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  • वह सब बातें “अपने मन में रखकर सोचती रही”
    प्रहरीदुर्ग—2009 | जनवरी 1
    • बेतलेहेम तक का सफर

      यूसुफ और मरियम के अलावा और भी कई लोग एक जगह से दूसरी जगह जा रहे थे। दरअसल कैसर औगूस्तुस ने यह हुक्म जारी किया था कि सभी लोग वहाँ जाकर अपने-अपने नाम लिखवाएँ जहाँ से उनके परिवार आए थे। इस पर यूसुफ ने क्या किया? बाइबल बताती है: “यूसुफ भी गलील प्रदेश के नासरत नगर से यहूदा प्रदेश में दाऊद के नगर बैतलहम को गया, क्योंकि वह दाऊद के परिवार और वंश का था।”—लूका 2:1-4, आर.ओ.वी.

      कैसर का इस वक्‍त यह हुक्म जारी करना कोई इत्तफाक नहीं था। क्योंकि करीब 700 साल पहले यह भविष्यवाणी की गयी थी कि मसीहा बेतलेहेम में पैदा होगा। नासरत से 11 किलोमीटर दूर बेतलेहेम नाम का एक नगर था। लेकिन भविष्यवाणी में साफ-साफ बताया गया था कि मसीहा “बेतलेहेम एप्राता” में पैदा होगा। (मीका 5:2) यह छोटा-सा नगर नासरत के दक्षिण में है और यहाँ तक पहुँचने के लिए करीब 150 किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता तय करना पड़ता है। यूसुफ को इसी बेतलेहेम में आकर अपना नाम लिखवाना था, क्योंकि वह और उसकी पत्नी राजा दाऊद के वंशज थे, जो इस नगर का रहनेवाला था।

  • वह सब बातें “अपने मन में रखकर सोचती रही”
    प्रहरीदुर्ग—2009 | जनवरी 1
    • मरियम के बेतलेहम जाने की और क्या वजह हो सकती है? क्या वह जानती थी कि भविष्यवाणी के मुताबिक मसीहा को बेतलेहेम में पैदा होना है? इस बारे में बाइबल कुछ नहीं बताती। लेकिन शायद उसे मालूम था, क्योंकि उस ज़माने के धर्म-गुरु और आम लोग भी इस भविष्यवाणी से वाकिफ थे। (मत्ती 2:1-7; यूहन्‍ना 7:40-42) जहाँ तक मरियम की बात थी, उसे शास्त्र का अच्छा ज्ञान था। (लूका 1:46-55) मरियम के बेतलेहेम जाने की वजह चाहे पति का फैसला हो, सरकारी हुक्म, यहोवा की भविष्यवाणी हो या ये तीनों ही, लेकिन एक बात तय है कि उसने आज्ञा मानने में एक बेहतरीन मिसाल रखी। यहोवा नम्रता दिखाने और आज्ञा माननेवाले स्त्री-पुरुषों को अनमोल समझता है। आज भले ही आज्ञाकारी होने का कोई मोल नहीं रह गया है, लेकिन मरियम की मिसाल से सभी वफादार लोगों को क्या ही ज़बरदस्त प्रेरणा मिलती है।

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