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यहोवा के सेवकों के पास सच्ची आशा हैप्रहरीदुर्ग—2003 | अगस्त 15
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19, 20. यहोवा पर भरोसा रखनेवाले यहूदियों ने क्या अनुभव किया?
19 लेकिन जो लोग यहोवा पर भरोसा रखते हैं, वे कभी निराश नहीं होंगे। यहोवा, इब्राहीम और दाऊद से बांधी अपनी वाचाओं को नहीं भूला है और वह मीका जैसे लोगों पर दया करता है जो उससे प्यार करते हैं और यह देखकर दुःखी होते हैं कि उनके देश के निवासियों ने यहोवा को छोड़ दिया है। वफादार लोगों को परमेश्वर अपने ठहराए वक्त पर फिर से उनके देश में बहाल करेगा।
20 उनकी बहाली सा.यु.पू. 537 में होती है यानी बाबुल के गिरने के बाद, जब बचे हुए कुछ यहूदी अपने वतन लौटते हैं। उस वक्त मीका 2:12 के शब्द पहली दफा पूरे होते हैं। उस आयत में यहोवा कहता है: “हे याकूब, मैं निश्चय तुम सभों को इकट्ठा करूंगा; मैं इस्राएल के बचे हुओं को निश्चय इकट्ठा करूंगा; और बोस्रा की भेड़-बकरियों की नाईं एक संग रखूंगा। उस झुण्ड की नाईं जो अच्छी चराई में हो, वे मनुष्यों की बहुतायत के मारे कोलाहल मचाएंगे।” यहोवा सचमुच कितना प्यार करनेवाला परमेश्वर है! अपने लोगों को ताड़ना देने के बाद, वह उनमें से बचे हुए कुछ लोगों को उस देश में लौटने देता है जो उसने उनके पुरखों को दिया था, ताकि वे वहाँ उसकी सेवा करें।
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यहोवा के सेवकों के पास सच्ची आशा हैप्रहरीदुर्ग—2003 | अगस्त 15
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22. कौन-से दो समूह के लोगों ने परमेश्वर के राज्य में अपनी आशा रखी है?
22 सन् 1919 में, वफादार अभिषिक्त मसीहियों ने ईसाईजगत से पूरी तरह नाता तोड़ लिया और वे राज्य की खुशखबरी सभी देशों में सुनाने के लिए निकल पड़े। (मत्ती 24:14) सबसे पहले, उन्होंने आध्यात्मिक इस्राएल के बचे हुओं की खोज की। इसके बाद, ‘अन्य भेड़ों’ को इकट्ठा किया और ये दोनों समूह मिलकर ‘एक ही चरवाहे’ के अधीन “एक ही झुण्ड” बन गए। (यूहन्ना 10:16, NW) हालाँकि ये सभी वफादार उपासक आज 234 देशों में परमेश्वर की सेवा करते हैं, मगर वे सही मायनों में “एक संग” हैं। और अब तो भेड़ों के इस झुंड में, ‘मनुष्यों के बहुतायत के मारे कोलाहल मच’ रहा है जिसमें स्त्री-पुरुष और बच्चे भी शामिल हैं। उनकी आशा इस दुनिया में जीने की नहीं बल्कि परमेश्वर के राज्य में जीने की है, जो बहुत जल्द धरती को फिरदौस में बदल देगा।
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