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  • यहोवा का न्याय और नाम उन्‍नत
    प्रहरीदुर्ग—1989 | अप्रैल 1
    • यहोवा अपेक्षा करता है कि उसके लोगों में ज़िम्मेवारी लेनेवाले न्याय के कार्य करें। इस्राएल के अपमानजनक अगुओं से कहा गया है: “क्या न्याय का भेद जानना तुम्हारा काम नहीं? तुम तो भलाई से बैर, और बुराई से प्रीति रखते हो, मानो, तुम, लोगों पर से उनकी ख़ाल, और उनकी हड्डियों पर से उनका मांस उधेड़ लेते हो।” मीका “यहोवा की आत्मा से शक्‍ति न्याय और पराक्रम” पाकर उनके विरुद्ध परमेश्‍वर के न्यायदंड घोषित करता है। वह कहता है कि अन्यायी अगुए रिश्‍वत ले लेकर न्याय करते हैं, पुरोहित क़ीमत ले लेकर उपदेश देते हैं और भविष्यवक्‍ता पैसों के लिए भावी कहते हैं। इसलिए यरूशलेम “डीह ही डीह हो जाएगा।”​—३:१-१२.

  • यहोवा का न्याय और नाम उन्‍नत
    प्रहरीदुर्ग—1989 | अप्रैल 1
    • ● ३:१-३​—यहाँ, दयालु चरवाहा, यहोवा, और मीका के दिनों में उसके प्राचीन लोगों के क्रूर अगुओं के बीच, एक चौंका देनेवाला वैषम्य है। न्याय को कार्यान्वित करते हुए झुण्ड की रक्षा करने के उनके नियत कार्य में ये असफल हो गए। उन्होंने प्रतीकात्मक भेड़ों को क्रूरता से शोषण किया, न केवल उनका ऊन कतरने के द्वारा बल्कि​—भेड़ियों की नाई​—‘उनकी खाल उधेड़ते हुए।’ दुष्ट चरवाहों ने उन्हें “हत्या के कार्यों” के अधीन बनाकर लोगों को न्याय से वंचित किया। (३:१०) भ्रष्ट फ़ैसलों के द्वारा निस्सहायक लोगों को उनके घर और जीविका से प्रवंचित किया गया।​—तुलना २:२; यहेजकेल ३४:१-५ की करें।

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