा: “मुझे उठाकर समुद्र में फेंक दो; तब समुद्र शान्त पड़ जाएगा।” (योना 1:12) जब मल्लाहों ने आखिरकार योना को समुद्र में फेंक दिया, तो योना को उम्मीद नहीं थी कि यहोवा उसे बचाएगा। (योना 1:15) फिर भी, योना, जहाज़ में मौजूद मल्लाहों की जान बचाने के लिए अपनी जान देने को तैयार था। योना के इस काम से क्या उसकी हिम्मत, नम्रता और प्यार के गुण ज़ाहिर नहीं होते?
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